scorecardresearch
Wednesday, 2 October, 2024
होमदेशएशियाड से पूरा किया UP पुलिस में DSP बनने का सपना, बोलीं- दौड़ते समय सिर्फ DSP कुर्सी पर थी नजर

एशियाड से पूरा किया UP पुलिस में DSP बनने का सपना, बोलीं- दौड़ते समय सिर्फ DSP कुर्सी पर थी नजर

पारुल अंतिम लैप में शीर्ष दो में शामिल थी और फिर अंतिम लम्हों में जापान की रिरिका हिरोनाका को पछाड़कर 15 मिनट 14.75 सेकेंड के समय के साथ स्वर्ण पदक जीतने में सफल रहीं.

Text Size:

नई दिल्ली: ‘दौड़ के वक़्त मेरे दिलो दिमाग में डीएसपी की कुर्सी चल रही थी’, चीन के हांगझोऊ में चल रहे एशियाई खेलों में 5000 मीटर दौड़ में गोल्ड मेडल जीतने वाली आज सातवें आसमान पर हैं. पारुल चौधरी 28 साल की हैं. और उन्होंने 24 घंटे में देश के लिए दो पदक जीते, जिसमें गोल्ड और सिल्वर मेडल शामिल हैं.

पारुल ने मंगलवार को एशियाई खेलों में महिलाओं की 5000 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास में अपना नाम दर्ज करा लिया. वो पेरिस ओलंपिक के लिए भी क्वालीफाई कर चुकी हैं.

सोमवार को महिलाओं की 3000 मीटर स्टीपलचेज़ में सिल्वर मेडल जीतने के बाद मैदान पर लौटीं, पारुल अंतिम लैप में शीर्ष दो में शामिल थी और फिर अंतिम लम्हों में जापान की रिरिका हिरोनाका को पछाड़कर 15 मिनट 14.75 सेकेंड के समय के साथ स्वर्ण पदक जीतने में सफल रहीं.

पारुल चौधरी ने बताया कि, “दौड़ के वक़्त मेरे दिमाग में यूपी सरकार की एक नीति घूम रही थी जिसमें कहा गया है कि यदि आप एशियाई खेलों में गोल्ड मेडल जीतते हैं, तो आपको यूपी पुलिस में डीएसपी रैंक दिया जाएगा.”

उन्होंने आगे बताया, “मुझे जब सिल्वर मेडल मिला तो मैं बहुत खुश थी. खुशी के मारे मुझे पूरी रात नींद नहीं आई सुबह पांच बजे मुझे नींद आई जिसकी वजह से मेरी नींद पूरी नहीं हुई. मैं डरी हुई थी मुझे इस दौड़ में उम्मीद नहीं थी कि मुझे गोल्ड मिल जाएगा लेकिन मेरा शरीर अच्छा चला और भगवान ने मेरा साथ दिया साथ ही मेरे भारतवासियों ने मेरे लिए दुआ की जिसकी वजह से मुझे गोल्ड मिला है.”

पारुल ने बताया कि, स्टीपल चेज में मैं पहले से ही ओलिंपिक क्वालीफ़ायर हूं मैं अब ओलिंपिक के लिए तैयारी करूंगी.

वह दौड़ तो देश के लिए रही थी लेकिन उसके दिलो दिमाग में यूपी पुलिस की डीएसपी की वर्दी घूम रही थी..उसे अपने आपको न केवल एशियाड में देश के लिए खुद को कर दिखाना था बल्कि उसे अपने गांव वालों को भी दिखाना था कि बेटी हूं लेकिन किसी से कम नहीं हूं. एशियाड 2023 में भारत पहली बार सौ से अधिक मेडल लेकर आया है. कम सुविधाओं में पल बढ़ रहे युवाओं का कुछ कर गुजरने का जुनून हावी है. उनकी एक नजर अपने खेल और परफॉरमेंस पर होती है तो दूसरी नजर अपने उस सपने पर होती है जो उन्होंने बचपन में देखा था..पारुल ने भी एशियाड में गोल्ड जीतकर यूपी पुलिस की डीएसपी की कुर्सी पर कब्जा जमा लिया है.


यह भी पढ़ें: कैसे 14 महीनों में 56 मौत की सज़ाओं में सुप्रीम कोर्ट के नए दिशानिर्देशों की अनदेखी की गई


‘ये शौक देश को गोल्ड देगा उम्मीद नहीं थी’

पारुल के मेरठ के इकलौता गांव में जश्न का माहौल है और उनके पिता को ये यकीन नहीं हो रहा कि उनकी बेटी का शौक एक दिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन करेगा.

