कोट्टयम (केरल), 13 अगस्त (भाषा) विभिन्न आदिवासी-दलित संगठनों ने संविधान के तहत अनुसूचित जातियों (एससी) और अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के लिए आरक्षण के उप-वर्गीकरण के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय के हालिया फैसले के विरोध में 21 अगस्त को केरल में राज्यव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है।
विभिन्न आदिवासी-दलित संगठनों के नेताओं ने मंगलवार को एक संयुक्त बयान में आरोप लगाया कि इस फैसले का उद्देश्य एससी, एसटी सूची को जाति के आधार पर विभाजित करना और एससी, एसटी श्रेणियों के भीतर ‘क्रीमी लेयर’ की शुरुआत करना है।
उन्होंने कहा कि आपदाओं से प्रभावित वायनाड जिला हड़ताल से मुक्त रहेगा।
संगठनों ने घोषणा की कि राज्यव्यापी हड़ताल भीम आर्मी और विभिन्न दलित-बहुजन आंदोलनों द्वारा आहूत भारत बंद का हिस्सा है।
बयान के अनुसार, प्राथमिक मांग यह है कि संसद सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को पलटने वाला कानून पारित करे।
अगस्त माह की शुरूआत में प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सात न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 6 और एक 1 के बहुमत से फैसला दिया कि राज्यों को अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों में उप-वर्गीकरण की अनुमति दी जा सकती है ताकि इन समूहों के भीतर अधिक पिछड़ी जातियों को आरक्षण सुनिश्चित हो सके।
न्यायमूर्ति बी. आर. गवई ने कहा था कि राज्यों को अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के बीच भी ‘क्रीमी लेयर’ की पहचान करने और उन्हें आरक्षण का लाभ नहीं देने के लिए एक नीति विकसित करनी चाहिए।
न्यायमूर्ति गवई ने एक अलग लेकिन सहमति वाला फैसला लिखा, जिसमें शीर्ष अदालत ने बहुमत के फैसले से कहा कि राज्यों को अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों का उप-वर्गीकरण करने का अधिकार है, ताकि अधिक वंचित जातियों के लोगों के उत्थान के लिए आरक्षित श्रेणी के भीतर आरक्षण प्रदान किया जा सके।
भाषा यासिर अविनाश
अविनाश
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