कोहिमा, चार सितंबर (भाषा) नगालैंड की आरक्षण प्रणाली में लगातार असमानताओं का आरोप लगाते हुए कोहिमा के विधायक त्सेइलहोतुओ रुत्सो ने बृहस्पतिवार को राज्य सरकार से व्यापक सुधार करने की अपील किया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह लाभ समाज के वास्तविक वंचित वर्गों तक पहुंचे।
विधानसभा में शून्यकाल के दौरान यह मामला उठाते हुए रुत्सो ने कहा कि 70 से 80 प्रतिशत उन्नत जनजातियां (एटी) और 10 से 20 प्रतिशत पिछड़ी जनजातियां (बीटी) आराम की जिंदगी जीती हैं जबकि 20 से 30 प्रतिशत एटी और लगभग 80 से 90 प्रतिशत बीटी वर्ग शिक्षा और अवसरों से वंचित रहता है।
उन्होंने दावा किया कि दोनों श्रेणियों में आरक्षण प्रणाली पर क्रीमी लेयर का एकाधिकार हो गया है, जिससे इसका मूल उद्देश्य ही विफल हो गया है।
राज्य में आरक्षण के इतिहास का हवाला देते हुए, विधायक ने याद दिलाया कि 25 प्रतिशत आरक्षण पहली बार 1977 में तृतीय एवं चौथे समूह के पदों पर सात जनजातियों के लिए लागू किया गया था।
वर्ष 1979 में इसे बढ़ाकर 33 प्रतिशत कर दिया गया जब जेलियांग जनजाति को इसमें शामिल कर लिया गया और तकनीकी तथा राजपत्रित पदों तक भी इसका विस्तार कर दिया गया।
वर्ष 1989 में पिछड़ी जनजातियों के लिए आरक्षण अनिश्चित काल के लिए बढ़ा दिया गया।
उन्होंने सुझाव दिया कि अगर मौजूदा व्यवस्था को बरकरार रखा जाता है, तो क्रीमी लेयर के प्रभुत्व को रोकने के लिए कोटा को आंतरिक रूप से विभाजित कर दिया जाए।
भाषा
राजकुमार माधव
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