पारुल के पदक जीतने के बाद गांव में उनके परिजनों को बधाई देने वालों की कतार लगी हुई है.

पारुल के पिता कृष्ण पाल ने कहा कि, “उनकी बेटी का सपना ओलंपिक में देश के लिए खेल कर जीतना है”.

उन्होंने कहा,‘‘मैंने उससे कहा था बिटिया अब शादी कर लो ताकि हम अपना फर्ज पूरा करें. लेकिन बिटिया ने कहा कि पापा जब तक मैं ओलंपिक में खेलकर भारत का नाम नहीं रोशन कर दूंगी तब तक मैं शादी नहीं करूंगी.”

कृष्णपाल ने कहा,‘‘मेरी बेटी कभी शौक से खेतों में दौड़ा करती थी. लोगों के ताने भी सहने पड़ते थे. मुझे नहीं पता था कि एक दिन उसका यह शौक देश का गौरव बन जाएगा.’’

पारुल ने बचपन में काफी परेशानी से अपना वक्त गुजारा. वह लंबा रास्ता तय करके अभ्यास के लिए कैलाश प्रकाश स्टेडियम पहुंचती थी.

पारुल चौधरी की प्रेरणा उनकी बड़ी बहन प्रीति थी. वह भी धाविका थी और राष्ट्रीय स्तर तक की प्रतियोगिताओं में पदक जीतती थी. पारुल बड़ी बहन के साथ ही स्टेडियम में अभ्यास के लिए आया करती थीं. पारुल ने अपनी कड़ी मेहनत कभी बंद नहीं की. पारुल फिलहाल मुंबई में टीटीआई के पद पर तैनात है.

मेरा और मेरी बेटी का सपना अब ओलंपिक का है

वहीं पारुल की मां ने कहा कि उनकी बेटी ने देश को गौरवान्वित किया है और अब वह ओलंपिक के अपने सपने को पूरा करेगी.

उन्होंने आगे बताया कि, “यहां बहुत खुशी का माहौल है. मेरे साथ-साथ पूरा गांव बहुत खुश है. मेरी बेटी ने भारत को नाम रोशन किया है. अब मेरा और मेरी बेटी का सपना ओलंपिक का है.”

पारुल के चार भाई बहन हैं और वह तीसरे नंबर की हैं. पारुल के पिता कृष्ण पाल सिंह किसान हैं और माता राजेश देवी गृहणी हैं. पारुल की बड़ी बहन भी अब खेल कोटे से सरकारी नौकरी पर हैं और पारुल का एक भाई उत्तर प्रदेश पुलिस में है.

पारुल की गोल्ड मेडल जीतने की खबर जैसे ही जिले के कैलाश प्रकाश स्टेडियम पहुंची तो वहां अभ्यास कर रहे खिलाड़ियों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी. पारुल के साथ अभ्यास करने वाले साथी खिलाड़ियों ने स्टेडियम में मिठाई बांटकर अपनी खुशी जाहिर की.

लड़कों के साथ करती थीं अभ्यास

पारुल के कोच रहे गौरव ने बताया कि शुरू में वह लड़कों के साथ अभ्यास करती थी. जिसका लाभ पारुल चौधरी को अब मिल रहा है.

पारुल ने दो महीने पहले ही थाइलैंड के बैंकाक में आयोजित एशियन चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक अपने नाम किया था. 2018 एशियन गेम्स में भी पारुल मेडल जीत चुकी हैं. पारुल दो बार वर्ल्ड चैंपियनशिप में भी देश का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं.

वहीं गांव के प्रधान जोनू ने कहा,‘‘इससे बढ़ कर हमारे गांव के लिए खुशी नहीं हो सकती कि आज गांव की बेटी ने गांव का ही नहीं पूरे देश का नाम पूरी दुनिया में रोशन किया है.”

इस जीत के बाद प्रधानमंत्री मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पारुल चौधरी को इस शानदार प्रदर्शन के लिए बधाई दी.

पारुल ने इसी वर्ष केरल में आयोजित स्टीपल चेज में गोल्ड मेडल जीता था.


यह भी पढ़ें:बच्चों के लिए सुरक्षित नहीं हैं फैमिली कोर्ट, उनमें वेटिंग रूम, काउंसलर और खिलौनों की है जरूरत


 

share & View comments