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Monday, 6 May, 2024
होमदेश'ऐसा पहले कभी नहीं देखा'- मैतेई और कुकी विवाद से मणिपुर की नौकरशाही में उपजा गहरा सामुदायिक विभाजन

‘ऐसा पहले कभी नहीं देखा’- मैतेई और कुकी विवाद से मणिपुर की नौकरशाही में उपजा गहरा सामुदायिक विभाजन

कहा जाता है कि मैतेई और आदिवासी कुकी अधिकारियों के बीच विभाजन बहुत प्रमुख हो गया था. पता चला है कि कई कुकी अधिकारी पहाड़ी जिलों में अपने घर लौट रहे हैं या मणिपुर छोड़ रहे हैं.

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इंफाल: मणिपुर में पिछले कुछ हफ्तों में हुए जातीय संघर्षों ने राज्य की नौकरशाही के भीतर की खामियों को उजागर कर दिया है. सेवारत और सेवानिवृत्त वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों जिनसे दिप्रिंट ने बात की है उनके अनुसार नागरिक और पुलिस प्रशासन सामुदायिक आधार पर विभाजित हो गया हैं.

उन्होंने बताया कि गैर-आदिवासी मैतेई और आदिवासी कुकी अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच राज्य प्रशासन के सभी लेवल पर विभाजन एक अभूतपूर्व स्तर तक पहुंच गया है – चाहे वह सीनियर, मिड या जूनियर लेवल पर क्यों न हो.

3 और 4 मई को इंफाल में हिंसा भड़कने के बाद, कई वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने दिप्रिंट को बताया कि, कुछ को छोड़कर, नागरिक और पुलिस प्रशासन के ज्यादातर कुकी अधिकारियों ने अस्थायी छुट्टी ले ली है. उनमें से कई या तो पहाड़ी जिलों में अपने घर लौट आए हैं या मणिपुर को पूरी तरह छोड़ चुके हैं.

मैतेई समुदाय से आने वाले एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा, “पुराना सचिवालय, जहां से अधिकांश नौकरशाही काम करते हैं, वास्तव में कुकी अधिकारियों से खाली हो गया है. हिंसा के बाद यहां कुकी अधिकारी को ढूंढना मुश्किल हो गया है. वह डरे हुए है. इंफाल में भय का माहौल ऐसा है कि सिर्फ मिड लेवल और जूनियर अधिकारी ही छुट्टी पर नहीं गए हैं. यहां तक कि वरिष्ठ कूकी अधिकारियों ने भी. हमने नौकरशाही में ऐसा कभी नहीं देखा है.”

अधिकारी ने कहा, “यह यहां की स्थिति का एक दुखद प्रतिबिंब है. आप (राज्य सरकार) अपने कुकी अधिकारियों को भी सुरक्षित महसूस नहीं करा सकते हैं ताकि वे वापस रहें, आम कुकी जनता की तो बात ही छोड़ दें.”

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दिप्रिंट ने नव-नियुक्त मणिपुर के मुख्य सचिव विनीत जोशी के कार्यालय का दौरा किया, जो राज्य के सबसे शीर्ष नौकरशाह हैं, लेकिन उनसे मुलाकात नहीं हो सकी. मणिपुर के गृह आयुक्त टी. रंजीत सिंह, जिनके कार्यालय का दिप्रिंट ने दौरा किया था, ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.

हालांकि, नाम न छापने की शर्त पर राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “यह दोनों समुदायों के सदस्यों के एक साथ आने, बैठने और एक समाधान लाने और राज्य में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए बातचीत शुरू करने का समय है.”


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आला कुकी पुलिस अधिकारियों के सरकारी क्वार्टर पर हमला

मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी में शामिल करने की मांग का विरोध करने के लिए जनजातीय एकजुटता मार्च के बाद मई की शुरुआत में इंफाल में हुई हिंसा में कुकी समुदाय के कई अधिकारियों के सरकारी क्वार्टरों पर हमला किया गया था.

इनमें राज्य के सबसे वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी, पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) पी. डौंगेल, अतिरिक्त डीजीपी क्ले खोंगसाई और मणिपुर सिविल सेवा के कई अन्य कुकी अधिकारियों के क्वार्टर शामिल हैं.

नाम न छापने की शर्त पर दो वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के अनुसार, डोंगल और खोंगसाई के घरों के बाहर एक हिंसक भीड़ इकट्ठी हो गई थी. उन्होंने पत्थर फेंके, बाहर खड़ी गाड़ियों को क्षतिग्रस्त किया और गेट को तोड़ने के लिए लोहे की छड़ों और लाठियों का इस्तेमाल कर जबरदस्ती परिसर में घुसने की कोशिश की. जवाब में, परिसर में तैनात सुरक्षाकर्मियों को भीड़ को तितर-बितर करने के लिए चेतावनी के तौर पर फायरिंग करनी पड़ी. इसके अतिरिक्त, हाल ही में पदोन्नत हुए एक अन्य आईपीएस अधिकारी के घर में आग लगा दी गई.

दिप्रिंट ने टिप्पणी के लिए कॉल के माध्यम से डौंगेल से संपर्क साधा, लेकिन उनसे कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली और खोंगसाई ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.

