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Friday, 22 August, 2025
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मोदी, शाह ने दागी नेताओं को हटाए जाने संबंधी विधेयक की आलोचना करने के लिए विपक्ष पर निशाना साधा

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गयाजी/कोच्चि, 22 अगस्त (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संविधान (130वां संशोधन) विधेयक 2025 का विरोध करने वाले राजनीतिक दलों पर शुक्रवार को निशाना साधा। मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि सत्ता में बैठे लोगों द्वारा जेल से सरकार चलाने की प्रथा बंद होनी चाहिए।

विवादास्पद विधेयक पर मोदी और शाह का हमला कांग्रेस समेत विपक्षी दलों की तीखी आलोचना के बीच आया है, जिन्होंने विधेयक को ‘‘बड़े पैमाने पर ध्यान भटकाने का हथियार’’ बताया है।

गंभीर आपराधिक आरोपों में कम से कम 30 दिन तक गिरफ्तार रहने वाले प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को पद से हटाने संबंधी विधेयक से जुड़े विवाद पर अपनी पहली टिप्पणी में मोदी ने बिहार के गयाजी में एक रैली में कहा कि कांग्रेस, राजद और वामपंथी दल ‘क्रोधित’ हैं, क्योंकि इन दलों के नेता भ्रष्टाचार के दोषी हैं।

मोदी ने दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का स्पष्ट संदर्भ देते हुए कहा, ‘‘हमने एक ऐसी स्थिति देखी है जिसमें सत्ता में बैठे लोग जेल से सरकार चला रहे हैं, सलाखों के पीछे से फाइलों पर हस्ताक्षर कर रहे हैं और संवैधानिक मर्यादा की धज्जियां उड़ा रहे हैं।’’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘इसलिए, हमने एक ऐसा कानून लाने का फैसला किया है जिसके तहत अगर कोई भ्रष्ट मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री 30 दिन जेल में रहता है, तो उसे बर्खास्त किया जा सकता है। अगर कोई मामूली क्लर्क थोड़े समय के लिए भी जेल में रहता है, तो उसे निलंबित कर दिया जाता है।’’

मोदी ने कहा, ‘‘लेकिन जब हमने एक कड़ा कानून लाने की कोशिश की, तो राजद, कांग्रेस और वामपंथी दल भड़क गए। वे इसलिए नाराज हैं क्योंकि वे अपने पापों की सजा भुगतने से डर रहे हैं।’’

शाह ने बुधवार को लोकसभा में संविधान (130वां संशोधन) विधेयक 2025 पेश किया था, जिसमें कम से कम पांच साल की जेल की सजा वाले गंभीर अपराधों में लगातार 30 दिन तक गिरफ्तार रहने वाले प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को हटाने का प्रस्ताव है।

केरल में एक मीडिया कार्यक्रम में शाह ने विधेयक का विरोध करने वाले राजनीतिक दलों पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, ‘‘इस मामले में और कुछ कहने की जरूरत नहीं है। मैंने संसद में देश के लोगों से पूछा है: क्या वे चाहते हैं कि प्रधानमंत्री जेल से सरकार चलाएं? यह कैसी बहस है? यह नैतिकता का सवाल है।’’

कोच्चि में मलयाला मनोरमा समूह द्वारा आयोजित ‘मनोरमा न्यूज कॉन्क्लेव’ का उद्घाटन करने के बाद उन्होंने कहा, ‘‘अब वे पूछ रहे हैं कि इसे पहले संविधान में क्यों नहीं शामिल किया गया। जब संविधान का मसौदा तैयार किया गया था, तब यह अनुमान नहीं लगाया गया था कि जेल जा चुके लोग निर्वाचित पदों पर बने रहेंगे।’’

गृह मंत्री ने दिल्ली के मुख्यमंत्री रहते हुए भ्रष्टाचार के आरोप में अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी और जेल जाने के बाद उनके इस्तीफा देने से इनकार करने का उल्लेख किया।

शाह ने कहा, ‘‘अब, एक ऐसी घटना हुई है, जिसमें एक मुख्यमंत्री ने जेल से सरकार चलाई। तो क्या संविधान में संशोधन किया जाना चाहिए या नहीं।’’ उन्होंने कहा कि अगर केजरीवाल ने गिरफ्तारी के बाद इस्तीफा दे दिया होता, तो यह नया विधेयक पेश नहीं किया गया होता।

शाह ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन पर निशाना साधते हुए कहा कि स्टालिन को 130वें संविधान संशोधन विधेयक को ‘‘काला विधेयक’’ कहने का कोई अधिकार नहीं है, क्योंकि उन्होंने स्वयं ‘‘काले कारनामे’’ किए हैं।

शाह ने तिरुनेलवेली में पार्टी के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आरोप लगाया कि द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) देश की ‘‘सबसे भ्रष्ट’’ सरकार का नेतृत्व कर रही है, जबकि वह प्रधानमंत्री मोदी हैं, जो तमिल के नीतिपरक ग्रंथ ‘तिरुक्कुरल’ में एक योग्य और आदर्श शासक के लिए वर्णित दिशा-निर्देशों के अनुसार सरकार चला रहे हैं।

उन्होंने कहा कि स्टालिन को 130वें संविधान संशोधन विधेयक को ‘काला विधेयक’ कहने का कोई अधिकार नहीं है, क्योंकि वह खुद एक ऐसे मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने ‘‘काले कारनामे’’ किए हैं। उन्होंने तमिलनाडु की मौजूदा सरकार के कार्यकाल में ‘‘घोटाले’’ होने का आरोप लगाया।

भ्रष्टाचार को लेकर द्रमुक की आलोचना करते हुए उन्होंने कई घोटालों का आरोप लगाया, जिनमें राज्य शराब निगम टीएएसएमएसी, रेत खनन, बुनियादी ढांचा, परिवहन विभाग, पोषण किट, मुफ्त धोती, नौकरियों के लिए नकदी, राशन तस्करी और मनरेगा से संबंधित घोटाले शामिल हैं, जिसमें ‘‘गरीब तमिलों का पैसा हड़प लिया गया।’’

द्रमुक नेता एवं पूर्व मंत्री के. पोनमुडी के खिलाफ मामले और वी. सेंथिल बालाजी के खिलाफ हाल के मामले का हवाला देते हुए शाह ने सवाल किया कि क्या जेल में रहने के बावजूद मंत्रिमंडल का हिस्सा बने रहना और शासन करना उचित है।

विपक्षी दल कांग्रेस ने यह भी दावा किया है कि सरकार की कार्रवाई का उद्देश्य ‘‘वोट चोरी’’, उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए एक मजबूत विपक्षी उम्मीदवार और भारत-अमेरिका संबंधों में समस्याओं से ध्यान हटाना है।

भाषा

देवेंद्र नेत्रपाल

नेत्रपाल

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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