नई दिल्ली : मणिपुर से आए कांग्रेस नेताओं से मुलाकात करने के बाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मणिपुर में बड़े स्तर पर हुई हिंसा के कारणों का पता लगाने और इसकी सीमा का आकलन करने के लिए तीन सदस्यीय फैक्ट-फाइंडिंग टीम गठित की है. कांग्रेस की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में यह जानकारी सामने आई है.
वहीं राज्य में अब तनाव बना हुआ है. केंद्र व राज्य की सरकार शांति बहाली के तमाम उपाय कर रही है.
कांग्रेस की ओर से जारी प्रेस रिलीज में कहा गया है, ‘कांग्रेस अध्यक्ष ने फैक्ट-फाइंडिंग टीम बनाई है जो मणिपुर के एआईसीसी प्रभारी, पीसीसी अध्यक्ष और सीएलपी नेता के साथ कोऑर्डिनेशन कर तत्काल प्रभाव से राज्य में बड़े स्तर पर हुई हिंसा के कारणों का पता लगाने के लिए मणिपुर का दौरा करेगी और इसकी सीमा का आकलन करेगी.’
प्रेस रिलीज के मुताबिक टीम में एआईसीसी के महासचिव, सांसद मुकुल वासनिक, एआईसीसी प्रभारी, पूर्व सांसद अजॉय कुमार, विधायक सुदीप्तो रॉय बर्मन शामिल हैं.
टीम जल्द से जल्द अपनी रिपोर्ट कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को सौंपेगी.
Congress President Mallikarjun Kharge has constituted a three-member fact-finding team to ascertain the causes of widespread violence in Manipur and evaluate its extent. pic.twitter.com/EVCWQSqXoB
— ANI (@ANI) May 17, 2023
मणिपुर के कांग्रेस नेताओं ने खड़गे से मिलकर बताई राज्य की हालत
मणिपुर कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह, अन्य पार्टी नेताओं ने बुधवार को दिल्ली में पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात की और पूर्वोत्तर राज्य के हालात से अवगत कराया.
The situation in Manipur remains tense and is deeply distressing.
The Union Government should do everything possible to see normalcy returns to the state. Every community has a stake in ensuring peace.
Let us take everyone in confidence.
2/2
— Mallikarjun Kharge (@kharge) May 17, 2023
प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के बाद खड़गे ने कहा कि कांग्रेस हालात का पता लगाने पर्यवेक्षकों की एक टीम मणिपुर भेजेगी.
ट्विटर पर खड़गे ने कहा, ‘मणिपुर @INCManipur नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल ने मुझे उन भारी कठिनाइयों से अवगत कराया, जिनसे मणिपुर के लोगों को इस संकट के समय गुजरना पड़ा. जल्द ही जमीनी हकीकत का पता लगाने के लिए पर्यवेक्षकों की एक टीम भेजी जा रही है.’
खड़गे ने इसी कड़ी में आगे कहा, ‘मणिपुर में स्थिति तनावपूर्ण और बेहद चिंताजनक बनी हुई है. केंद्र सरकार को राज्य में हालात को सामान्य करने के लिए जो कुछ संभव हो करना चाहिए. शांति सुनिश्चित करने में हर समुदाय हिस्सेदारी रखता है. आइए हम सभी को विश्वास में लें.’
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केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि राज्य में स्थिति सुधरी
इस बीच, केंद्र और राज्य की सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि हालात की रिपोर्ट फाइल की गई है और राज्य में स्थिति में सुधार हुआ है. राज्य की सीमा को लेकर कुछ मुद्दे थे, शांति व तसल्ली बनाए रखना अहम है.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि राज्य में इरादा शांति बहाली का है. उन्होंने कहा कि जिला पुलिस द्वारा कुल 315 राहत शिविर बनाए गए हैं और सीएपीएफ को लगाया गया है. मेहता ने कहा कि राज्य सरकार ने राहत उपायों के लिए 3 करोड़ रुपये की आकस्मिक निधि स्वीकृत की है. अब तक करीब 46,000 लोगों को मदद मिल चुकी है.
इससे पहले रविवार, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह और मैतेई व कुकी समुदायों, साथ ही बाकी स्टेकहोल्डर्स के साथ राज्य में शांति बहाली के लिए उठाए जाने वाले कदमों को लेकर कई दौर की बैठकें की थी.
इसके बाद, गृहमंत्री ने मैतेई समुदाय के प्रतिनिधियों से मुलाकात की थी. शाह ने सोमवार को मणिपुर के कुकी समुदाय और मिजोरम के सीएसओ समूह के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की थी.
इन बैठकों के दौरान, गृहमंत्री ने मणिपुर में शांति बहाली के लिए उठाए गए कदमों की समीक्षा की, जहां पर दो जातीय समुदायों के बीच हिंसक झड़पें हुई हैं.
उन्होंने हिंसा करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए थे और राज्य में स्थायी शांति सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से पूरी मदद का आश्वासन दिया था.
शाह ने भरोसा दिलाया था कि सरकार राज्य में विभिन्न समुदायों की सुरक्षा के लिए सभी उपाय करेगी और सभी गुटों के साथ चर्चा का आग्रह करने व शांति का संदेश फैलाने को कहा था व न्याय किए जाने का भरोसा दिया था.
शाह ने राहत और पुनर्वास की प्रक्रिया में तेजी लाने पर भी जोर दिया ताकि लोगों की परेशानी कम की जा सके.