जबकि डोंगेल, उनके भाई और डीजीपी (जेल) क्रिस्टोफर डोंगल, चार अतिरिक्त डीजीपी, खोंगसाई और अतिरिक्त डीजीपी एल. कैलुन सहित, ने इंफाल में रहने का ही फैसला किया है. कुकी जातीयता के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने दिप्रिंट से कहा कि बड़ी संख्या में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने – एसपी और उससे ऊपर के रैंक के – शहर छोड़ दिया है.

उन्होंने कहा कि हालांकि पुलिस बल के भीतर, उन्हें कुकी और मैतेई के बीच कोई दुश्मनी महसूस नहीं होती है, लेकिन कुकी पुलिस कर्मियों के बीच डर बढ़ गया है. “ये दुख की बात है. क्योंकि पुलिस अधिकारियों के रूप में, हमें कभी भी समुदाय या जाति के आधार पर अंतर करने के लिए प्रशिक्षित नहीं किया जाता है. हमें नियम पुस्तिका के अनुसार चलना होगा और संतुलित रहना होगा.”

एक दूसरे आईपीएस अधिकारी, एक मैतेई ने कहा कि ज्यादातर जूनियर स्तर के कर्मी, जिनमें कांस्टेबुलरी और राइफलमैन शामिल हैं, इंफाल से भाग गए हैं, यह कहते हुए कि कुछ सबसे वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के क्वार्टर पर भीड़ के हमले को देखते हुए उनका डर समझ में आता है.

अधिकारी ने कहा कि जूनियर लेवल पर, लगभग 20 प्रतिशत कर्मचारी कुकी हैं, वरिष्ठ स्तर पर यह प्रतिशत अधिक है.

इंफाल से अपने परिवार के साथ निकले मणिपुर सिविल सेवा के एक वरिष्ठ अधिकारी कुकी ने दिप्रिंट को बताया कि जब भीड़ देवलालैंड में घुसी. जो राज्य का उच्च कोटि का इलाका है यहां कई वरिष्ठ सेवारत और सेवानिवृत्त नौकरशाह रहते हैं. वह घर पर था और कुकी के घरों पर हमला करना शुरू कर दिया. अधिकारी ने कहा, “मैंने कुछ मैतेई सहयोगियों को फोन किया और उनकी मदद से अपने परिवार और रिश्तेदारों के साथ असम राइफल्स कैंप पहुंचा. दो दिन बाद, हमने गुवाहाटी के लिए उड़ान भरी.”

मणिपुर में, कुकी का पहाड़ियों पर प्रभुत्व है, जबकि मैतेई घाटी में बहुसंख्यक हैं, जिसमें इंफाल भी शामिल है. 2011 की जनगणना के अनुसार, राज्य की 28 लाख आबादी में मैतेई लगभग 15 लाख हैं, जिनमें 8 लाख कुकी, 6 लाख नागा और मणिपुरी मुसलमानों सहित अन्य शामिल हैं.


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‘मैतेई और कुकी के बीच अविश्वास अच्छी तरह से प्रदर्शित नहीं होता’

राज्य सरकार के अधिकारियों ने दिप्रिंट को बताया कि हालांकि कुछ मैतेई अधिकारी निष्पक्ष रहते हैं और जिन्होंने हिंसा के दौरान अपने कुकी सहयोगियों को आश्रय देने में मदद की, उन्हें असम राइफल्स कैंप तक पहुंचाया, हाल के दिनों में विश्वास की कमी बढ़ रही है.

मैतेई मणिपुर सिविल सेवा के एक अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, “यह दुखद है… अधिकारियों को इस बारे में बात करते हुए सुनना आम है कि किस तरह से सिविल और पुलिस प्रशासन में शीर्ष पदों पर कुकी ने कब्जा कर लिया है और आईएएस और आईपीएस में उनकी बढ़त कैसे एसटी आरक्षण के कारण बढ़ रही है.”

हालांकि, यह सिर्फ मैतेई अधिकारियों की ही पीछे छूट जाने की शिकायत नहीं है. कुकी अधिकारियों ने भी मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार के प्रति असंतोष व्यक्त किया है, जो कि एक मैतेई है.

एक कुकी अधिकारी ने दिप्रिंट से कहा, “देखिए कैसे डीजीपी डोंगेल को किनारे कर दिया गया है. वह मणिपुर के सर्वोच्च पुलिस अधिकारी हैं लेकिन आज उनके पास कोई शक्ति नहीं है. उनके पास कोई फाइल नहीं जाती. अन्य कूकी अधिकारियों को भी दरकिनार कर दिया गया है.”

बीरेन सिंह सरकार के पहले कार्यकाल में सेवानिवृत्त डीजीपी और पूर्व डिप्टी सीएम जॉयकुमार सिंह ने दिप्रिंट को बताया कि यह विभाजन अच्छा नहीं है.

उन्होंने कहा, “वे सबसे पहले सरकारी अधिकारी हैं, मैतेई या कुकी नहीं. नागरिक और पुलिस प्रशासन से अपेक्षा की जाती है कि वे नियम पुस्तिका के अनुसार चलें और कानून और व्यवस्था सुनिश्चित करें. अगर वे खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं, तो इससे जनता को क्या संदेश जाता है?”

उन्होंने कहा आगे कहा, “अगर कुकी डीजीपी के बावजूद कुकी अधिकारी इंफाल से भाग रहे हैं, तो यह बिल्कुल भी अच्छा नहीं है.”

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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