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Friday, 22 November, 2024
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राम मंदिर की बुनियाद रखने वाले नेताओं के योगदान पर ही भव्य मंदिर का निर्माण संभव हुआ: साध्वी ऋतंभरा

साध्वी ऋतंभरा पीएम मोदी के साथ रक्षा बंधन मनाकर अयोध्या के लिए निकल जाएंगी. उन्होंने दिप्रिंट से खास बातचीत में आडवाणी, जोशी और खुद के नैपत्थ्य में जाने पर कहा , जो बुनियाद में जो होते हैं वो अंधेरे में ही होते है.

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नई दिल्ली: राम मंदिर आंदोलन की मुख्य किरदार साध्वी ऋतंभरा का कहना है कि 5 अगस्त पूरे हिंदू समाज के लिए खुशी का समय होगा. जिन लोगो ने मंदिर के लिए योगदान दिया है उन्हें भुलाया नहीं जा सकता और मंदिर आंदोलन से जुड़े बड़े नेता जोकि अब नेपथ्य में है उनकी भूमिका को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. उनका कहना है कि बुनियाद के बिना शिखर स्थापित नहीं हो सकती.

रामजन्मभूमि आंदोलन के कई चेहरे आज इस दुनिया में नहीं हैं. साधवी ऋतंभरा ने दिप्रिंट से कहा, ‘मैनें कई बड़े संतों और महापुरुषों के नेतृत्व में गिलहरी जैसा योगदान दिया.’

साधवी ने आगे कहा, ‘अशोक सिंघल जी सहित कई महान संत विभूतियों के नेतृत्व में ये आंदोलन चला. आज ये लोग सशरीर हमारे साथ भले नहीं हैं बल्कि उनकी आत्माएं अयोध्या में जरूर मौजूद रहेंगी. इन सभी लोगों ने राम मंदिर निर्माण के संकल्प को अपने प्राणों में जिया था.’

ऋतंभरा ने दिप्रिंट की विशेष बातचीत में बताया, ‘अशोक सिंघल का जन्म आगरा में हुआ था, उस 118 वर्ष पुराने घर के आंगन की मिट्टी लेकर मैं अयोध्या जा रही हूं. ये मिट्टी उस अयोध्या की मिट्टी में समर्पित कर दूंगी, इससे अशोक जी की उपस्थिति वहां निश्चित हो जाएगी.’


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मोदी सरकार आने के बाद राम मंदिर आंदोलन के मुख्य किरदार रहे लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी,उमा भारती, विनय कटियार और साध्वी ऋतंभरा नेपत्थ्य में चले गए हैं. राम मंदिर निर्माण का कार्यभार अब एक नई टीम देख रही है. इसपर साध्वी ने कहा, ‘जिन्होंने भी राम मंदिर आंदोलन में योगदान दिया उन्हें ये कभी भी अपेक्षा नहीं रही कि हमारी जय जयकार हो. क्योंकि बुनियाद में जो रहते है वो अंधेरे में ही होते है. जो तय कर लेते है कि हमें तिल तिल करके जाना है कालिमा और दाह उन्हीं के भाग्य में होता है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘हमेशा से देखा गया है कि जो शिखरों पर होता है वह चमकता है और वही दिखता भी है. लेकिन जो बुनियाद में होते है वो अंधेरे में ही रहते हैं. लेकिन बुनियाद के बिना शिखर पर संभव नहीं है. आने वाले दिनों में नई पीढ़ियां नई कीर्तिमान स्थापित करे यहीं चाहती हूं.’

‘शरीर जरूरी नहीं मन तो अयोध्या में ही होगा’

वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी के कार्यक्रम में शामिल होने पर संशय बना हुआ है इस सवाल का जवाब देते हुए साध्वी ऋतंभरा ने कहा, ‘इस कार्यक्रम में सभी महत्वपूर्ण लोग अयोध्या में होंगे. कोरोना काल के चलते कार्यक्रम सीमित स्वरुप में हो रहा है. भूमिपूजन कार्यक्रम के लिए सभी लोग इतने आनंदित हैं कि कोई सशरीर वहां हो या नहीं हो कोई फर्क नहीं पड़ता है.’

‘पांच अगस्त को देश के सभी हिंदुओं का घर अयोध्या होगा. हर प्राणों में रामजी की प्रतिमा स्थापित होगी. पूरा देश दिपावली मनाएगा. मैं भी अगर नहीं बुलाई जाती है तो मुझे कोई बड़ी परेशानी नहीं होती हम अपने भाव साम्राज्य में जीते है.’

‘घर के मंदिर में राम, बाहर राम का विरोध’

राम के अस्तित्व और राम मंदिर पर सवाल उठाए जाने के सवाल पर साध्वी ने कहा,’ इस देश के अंदर आस्थाओं का मजाक उड़ाकर राजनीति करने का चलन है. भारत के अंदर छद्म धर्मनिरपेक्षता के नाम पर ये लोग राजनीति की गोटियां लाल करते है. बहुत सारे लोग घर के अंदर राम जी की पूजा करते है और राजनीति के लिए बाहर राम जी का विरोध करते है.’

