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Thursday, 25 April, 2024
होमदेशसुप्रीम कोर्ट का जस्टिस नरीमन और चंद्रचूड़ की सीजेआई गोगोई के जांच पैनल पर आपत्ति वाली रिपोर्ट से इनकार

सुप्रीम कोर्ट का जस्टिस नरीमन और चंद्रचूड़ की सीजेआई गोगोई के जांच पैनल पर आपत्ति वाली रिपोर्ट से इनकार

एक अखबार की रिपोर्ट ने दावा किया कि जस्टिस आर.एफ. नरीमन एंड डी.वाई चंद्रचूड़ ने पैनल से कहा था कि वह कार्यवाही को जारी न रखे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'यह पूरी तरह से गलत है.'

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने एक प्रेस रिलीज कर उन रिपोर्ट्स को खारिज किया है जिनमें कहा गया था कि जस्टिस आर एफ रोहिंटन नरीमन और जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने भारत के मुख्य न्यायाधीश के ऊपर लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच कर रही इन हाउस कमेटी को मुख्य शिकायतकर्ता को शामिल किए बिना कार्रवाई जारी ना रखने की बात कही थी.  कहा था.

इंडियन एक्सप्रेस ने रविवार को छापा था कि सुप्रीम कोर्ट के दो जज ने इस पैनल का नेतृत्व कर रहे जस्टिस एस ए बोबड़े से शुक्रवार की शाम मुलाकात की थी और बिना शिकायतकर्ता के जांच-प्रक्रिया को आगे ना बढ़ाने के लिए कहा. गौरतलब है कि शिकायतकर्ता महिला ने पिछले हफ्ते कमेटी के ‘भयावह’ रवैये का हवाला देते हुए जांच-प्रक्रिया का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया था.


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सुप्रीम कोर्ट के जनरल सेक्रेट्री के हस्ताक्षर वाली इस प्रेस रिलीज में लिखा है, ‘ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक प्रमुख समाचार पत्र ने ये छापा कि जस्टिस नरीमन और जस्टिस चंद्रचूड़ शुक्रवार 3 मई 2019 को जस्टिस बोबडे से मिले. ये पूर्णतया गलत है. भारत के मुख्य न्यायाधीश से जुडे़ मामले को देख रही इन हाउस कमेटी इस कोर्ट के किसी जज से कोई इनपुट नहीं लेकर स्वतंत्र विचार-विमर्श कर रही है.’

जस्टिस बोबडे के नेतृत्व में बनाए गए पैनल में जस्टिस इंदू मल्होत्रा और इंदू बनर्जी भी शामिल हैं और यह इन हाउस कमेटी, सुप्रीम कोर्ट की पूर्व कर्मचारी द्वारा भारत के मुख्य न्यायधीश जस्टिस रंजन गोगोई पर लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच कर रही है. महिला का आरोप है कि जस्टिस रंजन गोगोई ने पिछले साल अक्तूबर में उसका यौन उत्पीड़न किया.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक जस्टिस चंद्रचूड़ ने 2 मई को इस पैनल के सदस्यों को लिखा था कि अगर जांच प्रक्रिया में शिकायत करने वाली महिला को शामिल नहीं करते हैं तो इससे सुप्रीम कोर्ट की विश्वनियता पर सवाल उठेंगे. उन्होंने कथित तौर पर यह सुझाव भी दिया कि कमेटी को महिला के अनुरोध पर एक वकील मुहैया कराएं या जांच के लिए कोर्ट से कोई सहालाकार नियुक्त करें.

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ये मामला क्यों गंभीर है?

पिछले मंगलवार को कमेटी की तीसरी सुनवाई के बाद शिकायतकर्ता महिला ने कहा था कि आगे अब वो इस जांच प्रक्रिया का हिस्सा नहीं बनेंगी, क्योंकि जज इस केस को उस तरह नहीं देख रहे हैं जैसे उन्हें इसे लेना चाहिए था ‘ये कोई साधारण शिकायत नहीं थी.’

अगले दिन कमेटी ने जांच को आगे जारी रखने का फैसला किया और चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को उसी दिन कोर्ट के सामने प्रस्तुत होने का नोटिस भेजा.


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सूत्र बताते हैं कि ये मीटिंग दो घंटे तक चली जिसमें चीफ जस्टिस ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को खारिज किया. चीफ जस्टिस ने दावा किया कि शिकायत करने वाली महिला से मिलने का कोई मौका ही नहीं था. इस दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने उन सभी सवालों के जवाब दिए जो उनसे पूछे गए थे.

पैनल के जज इस जांच प्रक्रिया को आगे बढ़ा रहे हैं और पूरे हफ्ते कोर्ट की कार्रवाई में उपस्थित भी नहीं हुए. पैनल के जजों में से एक के करीबी सूत्र ने बताया कि जब पैनल अपनी रिपोर्ट जमा नहीं करवा देता तब तक कोई जज बाकी कोई अन्य काम नहीं करेगा.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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