नयी दिल्ली, तीन सितंबर (भाषा) लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बुधवार को कहा कि त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिए न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका को मिलकर काम करना चाहिए।
बिरला ने 11वें ‘‘डॉ. एल. एम. सिंघवी स्मृति व्याख्यान’’ में यह भी कहा कि आज ‘समय पर न्याय’ के माध्यम से मानवीय गरिमा की सर्वोच्चता को बनाए रखने के लिए विभिन्न हितधारकों के बीच सार्वजनिक संवाद की तत्काल आवश्यकता है।
लोकसभा सचिवालय की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार, बिरला ने कहा कि कानूनी और प्रशासनिक प्रणालियों में अनेक बाधाएं न्याय में देरी का कारण बन रही हैं।
उनका कहना था कि नागरिकों और विचारकों को सभी के लिए शीघ्र और निष्पक्ष न्याय सुनिश्चित करने के महत्वपूर्ण प्रश्न पर विचार करने की जरूरत है।
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा, ‘‘डॉ. बी.आर. आंबेडकर के नेतृत्व में भारतीय संविधान निर्माताओं ने संविधान में मानवता, समानता, न्याय, सामाजिक-आर्थिक अधिकारों और स्वतंत्रता के सिद्धांतों को गहराई से समाहित किया। संवैधानिक अनुच्छेदों और संविधान सभा की बहसों, दोनों में मानवीय गरिमा पर विशेष बल दिया गया।’’
बिरला ने न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका के बीच सहयोगात्मक कार्य करने के महत्व पर बल दिया, ताकि उनकी कार्यप्रणाली में सुधार हो और सभी के लिए त्वरित न्याय सुनिश्चित हो।
उन्होंने कहा कि भारत लोकतांत्रिक मूल्यों के अनुरूप अपने कानूनी ढाँचे को निरंतर विकसित कर रहा है।
उनका यह भी कहना था कि मानवीय गरिमा और न्याय की रक्षा से जुड़ी चुनौतियां अब भी मौजूद हैं और इनके लिए व्यापक सुधारों और विचारशील समाधानों की आवश्यकता है।
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