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Monday, 6 May, 2024
होमदेशदिल का दौरा पड़ने से पूर्व विदेश मंत्री सुष्मा स्वराज का निधन, पीएम ने जताया शोक

दिल का दौरा पड़ने से पूर्व विदेश मंत्री सुष्मा स्वराज का निधन, पीएम ने जताया शोक

उन्हें हार्ट अटैक आने के बाद अस्पताल में भर्ती करवाया गया था. सुषमा स्वराज काफी दिनों से बीमार चल रही थीं.

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नई दिल्ली: मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में विदेश मंत्री रहीं सुषमा स्वराज का निधन हो गया. वह दिल्ली के एम्स में भर्ती थी. वो काफी दिनों से बीमार चल रही थीं. उन्हें हार्ट अटैक आने के बाद अस्पताल में भर्ती करवाया गया था. बुधवार को उनका अंतिम संस्कार होगा.

तबीयत खराब होने के फौरन बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी सहित रक्षामंत्री भी एम्स पहुंचे. जिसे खबर मिली की सुषमा एम्स में भर्ती हैं सभी सरपट एम्स पहुंचे. निधन के पहले के ट्वीट में उन्होंने कश्मीर मामले को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को बधाई दी थी.

स्वराज दिल्ली की पहली मुख्यमंत्री थीं और 2016 में उनके कि़डनी का ट्रांसप्लांट हुआ था. अपने आख़िरी ट्वीट में उन्होंने लिखा था, ‘प्रधान मंत्री जी, आपका हार्दिक अभिनन्दन. मैं अपने जीवन में इस दिन को देखने की प्रतीक्षा कर रही थी.’


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पीएम मोदी मे दुख जताया 

पीएम मोदी ने पूर्व विदेश मंत्री स्वराज के निधन पर शोक जताते हुए एक ट्वीट किया इसमें उन्होंने लिखा, ‘भारतीय राजनीति में एक यशस्वी अध्याय का अंत हो गया. भारत अपने उसे नेता के निधन पर बेहद दुखी है जिन्होंने गरीबों के जीवन को बेहतर बनाने में अपना सार्वजनिक जीवन बिता दिया. सुषमा जी अपनी तरह की इकलौती थी, करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणा की स्रोत थीं.’

पीएम ने ये भी लिखा, ‘एक शानदार प्रशासक सुषमा जी ने जिस भी मंत्रालय को संभाला उसमें उच्च मानक स्थापित किए. उन्होंने कई देशों के साथ भारत के संबंध मज़बूत करने में अहम भूमिका अदा की. एक मंत्री के तौर पर हमने उनका दयालू पहलू भी देखा जो कि उन भारतीयों के लिए था जो दुनिया के किसी भी हिस्से में परेशानी का सामना कर रहे थे.’

राहुल गांधी और कांग्रेस ने भी दुख जताया

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने शोक जताते हुए ट्वीट किया, ‘मैं सुषमा स्वराज जी के निधन के बारे में सुनकर दंग हूं, वो एक अद्भुत नेता, शानदार वक्ता और असाधारण सांसद थीं, हर पार्टी के लोगों के साथ उनकी दोस्ती थी.’ राहुल ने स्वराज के परिवार के प्रति सांत्वना प्रकट की और उनके आत्मा की शांति की कामना की.

देश की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने भी स्वराज के निधन पर शोक जताते हुए ट्वीट किया. इसमें लिखा, ‘हम सुषमा स्वराज जी के असमय निधन की ख़बर पाकर दुखी हैं. हम उनके परिवार और चाहने वालों के प्रति शोक प्रकट करते हैं.’

चौतरफा शोक की लहर

अचनाक से हुए दिल्ली की पू्र्व सीएम शीला दीक्षित के निधन के बाद दिल्ली की एक और पूर्व सीएम स्वराज के निधन की ख़बर ने सबको झकझोर कर रख दिया है और इसकी वजह से चौतरफा शोक की लहर है. सोशल मीडिया पर आमो ख़ास की प्रतिक्रिया देखकर ये साफ है कि किसी को इस पर विश्वास नहीं हो रहा. वहीं, पीएम मोदी से लेकर राहुल गांधी और तमाम राजनीति पार्टियों के अलावा सामाजिक कार्यकर्ताओं से सेलिब्रिटी तक इस ख़बर पर अपनी प्रतिक्रिया साझा कर रहे हैं.

स्वराज का जन्म अंबाला के एक आरएसएस परिवार में हुआ था-उनके पिता आरएसएस के एक प्रमुख पदाधिकारी थे-लेकिन उनकी पहली पहचान इमरजेंसी के दौरान बड़ौदा डायनामाइट कांड में गिरफ्तार किए गए जॉर्ज फर्नांडीस का मुकदमा लड़ने वाली एक तेजतर्रार वकील के रूप में उभरी थी.

1977 में इमरजेंसी खत्म होने और इंदिरा गांधी की कांग्रेस के सफाए के बाद 25 की उम्र में ही सुषमा हरियाणा की श्रम व रोजगार मंत्री बनीं. उन्हें जनता पार्टी के एक उभरते सितारे और आरएसएस/जनसंघ की सदस्य के तौर पर नहीं बल्कि जॉर्ज की सहयोगी के तौर पर देखा गया.

उल्लेखनीय बात यह भी है कि 70 के दशक की भारतीय राजनीति में अपने बूते उभरी एक महिला नेता 27 की उम्र में ही हरियाणा जनता पार्टी की अध्यक्ष बन गई. लेकिन 1979 में जब जनता पार्टी टूट गई तो वे इससे अलग हुए जनसंघ धड़े की ओर मुड़ गईं. इसके बाद किसी विशिष्ट परिवार की न होते हुए भी अपने दम पर उन्होंने जबरदस्त मुकाम हासिल किया.

वे लालकृष्ण आडवाणी की अनुचर मानी जाती रहीं लेकिन 2009 में पराजय के बाद भी जब उन्होंने नई पीढ़ी को रास्ता देने से मना कर दिया तो सुषमा बेहिचक पार्टी की उस ‘चौकड़ी’ में शामिल हो गईं जिसके बाकी तीन सदस्य थे वेंकैया नायडू, अनंत कुमार और अरुण जेटली.

इस चौकड़ी ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से दखल देने की गुहार लगाई थी ताकि एक युवा चेहरे को पार्टी का अध्यक्ष बनाया जाए. इस तरह नितिन गडकरी को लाया गया. यह इसके बावजूद हुआ कि पार्टी में सुषमा बनाम जेटली प्रतिद्वंद्विता को एक खुला रहस्य माना जाता रहा. लेकिन पार्टी की खातिर इन दोनों ने मिलकर काम किया और भाजपा को इस मकाम तक लेकर आए.

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