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Thursday, 2 May, 2024
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अग्निपथ योजना के खिलाफ तीन याचिकाएं दायर, केंद्र ने SC में दाखिल की कैविएट पिटीशन

कैविएट याचिका तब दायर की जाती है जब एक वादी यह सुनिश्चित करना चाहता है कि उसे बिना सुने उसके खिलाफ कोई प्रतिकूल आदेश पारित नहीं किया जाए.

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नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में एक कैविएट अर्जी दाखिल कर रक्षा बलों के लिए ‘अग्निपथ’ भर्ती योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सरकार से सुनवाई करने का आग्रह किया है.

कैविएट याचिका तब दायर की जाती है जब एक वादी यह सुनिश्चित करना चाहता है कि उसे बिना सुने उसके खिलाफ कोई प्रतिकूल आदेश पारित नहीं किया जाए.

वकील एमएल शर्मा ने सोमवार को एक जनहित याचिका दायर की थी जिसमें अग्निपथ योजना के लिए केंद्र की अधिसूचना को रद्द करने की मांग की गई थी. याचिका में कहा गया था कि यह योजना ‘अवैध और असंवैधानिक’ है.

उधर, वकील हर्ष अजय सिंह ने भी एक जनहित याचिका दायर कर केंद्र को सशस्त्र बलों के लिए अपनी अग्निपथ भर्ती योजना पर पुनर्विचार करने का निर्देश देने की मांग की है.

याचिका में कहा गया है, ‘योजना की घोषणा से बिहार, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, हरियाणा, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल और कई अन्य राज्यों में भारतीय सेना में चार साल के लिए योजना की शॉर्ट टर्म के कारण देशव्यापी विरोध हुआ है जिससे प्रशिक्षित ‘अग्निवर’ की भविष्य की अनिश्चितताएं आ सकती है.’

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याचिका में इस योजना पर रोक लगाने की मांग भी की गई है.

इससे पहले शनिवार को अधिवक्ता विशाल तिवारी ने अग्निपथ योजना के खिलाफ भड़के हिंसक विरोध की जांच के लिए एसआईटी गठित करने और रेलवे सहित सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान की जांच के निर्देश के लिए जनहित याचिका दायर की थी.

याचिका में अग्निपथ योजना और भारतीय सेना पर इसके प्रभाव की जांच के लिए एक सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति गठित करने का निर्देश देने की भी मांग की थी.


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