नई दिल्ली: सिंगल यूज प्लास्टिक को प्रतिबंधन करने के मामले में केंद्र सरकार ने दो कदम फिलहाल पीछे खींच लिया है. इसके पीछे प्रमुख कारण देश में बढ़ती बेरोजगारी और आर्थिक मंदी है. इसके चलते सरकार अभी प्लास्टिक उद्योग पर सीधे प्रतिबंध लगाने से बच रही है. सरकार इस मामले में ठोस कदम उठाने के लिए चर्चा ज़रुर कर रही है, लेकिन अभी तक कोई भी रुप रेखा बनकर तैयार नहीं हुई है. सरकार ने तय किया है कि 2022 तक सिंगल प्लास्टिक यूज़ को खत्म करेंगे, लेकिन वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए सरकार अपने हाथ को पीछे खींच लिया है.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एक सूत्र के अनुसार, ‘बिना सोचे समझे कोई फैसला लेते हैं तो रोज़गार प्रभावित होंगे. जिसका कहीं न कहीं इकोनॉमी पर असर देखने को मिलेगा. जो मानक तय किए गए थे उसके अनुरुप सुनियोजित तरीके से कैसे बैन करे इस विचार चल रहा है.’
एक अन्य सूत्र के अनुसार, ‘सिंगल यूज़ प्लास्टिक के बैन होने के बाद विकल्प क्या होंगे इस पर मंथन चल रहा है. जो आसानी से सभी के लिए फायदेमंद हो. इसके चलते देरी हो रही है. फिलहाल जल्दबाज़ी में लिया निर्णय लोगों के रोज़गार पर प्रभाव डाल सकता है. सरकार की घोषणा के बाद कुछ राज्यों ने इसे प्रतिबंध भी किया है, लेकिन सरकार अब एक पॉलिसी पर काम कर रही है.’
दो बैठकों में सुझाव मांगे, फिर कुछ नहीं हुआ
ऑल इंडिया प्लास्टिक मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन के पूर्व चेयरमैन और वर्तमान में एसोसिएशन की पर्यावरण समिति के सदस्य हितेन भेड़ा ने दिप्रिंट से कहा, ‘फिलहाल कुछ राज्य अपने स्तर पर ही प्रतिबंध लगाने को लेकर काम कर रहे हैं. फिलहाल केंद्र से कुछ नहीं हो रहा है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने भी निर्देश दिए है कि राज्य अपने स्तर पर कुछ कार्रवाई करे. इसके कारण राज्य कुछ छोटे-मोटे कदम उठा रहे हैं.’
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भेड़ा के अनुसार, ‘पहले से अभी की तुलना में प्लास्टिक प्रतिबंध को लेकर चल रही मुहिम ठंडी पड़ गई है. गांधी जयंती के पहले कई बैठकों के दौर चले, लेकिन उसके बाद से अभी तक केवल एक या दो ही बैठकें हुई हैं. एक बैठक में प्लास्टिक को रिसाईकल कैसे करें इस पर भी चर्चा हुई थी. जिसमें हमने सभी लोगों ने कुछ सुझाव दिए थे. इस दौरान हमने प्लास्टिक प्रतिबंध को लेकर एक नीति लाने की मांग भी की थी.’
भेड़ा ने दिप्रिंट से कहा, ‘यह इतना जटिल विषय है कि सभी कारणों को ध्यान में रखकर सोच विचार किया जा रहा है, इसके चलते समय लग रहा है.’
भेड़ा के मुताबिक, ‘सरकार यह नहीं तय कर पा रही है कि कौन-कौन से आयटम पर उन्हें बैन लगाना है. सरकार बिना कुछ सोचे समझे कदम उठाती है तो बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. इससे पांच से छह लाख लोगों के रोज़गार पर संकट होगा. इसका असर आर्थिक परिदृश्य पर नज़र आएगा.’
सरकार पहले भारत में तय करे सिंगल यूज प्लास्टिक की परिभाषा
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट की स्वाति सिंह सान्याल ने दिप्रिंट से कहा, ‘सरकार ने सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर प्रतिबंध नहीं लगाते हुए केवल लोगों से इसे इस्तेमाल न करने की गुज़ारिश की दिशा में ही काम कर रही है. सरकार को भारतीय परिपेक्ष में सिंगल यूज़ प्लास्टिक की एक परिभाषा तैयार करनी होगी.’
‘गांधी जयंती के बाद से लेकर अब तक केवल सिंगल यूज़ प्लास्टिक प्रतिबंधन को लेकर एक या दो ही बैठके हुई हैं. इसे आगे बढ़ाने को लेकर अभी तक सरकार खुद आगे नहीं बढ़ी है. केवल गाइडलाइन बनाने पर ही काम कर रही है.’
सिंह ने आगे कहा,’सरकार को इस दिशा में भी विचार करना चाहिए कि अगर प्लास्टिक बैन होता है तो इसके विकल्प क्या होंगे, लेकिन इस दिशा में भी कोई काम नहीं होता दिख रहा है. इसके अलावा सरकार को पूरे देश में अगर प्लास्टिक प्रतिबंध होता है तो इसे देशभर में लागू कैसे किया जाएगा, इस दिशा में भी पूरी विस्तृत योजना तैयार करनी होगी.’
सान्याल ने दिप्रिंट से कहा, ‘प्लास्टिक की 50 से 60 प्रतिशत इनफार्मेल इंडस्ट्री है. इसमें लाखों को रोज़गार मिलता है. अगर इन्हें बंद किया जाता है तो पूरी तरह से इकोनॉमी पर प्रभाव दिखेगा. वहीं लोगों के जॉब पर भी असर होगा. क्योंकि इसका सीधा जुड़ाव इकोनॉमी से है.
