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Monday, 8 September, 2025
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शोधकर्ता विदेश ले जाई गई भारतीय पांडुलिपियों का डेटाबेस तैयार करेंगे

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नयी दिल्ली, तीन सितंबर (भाषा) विदेश ले जाई गई भारतीय पांडुलिपियों का डेटाबेस तैयार किया जायेगा। शोधकर्ताओं ने एक प्रेस वार्ता में यह जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि भारतीय पांडुलिपियों से ज्ञान का एक ब्रह्मांड निर्मित हुआ है, जो व्यापार या विद्वानों के आदान-प्रदान के हिस्से के रूप में बाहर गए और गणित में योगदान दिया, जैसा कि दुनिया जानती है, और इसे समझने और एक डेटाबेस के रूप में दस्तावेज करने का इरादा है।

पांडुलिपियां मूल हस्तलिखित दस्तावेज हैं और ज्ञान के संरक्षण का एक महत्वपूर्ण साधन हैं।

संहिता की परियोजना निदेशक सुधा गोपालकृष्णन ने 4-5 सितंबर को होने वाले सम्मेलन से पहले एक प्रेस वार्ता में कहा, ‘‘2022 में शुरू किया गया संहिता – या ‘दक्षिण एशियाई पांडुलिपि इतिहास और पाठ्य संग्रह’ – विदेश मंत्रालय द्वारा समर्थित एक प्रयास है, जिसका उद्देश्य उपहार के रूप में भारत से बाहर ले जाई गई पांडुलिपियों का एक डिजिटल डेटाबेस का पता लगाना और उसे तैयार करना है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘लोग यहां पांडुलिपि पर शोध करने आते हैं और उसे यूरोप या दक्षिण-पूर्व एशिया ले जाते हैं, और वह वहां की संपत्ति का हिस्सा बन जाती है। भारतीय पांडुलिपियों के इर्द-गिर्द ज्ञान का एक विशाल ब्रह्मांड रचा गया है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमारा लक्ष्य ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय या पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय जैसी जगहों पर उपलब्ध इन पाठ्य-पुस्तकों का डिजिटलीकरण भी करना है।’’ उन्होंने कहा कि इस प्रकार निर्मित डेटाबेस जनता के लिए खुला होगा।

यह पहल तीन वर्ष पहले विदेश मंत्रालय की सहायता से ‘इंडिया इंटरनेशनल सेंटर’ द्वारा शुरू की गई थी।

गोपालकृष्णन ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘यह सम्मेलन प्राचीन पांडुलिपियों में निहित विचारों और दृष्टिकोणों के प्रति वर्तमान पीढ़ी को संवेदनशील बनाने का एक प्रयास है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘पांडुलिपियों को पढ़ना न तो कठिन है और न ही दुर्गम। वे उन लोगों के विचारों और अवधारणाओं से संबंधित हैं जो कभी यहां रहते और काम करते थे। हमारा उद्देश्य प्राचीन ज्ञान से जुड़ना और यह देखना है कि क्या उनमें कुछ नया है जिसे आधुनिक युग आत्मसात और समझ सके।’’

इंडिया इंटरनेशनल सेंटर के निदेशक के एन श्रीवास्तव ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि युवाओं को गणित में शामिल होने की जरूरत है और ‘‘सम्मेलन के माध्यम से हम उन्हें इस क्षेत्र में रुचि विकसित करने के लिए प्रेरित करने की उम्मीद करते हैं।’’

भाषा

देवेंद्र माधव

माधव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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