नयी दिल्ली, 26 नवंबर (भाषा) कांग्रेस ने बुधवार को आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की भूमिका को आगे बढ़ाते हुए सुनियोजित तरीके से संविधान के सिद्धांतों, प्रावधानों और प्रक्रियाओं को कमजोर कर रहे हैं।
पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि वह संविधान पर होने वाले हर प्रहार का सामने खड़े होकर मुकाबला करेंगे।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने दावा किया कि न्याय, समानता, आज़ादी, परस्पर भाईचारा, धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद भारत की पहचान बन चुकी है, लेकिन आज ये पहचान खतरे में हैं।
उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि भाजपा और आरएसएस का संविधान के प्रति आदर दिखाना सिर्फ ढोंग है।
संविधान दिवस के अवसर पर लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘भारत का संविधान सिर्फ एक किताब नहीं, यह देश के हर नागरिक से किया गया एक पवित्र वादा है। वादा यह कि चाहे कोई किसी भी धर्म या जाति का हो, किसी भी क्षेत्र से आता हो, कोई भी भाषा बोलता हो, गरीब हो या अमीर, उसे समानता, सम्मान और न्याय मिलेगा।’
उन्होंने कहा कि संविधान गरीबों और वंचितों का सुरक्षा कवच है, उनकी शक्ति है और हर एक नागरिक की आवाज़ है।
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष ने इस बात पर जोर दिया कि जब तक संविधान सुरक्षित है, हर भारतीय के अधिकार सुरक्षित हैं।
राहुल गांधी ने कहा, ‘आइए, हम प्रण लें कि हम संविधान पर किसी भी तरह का आक्रमण नहीं होने देंगे। इसकी रक्षा करना मेरा कर्तव्य है और इस पर होने वाले हर प्रहार के सामने सबसे पहले खड़ा रहूंगा।’
उन्होंने कहा, ‘आप सभी को संविधान दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। जय हिंद, जय संविधान।’’
खरगे ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘बाबासाहेब डॉ आंबेडकर व पंडित नेहरू ने संविधान सभा के साथ मिलकर संविधान का ही नहीं एक ऐसे भारत का निर्माण किया जहां लोकतंत्र सर्वोपरि हैं। न्याय, समानता, आज़ादी, परस्पर भाईचारा, धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद भारत की पहचान बन चुकी है।’’
उन्होंने दावा किया कि आज ये पहचान खतरे में हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘‘जब संविधान लागू हुआ था, तब आरएसएस जैसे संगठन खुले तौर पर कहते थे कि संविधान “पाश्चात्य मूल्यों” पर आधारित है और उनका आदर्श तो मनुस्मृति है। इतिहास गवाह है कि वे संविधान के ख़िलाफ़ थे। आज विडम्बना यह है कि जो लोग कभी संविधान से ज़्यादा मनुस्मृति को मानते थे, सत्ता में आने के बाद मजबूरी और राजनीतिक आवश्यकता के कारण उसी संविधान को अपना बताने की कोशिश कर रहे हैं।’’
उन्होंने दावा किया, ‘‘11 दिसंबर, 1948 को इन्ही लोगों ने रामलीला मैदान में बड़ा सम्मेलन करके बाबासाहेब आंबेडकर का पुतला भी फूंका था। आरएसएस ने केवल संविधान और तिरंगे का विरोध ही नहीं किया, बल्कि अंग्रेजी राज में जब स्वाधीनता सेनानी जेलों में थे तो आरएसएस अंग्रेजों के साथ थी।’’
खरगे ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी आज उसी आरएसएस की लाल किले से तारीफ करते हैं, जबकि महात्मा गांधी की हत्या के बाद 30 जनवरी 1948 को आरएसएस पर पहला प्रतिबंध सरदार पटेल जी ने लगाया था।
उन्होंने कहा, ‘‘आज मोदी जी हमें औपनिवेशीकरण के खतरे पर ज्ञान दे रहे हैं, पर ये उसी विचारधारा के लोग हैं जिन्होंने आज़ादी की लड़ाई में, राष्ट्रीय आंदोलन में एक मिनट भी देश की जनता का साथ नहीं दिया, उल्टा अंग्रेज़ों की ग़ुलामी की। ’’
कांग्रेस अध्यक्ष ने दावा किया, ‘‘देश की जनता जान चुकी है कि संस्थानों को कौन चोट पहुंचा रहा है। ये भाजपा-आरएसएस के लोग संविधान की धज्जियां उड़ाने में व्यस्त हैं। इसलिए आज संविधान के प्रति इनका ये सम्मान केवल दिखावा है, ढोंग है। इन्होंने ही संविधान की प्रतियां जलाईं थी, आज ये जाकर बाबासाहेब की प्रतिमा पर फूल चढ़ा रहें हैं। ये भारत के संविधान और हमारे पूर्वजों की सबसे बड़ी जीत है।’’
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट कर दावा किया, ‘यह सब भारत के संविधान निर्माण के इतिहास का हिस्सा है जिसमें आरएसएस की कोई भूमिका नहीं थी। वास्तव में, संविधान अपनाए जाने के बाद आरएसएस की भूमिका संविधान पर हमला करने और उसे कमजोर करने की रही है। उसी भूमिका को आगे बढ़ाते हुए वर्तमान प्रधानमंत्री और गृह मंत्री भी सुनियोजित तरीके से संविधान के सिद्धांतों, प्रावधानों और प्रक्रियाओं को कमजोर कर रहे हैं।’’
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