दिप्रिंट ने सीपीसीबी के प्लास्टिक डिवीज़न की हेड दिव्या सिन्हा से संदेश, ईमेल के माध्यम से बात करने का प्रयास किया लेकिन अभी तक किसी भी प्रकार का जवाब नहीं मिल पाया है.
प्लास्टिक बैन के लिए देश में एक नीति लाए सरकार
साहस एनजीओ की दिव्या तिवारी ने दिप्रिंट से कहा, ‘सरकार ने यह ज़रुर कहा है कि 2022 तक वह सिंगल यूज प्लास्टिक को बैन करेगी, लेकिन अभी तक सरकार ने कोई नीति तैयार नहीं की है. 2 अक्टूबर 2018 के बाद हमें प्लास्टिक को लेकर सरकार क्या कर रही है, इसे लेकर हमें कोई जानकारी भी नहीं दी गई है. अधिकांश प्लास्टिक एफएमसीजी कंपनी से आता है. इसलिए केंद्र सरकार को इसे बैन करने के लिए एक नीति लानी चाहिए. इससे प्लास्टिक पर रोक लग सकेगी.’
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एफएमसीजी सेक्टर में बढ़ा है प्लास्टिक का उपयोग
द ऑल इंडिया प्लास्टिक मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष हितेन भेड़ा ने दिप्रिंट से कहा कि देश में अभी फिलहाल 50 हज़ार से अधिक प्लास्टिक मैन्युफैक्चरिंग औद्योगिक इकाईयां हैं. इस उद्योग में 40 से 50 लाख लोगों को रोज़गार मिल रहा है.
इंडस्ट्री चैंबर एसोचैम और ईवाय नामक संस्था की रिपोर्ट पर नज़र डालें तो भारत में 90 लाख टन प्लास्टिक का उपयोग होता है, जिसे इस्तेमाल के बाद फेंक दिया जाता है. जिसमें गुटखे और शैंपू के पाउच, पन्नी, छोटी बोतलें, स्ट्रॉ, गिलास और कटलरी के कई छोटे सामान शामिल हैं और ये वो प्लास्टिक हैं जिसका दोबारा इस्तेमाल नहीं होता और यही प्लास्टिक प्रदूषण का बड़ा कारण है.
एसोचैम की रिपोर्ट के मुताबिक बढ़ते ई-कॉमर्स और संगठित रिटेल उद्योग के कारण लगातार प्लास्टिक की मांग बढ़ रही है. यहां हर सामान प्लास्टिक पैकेजिंग में बिकता है. इसके अलावा प्लास्टिक की बढ़ती खपत का बड़ा कारण भारत में लोगों की लाइफ स्टाइल बदलने, आय में बढ़ोत्तरी और बढ़ती जनसंख्या है. वहीं ग्रामीण भारत में टीवी और अन्य माध्यम बढ़ने के कारण प्लास्टिक के साथ साथ पैकेजिंग उद्योगों की मांग लगातार बढ़ रही है.
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रिपोर्ट पर नज़र डालें तो एफएमसीजी सेक्टर प्लास्टिक उपयोग बढ़ाने वाला क्षेत्र निकलकर सामने आया है. वित्त वर्ष 2019-20 भारत में पैकेजिंग इंडस्ट्री के 5.15 लाख करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है.
देश में सबसे ज़्यादा 35 प्रतिशत पैकेजिंग, इसके बाद निर्माण और बिल्डिंग के क्षेत्र में 23, ट्रांसपोर्ट में 8, इलेक्ट्रॉनिक्स में 8, कृषि में 7 और अन्य क्षेत्रों में 19 प्रतिशत प्लास्टिक का उपयोग होता है.
भारत में रोज़ 25 हज़ार मीट्रिक टन से ज़्यादा प्लास्टिक कचरा निकल रहा है. इसमें से 94 प्रतिशत हिस्सा इस तरह के प्लास्टिक का होता है जो आसानी से री-साइकिल हो सकता है. लेकिन 40 प्रतिशत नालियों को जाम करता है. वहीं नदियों को प्रदूषित करता है.
15 अगस्त को यह कहा था पीएम मोदी
73वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर पीएम मोदी ने भारत को प्लास्टिक प्रदूषण से मुक्त करने की बात कही थी. इस दौरान पीएम ने देश के लोगों और दुकानदारों- व्यापारियों से भी अपील की थी कि वे प्लास्टिक का इस्तेमाल करना बंद करें. पीएम ने कहा था कि देश को प्लास्टिक कचरे से मुक्त करने का अभियान राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती से एक साथ पूरे देश में शुरू किया जाएगा.
पीएम की इस घोषणा के बाद रेलवे, एयर इंडिया समेत कई जगह सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर रोक लगाई गई है, पर पूर्ण बैन के अंदेशे से प्लास्टिक उद्योग में खलबली मच गई थी. 2 अक्टूबर 2018 को सरकार पूरी तरह से देश में सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर बैन करने वाली थी लेकिन आर्थिक मंदी, बेरोज़गारी और कोई विकल्प नहीं होने के चलते सरकार ने इसे टाल दिया. सरकार ने फैसला लिया कि वह लोगों को प्लास्टिक यूज़ नहीं करने को लेकर जागरुकता अभियान देशभर में चलाएगी.