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Friday, 11 October, 2024
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कलाक्षेत्र बोर्ड सदस्य का बेटा यौन उत्पीड़न मामले में आरोपी हरि पदमन की कर रहा है वकालत

याचिकाकर्ता और हस्तक्षेप करने वाले याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि आरोपी हरि पदमन का प्रतिनिधित्व बोर्ड के सदस्य आर नटराज के बेटे नित्येश और वैभव वेंकटेश ने किया. वेंकटेश कलाक्षेत्र के वकील भी हैं.

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भोपाल: प्रतिष्ठित चेन्नई स्थित कलाक्षेत्र अकादमी में हुए यौन उत्पीड़न मामले में एक नया रहस्योद्घाटन हुआ है. दिप्रिंट को पता चला है कि अकादमी के लिए और कलाक्षेत्र में सहायक प्रोफेसर जिनपर छात्रों ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है के लिए एक ही वकील पेश हो रहे हैं. जिससे यौन उत्पीड़न के “हितों के टकराव” पर सवाल उठने लगा है.

पदमन के खिलाफ अडयार पुलिस ने मामला दर्ज किया है और वह फिलहाल न्यायिक हिरासत में है.

याचिकाकर्ता और हस्तक्षेप करने वाली याचिकाकर्ता AIDWA (ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक वीमेंस एसोसिएशन) की वकील गीता रामाशेषन और आर. थिरुमूर्ति ने रविवार को दिप्रिंट को बताया कि 11 अप्रैल को सैदापेट में मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत में पदमन का प्रतिनिधित्व नित्येश नटराज और वैभव वेंकटेश ने किया था.

थिरुमूर्ति ने कहा, “नित्येश और वैभव दोनों उस दिन अदालत में मौजूद थे.”

वेंकटेश कलाक्षेत्र फाउंडेशन के वकील भी हैं, जो मद्रास हाई कोर्ट में कलाक्षेत्र के छात्रों द्वारा दायर एक रिट याचिका में पहला प्रतिवादी था. मद्रास हाई कोर्ट की वेबसाइट पर उपलब्ध सोमवार, 24 अप्रैल की वाद सूची में इसकी पुष्टि की गई है.

नटराज कलाक्षेत्र के गवर्निंग बोर्ड के सदस्य आर. नटराज के बेटे हैं.

21 मार्च को प्रकाशित एक रिपोर्ट में, दिप्रिंट ने इस बात पर प्रकाश डाला था कि कैसे “कैंपस के सबसे प्रभावशाली व्यक्ति” के खिलाफ यौन और मौखिक उत्पीड़न की शिकायतों पर शुरुआत में रुक्मिणी देवी कॉलेज फॉर फाइन आर्ट्स, कलाक्षेत्र फाउंडेशन की आंतरिक शिकायत समिति द्वारा विचार नहीं किया गया था. 30 मार्च को कैंपस में छात्रों के विरोध के बाद पदमन को अंततः निलंबित कर दिया गया था.

हितों के टकराव के मुद्दे पर टिप्पणी करते हुए, मुंबई स्थित एक संगठन पॉश एट वर्क की पार्टनर सना हाकिम ने कहा कि यह (अलग-अलग मामलों में आरोपी शिक्षक के साथ-साथ फाउंडेशन का प्रतिनिधित्व करने वाला एक ही वकील) संस्थान की तटस्थता पर सवाल उठाता है. हकीम ने दिप्रिंट से कहा, “इससे संदेश जाता है कि एक तरह से फाउंडेशन आरोपी के साथ है. अभियुक्तों का प्रतिनिधित्व करने वाला वही व्यक्ति उनकी निष्पक्षता को सवालों के घेरे में लाता है,”

हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि अभियुक्त का प्रतिनिधित्व करने के लिए गवर्निंग बोर्ड के सदस्य के बेटे के लिए कोई कॉन्फिल्क्ट नहीं है, इसके आगे एक नैतिक प्रश्न चिह्न लगाया जा सकता है. “मैंने मामला नहीं लिया होता. लेकिन यह पेशेवर रूप से भी गलत नहीं है.”

वरिष्ठ अधिवक्ता सौरभ कृपाल ने भी कहा कि अकादमी और अभियुक्त दोनों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक ही वकील हितों के टकराव का एक स्पष्ट मामला है.

कृपाल ने दिप्रिंट से कहा, “यदि रिट याचिका संस्थान में यौन उत्पीड़न के खिलाफ है, तो संगठन और आरोपी के पास एक ही वकील नहीं होना चाहिए. यह स्पष्ट रूप से हितों का टकराव है.”

11 अप्रैल को जमानत की सुनवाई में हस्तक्षेप करने वाले याचिकाकर्ता और AIDWA का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता आर. थिरुमूर्ति ने कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि वही वकील कलाक्षेत्र के साथ-साथ हरि पदमन के लिए भी पेश हो रहा है.

थिरुमूर्ति ने दिप्रिंट को बताया, “पहली सुनवाई में मुझे नहीं पता था कि वकील के पिता भी गवर्निंग बोर्ड के सदस्य हैं. ट्रायल कोर्ट में पेश होने वाले वकीलों में से एक फाउंडेशन का प्रतिनिधित्व कर रहा है, यह भी कुछ ऐसा है जिसे मैं अदालत के संज्ञान में लाने जा रहा हूं. यह पूरी तरह से गलत है.”

