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Thursday, 25 April, 2024
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मूड ऑफ द नेशन पोल का दावा- PM पद के लिए मोदी पहली पसंद, शाह उत्तराधिकारी और गडकरी बेस्ट परफॉर्मर

इंडिया टुडे-सी वोटर सर्वे में शामिल 48 फीसदी लोगों के मुताबिक, देश में लोकतंत्र खतरे में है. जनवरी में 51.9 फीसदी ने माना था कि अर्थव्यवस्था को संभालने के मामले में सरकार का प्रदर्शन 'उत्कृष्ट या फिर बेहतर' है, लेकिन आज सिर्फ 48 फीसदी लोग ऐसा सोचते हैं.

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नई दिल्ली: पहली बार इस पद के लिए चुने जाने से लेकर आज आठ साल बाद तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता रेटिंग लगातार बढ़ती जा रही है. हाल ही में किए गए इंडिया टुडे-सीवोटर मूड ऑफ द नेशन सर्वे से यह जानकारी मिली है. इसके 65.5 फीसदी उत्तरदाताओं ने उनके प्रदर्शन को ‘आउटस्टैंडिंग ‘ या ‘बेहतर’ माना है. पिछले अगस्त से इसमें 12 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.

लेकिन उनकी लोकप्रियता रेटिंग अगस्त 2020 की तुलना में कम होती दिख रही है. उस दौरान यह उच्च स्तर यानी 78 प्रतिशत पर थी.

सर्वे में शामिल 53 फीसदी लोग एक बार फिर से मोदी को ही देश का पीएम बनते देखना चाहते हैं. उनके संभावित प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस नेता राहुल गांधी दूसरे नंबर पर हैं, जिन्हें महज 9 फीसदी लोग ही प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल 7 फीसदी के साथ दौड़ में काफी पीछे हैं.

सर्वे में पाया गया कि बीजेपी के भीतर अमित शाह, राजनाथ सिंह या नितिन गडकरी जैसे वरिष्ठ नेता लोकप्रियता के मामले में कहीं भी पीएम के करीब नहीं हैं.

इस साल फरवरी और अगस्त के बीच किए गए सर्वे के 44वें संस्करण में 48 फीसदी भारतीयों का मानना है कि देश में लोकतंत्र खतरे में है. यह आकड़ा जनवरी में 44 प्रतिशत था. ग्रामीण भारत में ऐसा मानने वालों की संख्या 51 फीसदी से ज्यादा है.

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मोदी सरकार ने जिस तरह से अर्थव्यवस्था को संभाला है, उसके संदर्भ में सर्वे में शामिल 67 फीसदी ने माना कि 2014 यानी जब से मोदी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार सत्ता में आई है, उनकी आर्थिक स्थिति या तो खराब हो गई है या फिर स्थिर है.


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हालांकि अगस्त 2020 में किए गए सर्वे के 70 फीसदी उत्तरदाताओं ने अर्थव्यवस्था के संभालने के मामले में सरकार के प्रदर्शन को ‘आउटस्टैंडिंग या बेहतर’ माना था. उसके बाद से संख्या में लगातार गिरावट आई है – इस साल जनवरी में घटकर 51.9 फीसदी और अब 48 फीसदी हो गई है. यह कोविड महामारी की वजह से आजीविका के नुकसान, उच्च मुद्रास्फीति और साथ ही साथ रूस-यूक्रेन युद्ध का नतीजा हो सकता है.

लगभग 29 प्रतिशत उत्तरदाताओं – फरवरी 2016 के बाद से उच्चतम – ने अर्थव्यवस्था को संभालने में मोदी सरकार के प्रदर्शन को ‘खराब या बहुत खराब’ की कैटेगरी में रखा है.

