नई दिल्ली: जेनिफर लोपेज से लेकर आलिया भट्ट तक, बीते सोमवार को न्यूयॉर्क के मेट गाला में अपने फैशन का जलवा बिखेरने वाली मशहूर हस्तियों के हर फ्रेम में नीले और लाल रंग के बोल्ड ज़ुल्फ़ों के साथ एक व्यापक ऑफ-व्हाइट क्रिएशन दिखाई दिया. यह वहां नीचे लगा ‘रेड कार्पेट’ था और यह सीधे केरल के एक छोटे से शहर चेरथला से आया था.
प्राकृतिक रेशों का उपयोग करके बुना गया, एक विशेष कार्पेट, जो लगभग 7,000 वर्ग मीटर को कवर करता है, नेयट बाय एक्स्ट्रावीव नामक एक स्थानीय कंपनी द्वारा बनाया गया था. यह कंपनी एक परिवार की तीसरी पीढ़ी द्वारा चलाया जाता है जो सौ वर्षों से केरल में फर्श कवरिंग का निर्माण कर रहा है.
नेयट के कार्यकारी निदेशक सिवन संतोष ने दिप्रिंट से बात करते हुए कहा कि कंपनी ने मेट गाला 2022 के लिए भी कार्पेट बुना था, लेकिन इस बार उन्होंने अपने योगदान का प्रचार करने का फैसला किया.
उन्होंने कहा, ‘हमें इस पर गर्व है कि यह चेरथला में बनाया गया. हमारी स्वदेशी और टिकाऊ चीजों का अब विश्व स्तर पर प्रदर्शित किया जा रहा है. यह केरल और भारत के लिए गर्व की बात है.’
उन्होंने कहा कि मेट गाला कार्पेट सिसल फाइबर का उपयोग करके बुना गया था. यह कुछ परिवारों द्वारा बनाया जाता है जो पिछले 23 वर्षों से यह काम कर रहे हैं.
सिवन संतोष कार्पेट बनाने वाले परिवार से आते हैं. उनके दादाजी ने 1917 में त्रावणकोर मैट्स एंड मैटिंग कंपनी की स्थापना की, जबकि उनके पिता संतोष ने एक्स्ट्रावीव नामक एक अन्य ब्रांड की स्थापना की. कुछ साल पहले, सिवन और उनकी पत्नी निमिषा ने सिसल, लिनन और जल जलकुंभी जैसे प्राकृतिक कच्चे माल का उपयोग करके उच्च-फ़ैशन वाले प्रोडक्ट बनाने के उद्देश्य नेयट की स्थापना की.
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चेरथला से मेट गाला तक
सिवन ने दिप्रिंट को बताया कि इस स्वदेशी, हस्तनिर्मित और टिकाऊ कार्पेट को बुनने में 40 श्रमिकों को 60 दिनों का समय लगा और इसमें यह सुनिश्चित किया गया कि यह मेट गाला के दर्शकों को पंसद आए.
फाइबर को छांटने से लेकर उसे सूत में बदलने तक, कतरने और लूमिंग तक, श्रमिकों ने यह सुनिश्चित करने के लिए लंबे समय तक काम किया कि बनने के बाद यह एक ग्लैमरस गंतव्य के लिए उपयुक्त हो.
इसकी बुनाई केरल में की जाती है जबकि सिसल फाइबर ब्राजील, तंजानिया और मेडागास्कर से आयात किया जाता था. सिवन ने बताया कि विशाल कार्पेट को अपने लंबे और चौड़े रेशों के लिए जाइलम सिसल की आवश्यकता होती है. बुनाई पूरी होने के बाद, यूएस में कार्पेट को हाथ से पेंट किया गया.
यह पूछे जाने पर कि उनकी कंपनी को इसमें कैसे शामिल किया गया, सिवन ने कहा कि लंबे समय से अमेरिका में रहने वाले ग्राहक फाइबरवर्क्स ने मेट गाला 2022 के लिए कार्पेट बनाने के लिए सबसे पहले नेयट से संपर्क किया था.
जब वह सफल रहा, तो नेयट को दोबारा बनाने का मौका मिला.
उन्होंने कहा, ‘हम पॉपुलर होना नहीं चाहते थे. मैं अपने दोस्तों से इसका जिक्र अपमानजनक तरीके से करता था और फिर मुझे कई लोगों ने बताया कि लोगों को यह जानने का हक है कि भारत में इस पैमाने का कुछ किया जा रहा है. तभी हमने अपने काम को प्रचारित करने का फैसला किया.’
2016 में मानुस एक्स माकिना थीम के लिए, पारंपरिक लाल और गुलाबी रंग वाला कार्पेट को हटा दिया गया. दिवंगत जर्मन डिजाइनर कार्ल लेगरफेल्ड को सम्मानित करने की थीम को ध्यान में रखते हुए इस वर्ष भी इसका रंग लाल, सफेद और नीला था.
सतत लोकाचार, लेकिन ‘कोई काम आसान नहीं’
सिवन के मुताबिक, नेयट रिसाइकल मटीरियल के इस्तेमाल पर काफी जोर देती है, फिर चाहे वह रंगाई में इस्तेमाल होने वाला पानी हो या फिर ऑफिस में रखी पानी की बोतलें. इसकी मूल कंपनी एक्स्ट्रावीव के पास एक इन-हाउस एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट भी है, जिसे 2019 में केरल सरकार का सर्वोत्तम पर्यावरण अभ्यास पुरस्कार दिया गया था.
सिवन ने कहा कि गलीचा निर्माता के सभी उत्पाद हथकरघे से बनाए जाते हैं जो उनके उत्पादों को एक अच्छी और चिकनी फिनिशिंग देते हैं. जबकि हैंड-टफ्टिंग नामक एक प्रक्रिया रगों को अधिक टिकाऊ बनाने में मदद करती है. दस्तकारी आसनों के विविध रूप बनाने के लिए हाथ से गांठ लगाने की विभिन्न तकनीकों का उपयोग किया जाता है, जो फ़ारसी से लेकर तुर्की और इंडो-नेपाल शैलियों तक फैली हुई हैं.
सिवन कहते हैं, ‘क्योंकि ज्यादातर काम हाथ से किया जाता है, इसलिए हमेशा हाथ पर लकीरें आने का खतरा रहता है और कर्मचारियों को अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है.’
उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे काम का पैमाना बढ़ता है, चुनौतियां बढ़ती जाती हैं. 2023 मेट गाला कार्पेट के लिए, कंपनी को 58 रोल बनाने थे, जो कुल मिलाकर लगभग 7,000 वर्ग मीटर थे.
सिवन ने कहा, बिना किसी बदलाव और दोष के एक ही बुनाई के 58 रोल बनाना कोई आसान काम नहीं है.
वह कहते हैं, ‘मेट गाला पारंपरिक सामग्रियों से एक प्राकृतिक फाइबर उत्पाद में स्थानांतरित हो गया, जो विश्व स्तर पर स्थायी प्रथाओं की आवश्यकता पर जोर डालता है. टिकाऊ होना मायने रखता है और यह हमारे मूल्यों में से एक है. एक कंपनी के रूप में, हम अपना काम करते हैं.’
(संपादन: ऋषभ राज)
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