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Tuesday, 15 April, 2025
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दुर्लभ रोगों के लिए 50 लाख रुपये तक ही केंद्रीय सहायता से जुड़ी याचिकाओं पर न्यायालय करेगा सुनवाई

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नयी दिल्ली, आठ अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने स्पाइनल मस्कुलर अट्रोफी (एसएमए) जैसी दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित मरीजों के इलाज के लिए केंद्रीय सहायता की 50 लाख रुपये की सीमा को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर मंगलवार को विचार करने का निर्णय लिया।

प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने कहा कि बीमारियों के इलाज के लिए 50 लाख रुपये की केंद्रीय सहायता की सीमा तय करने संबंधी याचिकाओं पर न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा की अध्यक्षता वाली पीठ 13 मई से शुरू होने वाले सप्ताह में सुनवाई करेगी।

पीठ ने कहा कि एसएमए की दवा रिस्डिप्लाम बनाने वाली दवा कंपनी मेसर्स एफ हॉफमैन-ला रोश लिमिटेड ने इस बीमारी से पीड़ित केरल की 24 वर्षीय सबा पीए को एक साल के लिए मुफ्त में दवा देने पर सहमति व्यक्त की है। रिस्टिप्लाम की कीमत 6.2 लाख रुपये प्रति शीशी है।

इससे पहले उन्होंने केरल उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी, जिसने केंद्र को निर्देश दिया था कि वह सबा को 50 लाख रुपये की सीमा के अलावा 18 लाख रुपये की अतिरिक्त दवाइयां उपलब्ध कराए।

शीर्ष अदालत ने 24 फरवरी को केंद्र की अपील पर गौर करने के बाद उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी थी। याचिका में कहा गया था कि उसे 50 लाख रुपये की सीमा का उल्लंघन करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है। इसके बाद न्यायालय ने पक्षों को नोटिस जारी किया था।

इसके बाद सर्वोच्च न्यायालय ने इस दलील पर गौर किया कि एसएमए रोगी के इलाज की लागत 26 करोड़ रुपये तक हो सकती है और रिस्डिप्लाम पाकिस्तान और चीन में काफी सस्ती दरों पर बेची जा रही है।

न्यायालय ने दवा निर्माता से यह विचार मांगा कि क्या वह भारत में भी इसकी कीमत कम कर सकता है।

मंगलवार को पीठ ने भारत में कीमत के बारे में दवा निर्माता के सीलबंद लिफाफे का अवलोकन किया और कहा कि रिस्डिप्लाम की कीमत पर कंपनी के साथ राष्ट्रीय दुर्लभ रोग समिति ने बातचीत की थी।

सीजेआई ने कहा, “अब स्थिति यह है कि भारत में कीमत काफी कम है। हम सरकार को यह नहीं बता सकते कि उसे क्या करना चाहिए। इसके अंतरराष्ट्रीय नतीजे होंगे।”

सबा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद ग्रोवर ने दोहराया कि पड़ोसी देशों में दवा की कीमत बहुत कम है। उन्होंने पूछा, “भारत में इसकी कीमत 7,200 अमेरिकी डॉलर है, चीन में 545 अमेरिकी डॉलर है और पाकिस्तान में भी यह कम है। इसे इस स्तर तक क्यों नहीं लाया जा सकता?”

सीजेआई ने कहा, “मैं यह नहीं कह रहा हूं कि ऐसा नहीं किया जा सकता। मैं यह कह रहा हूं कि इसके विपरीत भी विचार हैं। हमने अभी तक अपना मन स्पष्ट नहीं किया है।”

एसएमए एक दुर्लभ आनुवंशिक विकार है, जिसमें मांसपेशियां लगातार कमजोर होती जाती हैं, जो स्वैच्छिक मांसपेशी संचालन को नियंत्रित करने के लिए जिम्मेदार तंत्रिका कोशिकाओं को प्रभावित करता है।

नीति के तहत, केंद्र जरूरतमंद मरीज़ को इलाज के लिए 50 लाख रुपये दे सकता है।

भाषा प्रशांत पवनेश

पवनेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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