अपनी लोकप्रियता के मामले में आज तक मोदी सबसे काफी आगे हैं. 45 फीसदी उत्तरदाताओं ने उन्हें आजादी के बाद से भारत के सर्वश्रेष्ठ पीएम के रूप में माना है. बीजेपी के पहले पीएम अटल बिहारी वाजपेयी 17 फीसदी के साथ दूसरे नंबर पर हैं, इसके बाद कांग्रेस की इंदिरा गांधी 13 फीसदी और मनमोहन सिंह 8 फीसदी के साथ तीसरे और चौथे नंबर पर हैं.

भारत के पहले प्रधानमंत्री, जवाहरलाल नेहरू लिस्ट में सबसे आखिरी स्थान पर हैं. उन्हें सिर्फ 5 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने अब तक का सर्वश्रेष्ठ पीएम बताया.

मूड ऑफ द नेशन सर्वे हर साल दो बार किया जाता है और इसके नतीजे जनवरी और अगस्त में जारी किए जाते हैं. सभी राज्यों के कुल 1,22,016 उत्तरदाताओं ने इस बार के सर्वे में भाग लिया था.

गडकरी सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले मंत्री, तो शाह मोदी के उत्तराधिकारी के तौर पर सबसे उपयुक्त

सर्वे में जहां मोदी अपनी सरकार के अन्य वरिष्ठ नेताओं की तुलना में लोकप्रियता के मामले में बहुत आगे हैं, वहीं सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी को सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले मंत्री का दर्जा दिया गया है. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह मोदी के उत्तराधिकारी के रूप में सबसे उपयुक्त माने गए हैं.

लगभग 25 फीसदी उत्तरदाताओं ने शाह को मोदी के उत्तराधिकारी के रूप में वोट दिया. इसके बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (24 फीसदी), गडकरी (15 फीसदी) और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह (9 फीसदी) को वोट किया गया.

23 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने गडकरी को सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले मंत्री के रूप में दर्जा दिया है, जबकि अगस्त 2019 में उन्हें सिर्फ 5 फीसदी लोगों ने पसंद किया था. राजनाथ सिंह 20 फीसदी के साथ दूसरे स्थान पर हैं और शाह सिर्फ 17 प्रतिशत लोगों की पसंद बने.

आदित्यनाथ ‘सर्वश्रेष्ठ मुख्यमंत्री’, नवीन पटनायक गृह राज्य में ‘सबसे लोकप्रिय’

भारत के मुख्यमंत्रियों में उत्तर प्रदेश के योगी आदित्यनाथ को अगस्त 2020 के बाद से लगातार पांचवीं बार सर्वे में शामिल लोगों ने सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री माना है. इस बार के सर्वे में कुल 40 फीसदी उत्तरदाताओं ने उनका समर्थन किया है, जबकि इस साल जनवरी में उन्हें पसंद करने वाले महज 27.1 फीसदी ही थे. उन्होंने कुछ ही महीनों में एक लंबी छलांग लगाई है.

आदित्यनाथ के बाद दूसरे नंबर पर दिल्ली के सीएम केजरीवाल (22 फीसदी) हैं और उसके बाद पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी (9 फीसदी) का नंबर आता है.

अपने-अपने राज्यों में सबसे लोकप्रिय सीएम में ओडिशा के नवीन पटनायक का दबदबा जारी है. उनकी रेटिंग में और सुधार हुआ है. इस साल जनवरी में उन्हें 71 फीसदी उत्तरदाताओं ने अपना समर्थन दिया था. अगस्त में यह 78 फीसदी पर पहुंच गया. असम के हेमंत बिस्वा सरमा 63 प्रतिशत की रेटिंग के साथ गृह राज्य में दूसरे सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री हैं. इसके बाद तमिलनाडु के एम. के. स्टालिन 61 प्रतिशत के साथ तीसरे नंबर पर हैं.

राज्यों में कुल 1,19,537 उत्तरदाताओं को भारत में 30 सीएम की सूची से उनकी पसंद के आधार पर सबसे लोकप्रिय सीएम को रेट करने के लिए कहा गया था.