दिप्रिंट ने वकील नित्येश नटराज और वैभव वेंकटेश से बार-बार कॉल, व्हाट्सएप और टेक्स्ट संदेशों पर संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन टिप्पणी के लिए संपर्क करने पर दोनों ने व्हाट्सएप पर दिप्रिंट को ब्लॉक कर दिया.

दिप्रिंट ने ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) के पूर्व विधायक और तमिलनाडु लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष आर नटराज से भी संपर्क किया, लेकिन उन्होंने यह कहते हुए फोन काट दिया कि “मुझे नहीं पता कि आप किस बारे में बात कर रहे हैं.”

वेंकटेश और नित्येश इससे पहले मद्रास हाई कोर्ट में विभिन्न मामलों में एक साथ पेश हो चुके हैं. उनका एक YouTube चैनल भी है, जो Nithyaesh और Vaibhav के नाम से चलता है. लिंक्डइन पर, चेन्नई के कुछ अधिवक्ता नित्येश और वैभव एसोसिएट्स एंड पार्टनर्स में काम करने का भी उल्लेख करते हैं. चेन्नई स्थित मैचप्वाइंट टेनिस अकादमी भी अपने कानूनी प्रतिनिधियों के रूप में अपनी फर्म के नाम और पते का उल्लेख करती है.

कलाक्षेत्र के पहले उत्पीड़न के आरोपों पर कथित रूप से किसी स्थिति में एक और जोखिम उठाने के लिए आलोचना की गई थी.

छात्रों ने अपनी रिट याचिका में संस्थान और निदेशक रेवती रामचंद्रन पर छिपाने की कोशिश का आरोप लगाया है. हाई कोर्ट ने 17 अप्रैल को पारित एक आदेश में इस पर भी ध्यान दिया और संस्थान में यौन उत्पीड़न रोकथाम अधिनियम (2013) के तहत गठित आंतरिक समिति के पुनर्गठन का निर्देश दिया.

पेटीशन में कहा गया है कि “छात्रों द्वारा वास्तविक शिकायतों की जांच करने के लिए संस्थागत उदासीनता और पहले (कलाक्षेत्र फाउंडेशन) और छठे (रेवती रामचंद्रन) प्रतिवादी द्वारा सहारा लिया गया, उत्तरजीवी के लिए अपनी पढ़ाई या शैक्षणिक कैरियर जारी रखने के लिए एक शत्रुतापूर्ण वातावरण बनाया और द्वितीयक उत्पीड़न का गठन नहीं किया. याचिका में कहा गया है कि केवल कलाक्षेत्र का नाम साफ करने के लिए की गई स्वत: संज्ञान जांच का स्वांग था, उक्त उत्तरदाताओं ने ‘कलाक्षेत्र फाउंडेशन (एसआईसी)’ को बदनाम करने को लेकर चेतावनी जारी की.


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यौन उत्पीड़न के आरोप

21 मार्च को प्रकाशित एक रिपोर्ट में, दिप्रिंट ने इस बात पर प्रकाश डाला था कि रुक्मिणी देवी कॉलेज फॉर फाइन आर्ट्स, कलाक्षेत्र फाउंडेशन की आंतरिक शिकायत समिति द्वारा पदमन के खिलाफ यौन और मौखिक उत्पीड़न की शिकायतों पर कथित रूप से विचार नहीं किया गया था.

19 मार्च को, कॉलेज ने कथित तौर पर उत्पीड़न के आरोपों की चर्चा के खिलाफ एक ऑर्डर भी जारी किया था, जिसे प्रशासन द्वारा “निराधार अफवाहें” बताकर खारिज कर दिया गया था.

रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) ने मामले का संज्ञान लिया. 24 मार्च को कलाक्षेत्र फाउंडेशन के चेयरपर्सन एस. रामादुरई द्वारा हस्ताक्षरित एक बयान जारी किया गया था, जिसमें कहा गया था कि फाउंडेशन ने पत्रिका (दिप्रिंट) में संदर्भित मामले पर सभी “तथ्यों और कार्यों को फाउंडेशन द्वारा पहले ही शुरू कर दिया गया था. इसने आरोपों को “घृणित अभियान” कहा.

29 मार्च को NCW प्रमुख रेखा शर्मा ने परिसर का दौरा किया. छात्रों ने तब दिप्रिंट को बताया था कि कैसे शर्मा से बात करने से प्रशासन डर रहा था, और वो जल्दबाजी में चले गए थे.

अगले दिन, छात्रों ने परिसर में विरोध किया, और उनकी शिकायतों पर कार्रवाई नहीं करने के बारे में निर्देशक रेवती रामचंद्रन से भिड़ गए.

कलाक्षेत्र गवर्निंग बोर्ड ने बाद में आरोपों की जांच के लिए एक स्वतंत्र समिति का गठन किया था. एडवोकेट अजिता बी.एस. ने 4 अप्रैल को आंतरिक समिति से इस्तीफा दे दिया था. जिस तरह से प्रशासन ने विवाद को संभाला उस पर अपनी आपत्ति व्यक्त करते हुए कहा था कि वह इसकी प्रतिक्रिया से “परेशान” थी.

(संपादन: पूजा मेहरोत्रा)
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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