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Friday, 22 August, 2025
होमदेशशीर्ष अदालत ने जेईईएमएएस अभ्यर्थियों की मेधा सूची फिर से तैयार करने के आदेश पर लगाई रोक

शीर्ष अदालत ने जेईईएमएएस अभ्यर्थियों की मेधा सूची फिर से तैयार करने के आदेश पर लगाई रोक

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नयी दिल्ली, 22 अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने उच्च न्यायालय के उस आदेश पर शुक्रवार को रोक लगा दी जिसमें पश्चिम बंगाल संयुक्त प्रवेश परीक्षा बोर्ड (डब्ल्यूबीजेईईबी) को 2024-25 के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा-मेडिकल एवं संबद्ध विज्ञान (परास्नातक) की मेधा सूची को रद्द कर इसे नए सिरे से तैयार करने को कहा गया था।

यह देखते हुए कि डब्ल्यूबीजेईईबी ने आदेश का ‘स्पष्ट उल्लंघन’ किया है, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने उसे मेधा सूची फिर से तैयार करने और एक नया पैनल प्रकाशित करने का निर्देश दिया।

हालांकि, शुक्रवार को प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ ने राज्य सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल की दलीलों पर ध्यान दिया, जिसमें उच्च न्यायालय के सात अगस्त के आदेश पर रोक लगाने की मांग करते हुए कहा गया था कि यह प्रशासन के लिए मुश्किलें पैदा कर रहा है।

प्रधान न्यायाधीश ने आदेश दिया, ‘‘नोटिस जारी करें… विवादित आदेश पर रोक रहेगी।’’ उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की याचिका पर सुनवाई चार सप्ताह बाद की जाएगी।

उच्च न्यायालय ने माना कि डब्ल्यूबीजेईईबी ने 10 जून को लागू की गई राज्य की नयी आरक्षण नीति को संयुक्त प्रवेश परीक्षा-मेडिकल एवं संबद्ध विज्ञान (जेईएमएएस-पीजी)-2024 प्रवेश प्रक्रिया में अवैध रूप से लागू किया, जबकि नीति पर रोक लगा दी गई थी और इसके तहत प्रमाण पत्र पहले ही रद्द कर दिए गए थे।

उच्च न्यायालय ने बोर्ड को 15 दिनों के भीतर एक नयी मेधा सूची प्रकाशित करने का आदेश दिया, जिसमें 2010 से पहले अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के मान्यता प्राप्त 66 समुदायों को केवल सात प्रतिशत आरक्षण देने का निर्देश दिया गया, जैसा कि 2024 के खंडपीठ के फैसले में निर्देश दिया गया था।

पिछले साल 22 मई को, उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने ओबीसी-ए और ओबीसी-बी श्रेणियों के वर्गीकरण को रद्द कर दिया, उनके लिए राज्य के 10 फीसदी और सात फीसदी आरक्षण कोटा को अमान्य कर दिया, और 2010 के बाद जारी किए गए सभी संबंधित प्रमाणपत्रों को रद्द कर दिया।

इस साल 18 मार्च को, पश्चिम बंगाल सरकार ने उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि पिछड़ा वर्ग राज्य आयोग पिछड़ेपन के मुद्दे की नए सिरे से जांच कर रहा है।

राज्य सरकार सहित सभी याचिकाओं में कलकत्ता उच्च न्यायालय के 22 मई 2024 के फैसले को चुनौती दी गई है, जिसमें 2010 से पश्चिम बंगाल में कई जातियों को दिए गए ओबीसी दर्जे को रद्द कर दिया गया था।

भाषा संतोष अविनाश

अविनाश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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