‘भारत के अंदर राजनीतिक षडयंत्र लगातार चल रहे हैं. इससे भारत का बहुत नुकसान हुआ है. रामजी के अस्तित्व पर सवाल उठाने वाले के खुद अस्तित्व  बिखरे हुए हैं. वो राम जी के अस्तित्व पर क्या सवाल उठाएंगे.’


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पिछले कुछ दिनों में संतों और साध्वी समाज द्वारा कुछ ऐसी बातें कही गईं जिसका प्रभाव संत समाज पर पड़ा और पूरे समाज को बदनामी झेलनी पड़ी. इन बातों को दर किनार करते हुए साध्वी ने कहा,’ सत्य अपने आप में इतना प्रबल होता है कि कुछ बोलने की जरुरत नहीं होती है. सत्य स्वयं प्रमाणित होता है. कई लोग ऐसे होते है जो उजाले को नहीं देखना चाहते है. जो आंखें मूंदकर अंधेरों के पुजारी बने रहते है इनकी बात नहीं की जा सकती है.’

हालांकि राम जन्मभूमि पूजन राम मंदिर निर्माण की पहली सीढ़ी भर है, इसके बाद संत समाज की भूमिका क्या होगी. हालांकि मंदिर को भव्य बनाने के लिए वीएचपी और ट्रस्ट मिल कर काम कर रहे हैं. इस पर साध्वी ने कहा अभी तो लंबी दूरी तय करनी है, ‘राम राज्य के लिए गली गली गांव जाना है. अंतिम व्यक्ति के चेहरे पर मुस्कान के लिए काम करना है. बेटियों से लेकर गरीबों के लेकर काम करना है. देश में भेदभाव मिटाने के लिए काम करुंगी. अभी राम मंदिर एक पड़ाव है अभी कई लक्ष्य बाकि है.अभी लंबी यात्रा बाकी है.’

‘पांच सौ सालों से खंडित स्वाभिमान का संघर्ष’

साध्वी ऋतंभरा ने दिप्रिंट से कहा,’राम मंदिर का आंदोलन पांच सौ सालों से अपने पूर्वजों के द्वारा खंडित स्वाभिमान और आस्था को स्थापित करने का संघर्ष था.अब जब वो इस रुप में पूर्ण होने जा रहा है तो अपने आप में आनंद और सुख का कारण है. हमने यह निश्चित किया कितनी भी परेशानी आए हमें आगे बढ़ना है.’

‘उस दौर में हमारे मंदिरों को ध्वस्त किया गया. हमारी आस्थाओं और प्रतिमाओं को तोड़ा गया. लेकिन जब वो परेशानी बीत गई तो हमने उन्हीं खंडहरों में अपनी आस्थाओं के पुन:निर्माण के लिए काम किया. श्रीराम जन्मभूमि के मंदिर को लगातार 500 वर्षों तक उपेक्षित रखा गया है. इस समय पर सभी ने अपने संकल्प को सिद्ध किया है. पांच अगस्त को हम भारत में एक नया इतिहास रचने जा रहे है. यह सुख ऐसा है जिसकों शब्दों से व्यक्त नहीं किया जा सकता है.’


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ऋतंभरा ने कहा था, ‘पीएम मोदी को हमेशा रक्षाबंधन के दिन रक्षासूत्र बांधती आई हूं. रक्षाबंधन को पीएम नरेंद्र मोदी के घर जाकर उन्हें राखी बाधूंगी. वहीं से फिर मैं अयोध्या के लिए अपनी यात्रा प्रारंभ कर दूंगी. 4 अगस्त को अयोध्या जाऊंगी. 5 को अगस्त को अनुष्ठान और भूमि पूजन कार्यक्रम की साक्षी बनूंगी.’

भारत में और संपूर्ण हिंदू समाज के लिए भगवना राम के महत्व का उल्लेख करते हुए वे कहती हैं ,’ एक मनुष्य को कैसे जीना चाहिए उसके संबंध कैसे होने चाहिए. संबोधन कैसे होना चाहिए. उत्तरदायित्वों को कैसे निभाना चाहिए.अपने को बड़ा नहीं मानना चाहिए. लक्ष्य को बड़ा मानना चाहिए.’

उन्होंने कहा, ‘भगवान राम ने लोगों को बताया है कि मनुष्य जीवन को कैसे जीना चाहिए.भगवान राम के जीवन से ये हमें समझ में आता है कि वस्तु साधन हैं और सत्य की प्राप्ती साध्य है.सारे विश्व की मनुष्यता के लिए प्रभु राम आदर्शों का चरमोत्कर्ष है प्रेरणा के लिए.’

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