5 मई को, गृहमंत्री ने राज्य के मुख्यमंत्री और राज्य के शीर्ष अधिकारियों साथ-साथ केंद्र की शीर्ष अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए बैठक कर मणिपुर के हालात की समीक्षा की थी.
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शाह ने की थी बैठक
4 मई को, मणिपुर में हालात के मद्देनजर शाह ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए राज्य के सीएम और पड़ोसी राज्यों- नागालैंड, मिजोरम और असम के मुख्यमंत्रियों के साथ बातचीत की थी.
मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी में मैतेई को शामिल करने की मांग के विरोध में ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन (एटीएसयू) द्वारा आयोजित एक रैली के दौरान 3 मई को हिंसा हुई थी. 19 अप्रैल को मणिपुर उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद राज्य के मैतेई समुदाय को एसटी कटेगरी में शामिल करने की मांग के विरोध में यह मार्च किया गया था.
इसकी वजह से राज्य सरकार को निषेधाज्ञा जारी करने और पूरे राज्य में 5 दिनों के लिए इंटरनेट सेवाओं को निलंबित करने के लिए मजबूर होना पड़ा था.
राज्य के कई जिलों में बड़ी संख्या में लोगों के इकट्ठा होने के साथ रात्रि कर्फ्यू लगाया गया था.
गृह मंत्रालय और भारतीय सेना के अनुसार सभी स्टेकहोल्डर्स के सम्मिलित प्रयास से मणिपुर में स्थिति को नियंत्रण में ला दिया गया है.
मैतेई और कुकी विवाद से मणिपुर की नौकरशाही बंटी
वहीं दिप्रिंट की मौसमी दास गुप्ता के रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में मैतेई को एसटी कटेगरी में शामिल करने के विरोध में हुई व्यापक हिंसा के बाद दोनों समुदायों- मैतेई और कुकी के अधिकारी भी आपस में बंट गए हैं. राज्य में दोनों समुदायों में विभाजन की स्थिति बन गई है.
दिप्रिंट ने सेवारत और रिटायर्ड अधिकारियों से बात की, उनके अनुसार सामुदायिक आधार पर नागरिक और पुलिस प्रशासन बंट गया है.
उन्होंने बताया कि गैर-आदिवासी मैतेई और आदिवासी कुकी अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच राज्य के प्रशासन के सभी स्तर पर विभाजन बहुत बढ़ गया है. 3 और 4 मई को इंफाल में हिंसा भड़कने के बाद, कई सीनियर अधिकारियों ने दिप्रिंट को बताया कि, कुछ को छोड़कर, नागरिक और पुलिस प्रशासन के ज्यादातर कुकी अधिकारियों ने अस्थायी छुट्टी ले ली है. उनमें से कई या तो पहाड़ी जिलों में अपने घर लौट आए हैं या मणिपुर पूरी तरह छोड़ चुके हैं.
मैतेई समुदाय से आने वाले एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा कि पुराना सचिवालय, जहां से ज्यादातर नौकरशाही काम करती है, वास्तव में कुकी अधिकारियों से खाली हो गया है. हिंसा के बाद यहां कुकी अधिकारी को ढूंढ़ना मुश्किल है. वह डरे हुए है.
एक दूसरे मैतेई आईपीएस अधिकारी ने कहा कि ज्यादातर जूनियर लेवल के कर्मचारी इंफाल से भाग गए हैं. अधिकारी ने कहा कि जूनियर लेवल पर, लगभग 20 प्रतिशत कर्मचारी कुकी हैं, सीनियर लेवल पर यह प्रतिशत अधिक है.
मणिपुर में, कुकी का पहाड़ियों पर दबदबा है, जबकि मैतेई का घाटी में, जिसमें इंफाल भी शामिल है. 2011 की जनगणना के अनुसार, राज्य की 28 लाख आबादी में मैतेई लगभग 15 लाख हैं, जबकि कुकी 8 लाख, 6 लाख नागा और मणिपुरी मुसलमान व बाकी लोग शामिल हैं.
राज्य सरकार के अधिकारियों ने दिप्रिंट को बताया कि हालांकि कुछ मैतेई अधिकारी निष्पक्ष रहते हैं और जिन्होंने हिंसा के दौरान अपने कुकी सहयोगियों को शरण दी, उन्हें असम राइफल्स कैंप तक पहुंचाया लेकिन हाल के दिनों में विश्वास की कमी बढ़ रही है.
मणिपुर सिविल सेवा के एक मैतेई अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि यह दुखद है… अधिकारी यह कहने लगे हैं कि सिविल और पुलिस प्रशासन में टॉप पदों पर कुकी लोगों ने कब्जा कर लिया है और एसटी आरक्षण के कारण आईएएस और आईपीएस के पदों पर उनकी संख्या बढ़ रही है.’
हालांकि, यह सिर्फ मैतेई अधिकारियों के ही पीछे छूट जाने की शिकायत नहीं है. कुकी अधिकारियों ने भी सीएम एन. बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार के प्रति असंतोष जाहिर किया है, जो कि एक मैतेई हैं.
एक कुकी अधिकारी ने दिप्रिंट से कहा कि देखिए कैसे डीजीपी डोंगेल को किनारे कर दिया गया है. वह मणिपुर के सबसे बड़े पुलिस अधिकारी हैं, लेकिन आज उनके पास कोई ताकत नहीं है. उनके पास कोई फाइल नहीं जाती. बाकी कुकी अधिकारियों को भी दरकिनार कर दिया गया है.
(दिप्रिंट की मौसमी दास गुप्ता के इनपुट्स के साथ)
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