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Saturday, 20 April, 2024
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा- पता चलने तक परमबीर सिंह को नहीं दी जाएगी कोई सुरक्षा, न होगी सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने उनके वकील को परमबीर सिंह का पता बताने का निर्देश दिया और पूर्व पुलिस आयुक्त की ओर से उनके पावर आफ अटॉर्नी की याचिका 22 नवंबर के लिए सूचीबद्ध कर दी.

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नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह को अपना पता बताने का निर्देश देते हुए कहा कि ‘जब तक हमें यह नहीं पता चल जाता कि आप कहां हैं तब तक कोई सुरक्षा नहीं दी जाएगी, कोई सुनवाई नहीं होगी.’ सिंह ने न्यायालय से सुरक्षात्मक आदेश देने का अनुरोध किया है.

न्यायालय ने उनके वकील को सिंह का पता बताने का निर्देश दिया और पूर्व पुलिस आयुक्त की ओर से उनके पावर आफ अटॉर्नी की याचिका 22 नवंबर के लिए सूचीबद्ध कर दी.

न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की पीठ ने कहा कि सुरक्षा देने का अनुरोध करने वाली उनकी याचिका पावर ऑफ अटॉर्नी के जरिए दायर की गयी है.

पीठ ने कहा, ‘आप सुरक्षात्मक आदेश देने का अनुरोध कर रहे हैं लेकिन कोई नहीं जानता कि आप कहां हैं. मान लीजिए आप विदेश में बैठे हैं और पावर ऑफ अटॉर्नी के जरिए कानूनी सहारा ले रहे हैं तो क्या होगा. अगर ऐसा है, तो अदालत यदि आपके पक्ष में फैसला देती है तभी आप भारत आयेंगे, हम नहीं जानते कि आपके दिमाग में क्या चल रहा है. जब तक हमें यह पता नहीं चल जाता कि आप कहां हैं, तब तक कोई सुरक्षा नहीं, कोई सुनवाई नहीं होगी.’

न्यायालय ने कहा, ‘याचिका पावर ऑफ अटॉर्नी के जरिए दायर की गयी है. आप कहां हैं. आप देश में हैं या देश से बाहर? आप कहां हैं. पहले जब हमें पता चलेगा कि आप कहां हैं तभी हम आगे कुछ करेंगे?’

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मुंबई में एक मजिस्ट्रेट अदालत ने बुधवार को सिंह को उनके खिलाफ दर्ज वसूली मामले में ‘भगोड़ा अपराधी’ घोषित किया. सिंह इस साल मई में आखिरी बार कार्यालय आए थे जिसके बाद वह अवकाश पर चले गए. राज्य पुलिस ने बंबई उच्च न्यायालय को पिछले महीने बताया कि सिंह के बारे में उसके पास कोई जानकारी नहीं है.

वसूली मामले की जांच कर रही मुंबई पुलिस की अपराध शाखा ने उन्हें भगोड़ा घोषित करने की मांग करते हुए कहा कि आईपीएस अधिकारी को गैर जमानती वारंट जारी किए जाने के बाद भी उनका पता नहीं चल सका है.

गोरेगांव पुलिस थाने में दर्ज इस मामले में पूर्व सहायक पुलिस इंस्पेक्टर सचिन वाजे भी आरोपी है. अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट एस बी भाजीपले ने बुधवार को सिंह के अलावा सह-आरोपियों विनय सिंह और रियाज भट को भी भगोड़ा अपराधी घोषित किया.

रियल स्टेट डेवलेपर और होटलों के मालिक बिमल अग्रवाल ने आरोप लगाया था कि आरोपियों ने उसे दो बार और रेस्त्रां पर छापे न मारने की एवज में उससे नौ लाख रुपये वसूले थे और उसे उनके लिए 2.92 लाख रुपये के दो स्मार्टफोन खरीदने के लिए भी विवश किया था. उसने दावा किया था कि ये घटनाएं जनवरी 2020 और मार्च 2021 के बीच की हैं.

उसकी शिकायत के बाद छह आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 384 और 385 के तहत एक मामला दर्ज किया गया. सिंह ठाणे में भी वसूली के एक मामले का सामना कर रहे हैं.

आईपीएस अधिकारी को मुंबई पुलिस आयुक्त के पद से मार्च 2021 में तब हटा दिया गया था जब उद्योगपति मुकेश अंबानी के दक्षिण मुंबई स्थित आवास ‘एंटीलिया’ के पास एक एसयूवी से विस्फोटक पदार्थ बरामद होने के मामले में वाजे को गिरफ्तार किया गया था. विस्फोटक पदार्थ मिलने के बाद ही ठाणे के उद्योगपति मनसुख हिरेन का शव मिला था.

इसके बाद सिंह को होम गार्ड्स का महानिदेशक नियुक्त किया गया, जिसके बाद उन्होंने महाराष्ट्र के तत्कालीन गृह मंत्री अनिल देशमुख पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था. बाद में देशमुख को भी मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा और सीबीआई ने सिंह के आरोपों पर उनके खिलाफ एक मामला दर्ज किया.

सिंह को आखिरी बार सार्वजनिक रूप से सात अप्रैल को देखा गया था जब वह एंटीलिया मामले में बयान दर्ज कराने के लिए यहां राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के समक्ष पेश हुए थे. सीबीआई ने देशमुख मामले में भी उनका बयान दर्ज किया था.

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सिंह चार मई को आखिरी बार कार्यालय आए थे जिसके बाद वह स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अवकाश पर चले गए. सिंह ने इसके बाद अवकाश बढ़ाए जाने का अनुरोध करते हुए दावा किया था कि उनकी सर्जरी हुई है. अगस्त में उन्होंने अवकाश और बढ़ाए जाने का अनुरोध किया.

पुलिस ने 20 अक्टूबर को बंबई उच्च न्यायालय को बताया था कि उनका पता नहीं चला है और इसलिए वह मामले में उन्हें गिरफ्तार न करने का पहले दिया आश्वासन अब नहीं दे सकती.


यह भी पढ़ेंः मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह के खिलाफ तीसरा गैरजमानती वारंट जारी


 

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