scorecardresearch
Friday, 29 March, 2024
होमदेशऐडवोकेट का दावा सीजेआई रंजन गोगोई को फंसाने के लिए 1.5 करोड़ रुपये की पेशकश की गई थी

ऐडवोकेट का दावा सीजेआई रंजन गोगोई को फंसाने के लिए 1.5 करोड़ रुपये की पेशकश की गई थी

ऐडवोकेट उत्सव बैंस का दावा था कि उन्हें एक अज्ञात व्यक्ति द्वारा 'प्रेस क्लब ऑफ इंडिया' में न्यायमूर्ति रंजन गोगोई को फंसाने और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व कर्मचारी का प्रतिनिधित्व करने के लिए बुलाया गया था.

Text Size:

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के एक ऐडवोकेट ने भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के खिलाफ लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों के बारे में आश्चर्यजनक दावा किया है. ऐडवोकेट उत्सव बैंस का दावा था कि उन्हें एक अज्ञात व्यक्ति द्वारा ‘प्रेस क्लब ऑफ इंडिया’ में न्यायमूर्ति रंजन गोगोई को फंसाने और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व कर्मचारी का प्रतिनिधित्व करने के लिए बुलाया गया था. उसके बदले वकील ने दावा किया कि उन्हें 1.5 करोड़ रुपये देने तक की पेशकश की गई थी.

समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए बैंस ने आरोप लगाया कि यह कुछ लोगों की साजिश थी जो चाहते हैं कि न्यायमूर्ति इस्तीफा दे. उन्होंने कहा कि वह शीर्ष अदालत में अपने अनुभव को बयान करते हुए एक हलफनामा दायर करेंगे और कहा कि वह कथित रूप से शामिल लोगों का नाम भी देंगे.

दिप्रिंट ने बार-बार बैंस से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन वह आगे की टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं हुए. हालांकि, यह पता चला है कि हलफनामे का मसौदा तैयार किया जा रहा है और जल्द से जल्द ही इसे दायर किया जाएगा.

फेसबुक पोस्ट

हलफनामा दाखिल करने के बारे में बैंस की घोषणा एक फेसबुक पोस्ट में उनके चौंकाने वाले खुलासे के एक दिन बाद आती है, जहां उन्होंने कहा ‘मुझे सीजेआई के खिलाफ यौन उत्पीड़न मामले में फसाने और एक प्रेस कांफ्रेंस आयोजित करने के लिए रिश्वत की पेशकश की गई थी. सुप्रीम कोर्ट के कर्मचारी जिन्होंने कुछ दिनों पहले सीजेआई पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है और विशेष रूप से केवल प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करने के लिए कहा था.

स्टाफ द्वारा यौन उत्पीड़न के आरोपों की खबरें आने के कुछ घंटों बाद बैंस ने पोस्ट किया था.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

वकील ने कहा (उन्होंने) उसके रिश्तेदार होने का दावा किया गया, लेकिन वे एक प्रशिक्षित एजेंट की तरह लग रहे थे और उसने कभी भी संतोषजनक जवाब नहीं दिया कि पूर्व सुप्रीम कोर्ट स्टाफ के साथ उसका क्या रिश्ता था और फिर अचानक उसने मुझे मेरी कानूनी फीस के रूप में 50 लाख की पेशकश की. अगर मैं वकील से सहमत होता और उसने मुझे विशेष रूप से पीसीआई में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करने के लिए कहा तो मैंने मना कर दिया क्योंकि मुझे कहानी के तथ्य गड़बड़ लगे और साथ ही कई खामियों के बारे में किसी भी सवाल का वह जवाब नहीं दे सका. कहानी उन्होंने सुनाई. जब मैंने फिर मना किया तो उसने कहा 1.5 करोड़. मैंने तब उसे अपना कार्यालय से निकल जाने के लिए कहा.

न्यायपालिका के खिलाफ ‘षड्यंत्र’

बैंस ने दावा किया कि जब उन्होंने ‘दिल्ली में विश्वसनीय स्रोतों से इस मुद्दे के बारे में अधिक पूछताछ की, तो हर जानकारी में न्यायमूर्ति को इस्तीफा देने के लिए एक बड़ी साजिश की ओर इशारा किया गया.’ उन्होंने आरोप लगाया कि इस साजिश के ‘किंगपिन’ दिल्ली के कई सुप्रीम कोर्ट फिक्सर या पैसे के लिए निर्णय लेने वाले थे.

उन्होंने दावा किया ‘घंटों के विचार और आत्मचिंतन के बाद, मैंने सच बोलने का फैसला किया है और सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ असंतुष्ट न्यायाधीशों, सुप्रीम कोर्ट फिक्सर, कॉरपोरेट घोटालेबाजों और एक लॉबी की साजिश के सबूतों के साथ सुप्रीम कोर्ट में इस संबंध में एक विस्तृत हलफनामा दायर करने का फैसला किया है.’ कुछ भ्रष्ट राजनेताओं ने सावधानीपूर्वक योजनाबद्ध तरीके से न्यायमूर्ति को इस्तीफा देने के लिए मजबूर करने की कोशिश की थी क्योंकि उनके भ्रष्ट कार्य सुप्रीम कोर्ट में चल रहे थे.

शिकायत को संबोधित करने के लिए आंतरिक प्रक्रिया

समाचार रिपोर्टों ने शनिवार को सुझाव दिया कि एक 35 वर्षीय महिला, जिसने सुप्रीम कोर्ट में एक जूनियर कोर्ट सहायक के रूप में काम किया था, ने शुक्रवार को शीर्ष अदालत के 22 न्यायाधीशों को लिखा था कि सीजेआई ने पिछले साल उनके आवास पर उनका यौन उत्पीड़न किया था.

न्यायमूर्ति गोगोई ने शनिवार को अपने खिलाफ लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों का खंडन किया, जिसमें कहा गया कि निहित स्वार्थ न्यायपालिका की स्वतंत्रता को खतरा पैदा कर रहे थे.

शिकायत को देखने के लिए एक ‘इन-हाउस प्रक्रिया’ अनिवार्य है. कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम के अनुसार, सर्वोच्च न्यायालय यौन उत्पीड़न नियमन, 2013 (के साथ पढ़ें,) नामित समिति को शिकायत का संज्ञान लेना चाहिए और उसके अनुसार कार्यवाही शुरू करनी चाहिए.

फिलहाल, समिति का निर्णय अस्पष्ट है. दिप्रिंट ने न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा से संपर्क करने की कोशिश की, जो कि समिति के प्रमुख हैं. हालांकि, उनका कोई जवाब नहीं आया है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)  

share & View comments