मुंबई, 20 दिसंबर (भाषा) महाराष्ट्र स्थित एक स्वयंसेवी संगठन ने केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय से एक स्वतंत्र राष्ट्रीय विधवा अधिकार आयोग की स्थापना करने की अपील की है ताकि विधवा महिलाओं को ‘‘प्रणालीगत और आजीवन होने वाले अन्याय’’ से बचाया जा सके।
महात्मा फुले समाज सेवा मंडल (एमपीएसएसएम) ने कहा कि भारत में विधवा महिलाओं को सामाजिक बहिष्कार, संपत्ति और उत्तराधिकार अधिकारों से वंचित किया जाना, आर्थिक असुरक्षा, मानसिक आघात और यौन शोषण के खतरे जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
संस्था ने कहा कि मौजूदा संस्थागत व्यवस्थाएं इन मुद्दों का पर्याप्त समाधान नहीं कर पा रहीं।
मंत्रालय को दिए गए अपने ज्ञापन में संगठन ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 21 के तहत समानता और गरिमा की गारंटी दिए जाने के बावजूद, विधवा महिलाओं की समस्याओं पर विशेष रूप से ध्यान देने वाला कोई पृथक वैधानिक निकाय मौजूद नहीं है।
प्रस्ताव में कहा गया है कि राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर महिला आयोग कार्यरत हैं लेकिन उनके व्यापक दायरे के कारण वे विधवाओं से जुड़े मुद्दों पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते जिससे शिकायत निवारण, निगरानी और जवाबदेही में खामियां रह जाती हैं।
एमपीएसएसएम के अध्यक्ष प्रमोद झिंजाडे ने कहा कि समर्पित विधवा अधिकार आयोग की स्थापना, विधवा महिलाओं की गरिमा, सुरक्षा और मानवाधिकारों की बहाली के लिए ‘‘संवैधानिक आवश्यकता और नैतिक दायित्व’’ है तथा इससे पिछड़ी सामाजिक प्रथाओं को समाप्त करने में मदद मिलेगी।
उन्होंने बताया कि उन्होंने संयुक्त राष्ट्र को भी पत्र लिखकर अंतरराष्ट्रीय विधवा अधिकार आयोग (आईडब्ल्यूआरसी) का गठन किए जाने की मांग की है।
भाषा सिम्मी सुरभि
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