सर्वे में पाया गया कि पूरे भारत में शीर्ष 10 सबसे लोकप्रिय सीएम में से 60 प्रतिशत और अपने गृह राज्यों में शीर्ष 10 सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री भाजपा से नहीं हैं. यह तब है जब पार्टी 13 राज्यों में सत्ता में बनी हुई है.

अगर आज चुनाव हुए तो मोदी के नेतृत्व वाले एनडीए को बहुमत मिलेगा

सर्वे के नतीजों के मुताबिक, अगर 1 अगस्त को संसदीय चुनाव हुए होते, तो मोदी के नेतृत्व वाले एनडीए को आसानी से बहुमत मिल जाता, भले ही इसके कुछ पुराने सहयोगी दल जैसे तेलुगु देशम पार्टी और शिरोमणि अकाली दल ने एनडीए छोड़ दिया है.

हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव के नतीजों की तुलना में एनडीए की सीटों में हिस्सेदारी कम हो गई है. सर्वे में पाया गया कि 9 अगस्त को (नीतीश कुमार के जद(यू) के एनडीए से बाहर होने से पहले), मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा अपने दम पर 283 सीटे ला सकती थी. हालांकि यह उसके खुद के 2019 के प्रदर्शन की तुलना में 23 कम है. एनडीए 307 सीटें जीत सकता है, जो 272 के साधारण बहुमत के लिए जरूरी से 35 अधिक है. 2019 में एनडीए 352 सीटों के साथ सत्ता में आया था.

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के भाजपा से नाता तोड़ने के बाद 10 अगस्त को किए गए एक स्नैप पोल में, एनडीए की संख्या 307 से घटकर 286 और बीजेपी की 275 हो गई. यह आकड़े दिखाते हैं कि जद(यू) के बाहर निकलने से एनडीए की लोकप्रियता प्रभावित हुई है. हालांकि ये देखने के लिए अभी इंतजार करना होगा कि पार्टी 2024 के लोकसभा चुनावों में कैसा प्रदर्शन करती है.

वैसे अगर आज चुनाव होते हैं तो विपक्षी गठबंधन एनडीए को चुनौती देने के आस-पास कहीं ठहरता नजर नहीं आ रहा है. सिर्फ 42 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने माना कि विपक्षी गठबंधन केंद्र में मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा को चुनौती दे सकता है, जबकि 40 प्रतिशत ने कहा कि यह संभव नहीं है. 18 प्रतिशत उत्तरदाता इस सवाल के जवाब को लेकर अनिश्चित थे.

’38 फीसदी ने माना, सरकार ईडी, सीबीआई, आईटी विभागों का दुरुपयोग कर रही है’

एनडीए सरकार के प्रदर्शन को ‘खराब’ या ‘बहुत खराब’ के रूप में रेटिंग देने वाले उत्तरदाताओं की संख्या में भी उछाल आया है. अगस्त 2020 में ऐसे उत्तरदाताओं का प्रतिशत सिर्फ 5 था जो इस सर्वे में बढ़कर 29 प्रतिशत हो गया.

लगभग 38 फीसदी उत्तरदाताओं का मानना है कि भाजपा सरकारें अन्य विभागों की तुलना में प्रवर्तन निदेशालय, केंद्रीय जांच ब्यूरो और आईटी विभागों का अधिक दुरुपयोग कर रही हैं, जबकि इस साल जनवरी में किए गए सर्वे में सिर्फ 32 फीसदी लोगों ने इस बात को माना था. कुछ 32 फीसदी भारतीय का सोचना है कि मोदी सरकार के शासनकाल में सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ा है. जनवरी में 26 प्रतिशत उत्तरदाता इस बात से सहमत थे.

सर्वे में शामिल लगभग 22 फीसदी लोगों ने देश में बिगड़ती सांप्रदायिक सद्भावना के लिए भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को जिम्मेदार ठहराया.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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