नयी दिल्ली, 22 अगस्त (भाषा) आवारा कुत्तों को लेकर उच्चतम न्यायालय के जिस फैसले ने शुक्रवार को पशु प्रेमियों के बीच खुशी की लहर पैदा कर दी, वहीं छवि नाम की बच्ची के परिवार को इससे गहरा दुख पहुंचा है।
परिवार ने कहा कि फैसले ने उस त्रासदी के जख्मों को फिर से हरा कर दिया है, जिससे उबरने के लिए वे संघर्ष कर रहे थे और जिसने उनके सबसे चहेते सदस्य को छीन लिया।
छवि को पिछले साल 30 जून को उत्तर-पश्चिमी दिल्ली के पूठ कलां में अपनी मौसी के घर जाते समय एक आवारा कुत्ते ने काट लिया था।
परिजनों ने कहा कि कुत्ते ने बिना किसी उकसावे के छवि पर हमला कर दिया था।
उन्होंने बताया कि भारी मात्रा में खून बहने पर उसे डॉ. बीआर आंबेडकर अस्पताल ले जाया गया, जहां उसका रेबीज रोधी इलाज शुरू किया गया। हालांकि, कुछ हफ्ते बाद उसकी हालत बिगड़ गई और 21 जुलाई को स्कूल लौटने पर उसे उल्टियां होने लगीं।
परिजनों के मुताबिक, छवि के हाथ-पैर चलने बंद हो गए और उसने बात करना भी बंद कर दिया। चार दिन बाद उसकी मौत हो गई।
छवि की मौसी कृष्णा देवी ने कहा, ‘‘हमने सोचा था कि छवि जैसी स्थिति किसी और बच्चे को नहीं झेलनी पड़ेगी। पहले अदालती आदेश ने हमें राहत दी। यह सिर्फ हमें हुए नुकसान की बात नहीं थी, बल्कि हमारा मानना था कि यह दूसरों की सुरक्षा की दिशा में भी एक अहम कदम था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इस फैसले से कई लोगों को खुशी मिली है, लेकिन हम अब भी दुख और डर के साये में जी रहे हैं। हम जानवरों के खिलाफ नहीं हैं। हम गायों की पूजा करते हैं और कभी किसी जानवर को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। हम बस यही चाहते हैं कि बच्चे और बुजुर्ग सुरक्षित रहें।’’
भाषा पारुल नेत्रपाल
नेत्रपाल
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