वाराणसी: वाराणसी में विवादास्पद काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के भीतर मां श्रृंगार गौरी स्थल पर दैनिक पूजा के अधिकार की मांग करते हुए अगस्त 2021 में पांच महिलाओं ने एक याचिका दायर की थी.
विश्व वैदिक सनातन संघ (वीवीएसएस) के प्रमुख जितेंद्र सिंह विशन के समर्थन से आगे आई याचिकाकर्ता अभी तक अपनी पहचान को लेकर काफी हद तक अंजान बनी हुईं हैं.
दिप्रिंट ने इन पांच में से चार महिलाओं से पूछा कि आखिर वह कौन सी वजह थी जिसने उन्हें इस लड़ाई को लड़ने और एकजुट होने के लिए प्रेरित किया.
इन महिलाओं में विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के सदस्य की पत्नी, एक ब्यूटीशियन और एक आरएसएस कार्यकर्ता की पत्नी शामिल है.
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लक्ष्मी देवी
मूल रूप से मुंबई, महाराष्ट्र की रहने वाली लक्ष्मी देवी शादी के बाद वाराणसी चली आईं. उनके पति सोहनलाल आर्य वाराणसी प्रांत के विहिप उपाध्यक्ष हैं. उन्होंने ही सबसे पहले दावा किया था कि ज्ञानवापी मस्जिद के ‘वुज़ुखाना’ के अंदर काले पत्थर की संरचना एक शिवलिंग है.
इंटरमीडिएट तक पढ़ाई करने वाली लक्ष्मी एक गृहिणी हैं. उन्होंने कहा कि इस कानूनी लड़ाई के लिए उन्हें उनके पति ने प्रेरित किया था.
दिप्रिंट से बात करते हुए 66 वर्षीय लक्ष्मी ने कहा कि वह और वाराणसी की अन्य महिलाएं नियमित रूप से मां श्रृंगार गौरी स्थल पर पूजा नहीं कर पाती हैं. पवित्र नंदी बैल (भगवान शिव के वाहक) की मूर्ति को ‘उनकी प्रतीक्षा’ करते हुए देखकर दुख होता है.
ऐतिहासिक अभिलेखों के बारे में पूछे जाने पर कि नंदी को नेपाल के राणा ने संभवतः औरंगजेब के आदेश पर पुराने मंदिर को ध्वस्त करने के बाद, 1800 के आसपास विश्वनाथ मंदिर को उपहार में दिया गया था, उन्होंने जोर देकर कहा कि ‘नंदी हमेशा शिव के साथ होती हैं’.
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सीता साहू
हालांकि वह खुद किसी संगठन या संस्था से नहीं जुड़ी हैं लेकिन 40 साल की सीता साहू के लिए राजनीति कोई नई चीज नहीं है.
उनकी मां प्रभावती देवी ने 15 साल पहले उत्तर प्रदेश के जौनपुर में भाजपा के टिकट पर नगर निगम का चुनाव लड़ा था. साहु के मुताबिक, उनके पति बालगोपाल साहू एक जनरल स्टोर के मालिक और भाजपा की स्थानीय महानगर इकाई के सदस्य हैं. शादी से पहले सीता स्थानीय राजनीति में भी सक्रिय रही हैं.
तीन बच्चों की मां बतौर छात्र आरएसएस के प्रशिक्षण शिविर में भाग ले चुकीं है.
साहू अपनी मां को अपनी प्रेरणा बताती हैं. लेकिन साथ ही उन्होंने कहा कि ‘यह प्रेरणा से अधिक भावना थी’ जिसने उन्हें याचिका दायर करने के लिए आगे बढ़ाया.
40 वर्षीय साहू ने कहा, ‘नवरात्रि के दौरान श्रृंगार गौरी स्थल पर जाते तो हैं लेकिन हम रोज पूजा नहीं कर पाते. हम बस चौखट को देख सकते हैं.’
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रेखा पाठक
वाराणसी में जन्मी और पली-बढ़ी पाठक वाराणसी के प्रसिद्ध लाट भैरव मंदिर के महंत दयाशंकर त्रिपाठी की बेटी हैं. अपनी उम्र के 30वें दशक के अंतिम पड़ाव में चल रही, रेखा कहती हैं कि ‘देवताओं के लिए प्यार उनके खून में है.’
दयाशंकर ने दिप्रिंट को बताया, ‘उनका परिवार ‘हिंदुत्व के लिए मर सकता है’. ‘हम सिर्फ सम्मान चाहते हैं. हम हिंदुत्व के लिए मरने के लिए भी तैयार हैं’
रेखा ने कहा, ‘जिस तरह से सभी मंदिरों में नवरात्रि के दौरान पूजा की जाती है, वैसे ही श्रृंगार गौरी मंदिर में भी किया जाना चाहिए.’
उन्होंने कहा, ‘हम चौखट पर पूजा नहीं कर सकते, इसे मंदिर के अंदर करना होगा.’
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मंजू व्यास
व्यास अपने घर से एक छोटा सा ब्यूटी पार्लर चलाती हैं, जहां वह अपने पति विक्रम व्यास के साथ रहती हैं. उनकी किशोर बेटी शहर से बाहर पढ़ती है. लोगों से मिलना-जुलना पसंद होने के बावजूद व्यास अपने जीवन के बारे में ज्यादा कुछ साझा नहीं करना चाहतीं.
उन्होंने कहा, ‘बहुत से लोग हमारे बारे में जानना चाहते हैं और मुझे फोन भी आ रहे हैं. किसी ने मुझसे मेरी उम्र पूछी. मैंने उससे कहा कि उसे हमारे बारे में कुछ पूछने की जरूरत नहीं है.’
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राखी सिंह
श्रृंगार गौरी याचिका की अगुवाई करने वाली राखी सिंह कभी नज़र नहीं आईं है. वह दिल्ली में रहती हैं और अपने सह-याचिकाकर्ताओं से कभी नहीं मिलीं हैं. अन्य महिलाएं इस बात से सहमत हैं कि सिंह पहली याचिकाकर्ता थीं. उनका दावा है कि उन्होंने उसे कभी नहीं देखा.
रेखा पाठक ने कहा, ‘अब हम चारों हैं’. ‘कृपया हमसे जितेंद्र सिंह विशन और राखी सिंह के बारे में न पूछें. वे अब हमें बदनाम कर रहे हैं और इसलिए हमने उनसे अलग होने का फैसला किया है. विशन हमसे पावर ऑफ अटॉर्नी मांग रहा था लेकिन अगर हम ऐसा करते हैं, तो हमारी भूमिका क्या रह जाएगी? हम सुर्खियों में हैं और वह ये जानते हैं.’
दिप्रिंट ने राखी सिंह तक पहुंचने की कोशिश की लेकिन जितेंद्र सिंह विशन ने मंगलवार को कहा कि वह कुछ नहीं बोलेंगी. ‘उनके कांटेक्ट डिटेल किसी के साथ साझा नहीं किए गए हैं क्योंकि ये उनकी सुरक्षा के लिए खतरा है.’
8 अप्रैल को वाराणसी के सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर ने धार्मिक स्थल का वीडियो सर्वे करने का आदेश दिया था. रिपोर्ट को अदालत द्वारा औपचारिक रूप से जारी किया जाना बाकी है.
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