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Tuesday, 16 April, 2024
होमदेशपत्रकारों को लुभाने में जुटी झारखंड सरकार, वेलफेयर स्कीमों पर लिखने वालों को देगी 15000 रुपए

पत्रकारों को लुभाने में जुटी झारखंड सरकार, वेलफेयर स्कीमों पर लिखने वालों को देगी 15000 रुपए

विभाग की गठित समिति कुल 30 पत्रकारों का चयन करेगी. चयनित पत्रकारों को पैसा तब ही मिलेगा, जब वो चुने गए विषयों पर लेख को अखबार में छपवाने के बाद उसकी कतरन को सरकार के जनसंपर्क विभाग में जमा कराएंगे.

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नई दिल्ली : झारखंड की रघुवर दास सरकार ने अपनी योजनाओं के बारे में लेख लिखने के लिए पत्रकारों को 15 हजार रुपये देने का फैसला किया है. झारखंड सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा जारी किए गए एक विज्ञापन के मुताबिक वेलफेयर स्कीमों पर लेख लिखने वाले पत्रकारों को 15 हजार रुपये दिए जाएंगे.

हालांकि रांची प्रेस क्लब के जनरल सेक्रेटरी शंभुनाथ ने ‘पत्रकारों की इस तरह की किसी भी मांग से इनकार किया है.’ जबकि झारखंड भाजपा के प्रवक्ता दीनदयाल ने दिप्रिंट को बताया कि ‘सरकार ने यह फैसला पत्रकारों की मांग के बाद ही उठाया है.’

यही नहीं अपने विज्ञापन में सरकार ने यह भी बताया है कि यह चयन विभाग द्वारा गठित समिति करेगी. जिसमें 30 पत्रकार चयनित किए जाएंगे. इनको पैसा तब ही दिया जाएगा, जब वो चुने गए विषयों पर लेख को अख़बार में छपवाने के बाद उसकी कतरन को जनसंपर्क विभाग में जमा कराएंगे. वहीं, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकारों को अपने लेख के वीडियो प्रसारण का क्लिप जमा कराना होगा.

 

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झारखंड कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने दिप्रिंट को बताया, ‘भाजपा सरकार अगर पत्रकारों के हक़ में कोई फैसला लेती है तो कांग्रेस इसके पक्ष में हैं, लेकिन सवाल यह है कि विधानसभा चुनाव से पहले इस प्रकार के फैसले लिए जा रहे हैं.’ उन्होंने ये भी कहा कि यह भाजपा नीत सरकार पर उठने वाले सवालों को पुख़्ता करते हैं. भाजपा सरकार के दौरान पत्रकारों का क्या हाल है सबको मालूम है जिस प्रकार से पत्रकारों का शोषण, प्रताड़ना और मीडिया मालिकों का प्रबंधन हो रहा है यह आम जनता देख रही है.

उन्होंने कहा कि प्रिंट मीडिया से अपने हक़ में बुलवाने का काम भाजपा सरकार द्वारा किया जाता है और जो पत्रकार भाजपा का साथ नहीं देते हैं, उनकी तारीफ नहीं करते हैं उनको नौकरी से निकलवा भी दिया जाता है. हालांकि, इससे पहले पत्रकारों के लिए पेंशन की स्कीम भी आयी थी. उसका समर्थन कांग्रेस ने किया था. कांग्रेस का कहना है कि भाजपा ये काम निहित स्वार्थ के लिए कर रही है. इस प्रकार का कदम लोकतंत्र को प्रभावित करेगा. कांग्रेस का कहना है कि मीडिया को सच्चाई के साथ ख़बरों को लिखना चाहिए.

झारखंड भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता दीनदयाल वर्णवाल ने दिप्रिंट से बातचीत में यह दावा किया, ‘सरकार ने पत्रकारों की मांग के बाद ही यह कदम उठाया है. सरकार ने खुद से कुछ नहीं किया. पत्रकार लंबे समय से मांग कर रहे थे, अगर सरकार से पत्रकार कुछ मांग करते हैं तो सरकार उसे पूरा करती है. भाजपा सरकार ने अलग से कोई निर्णय नहीं लिया है.’

वहीं जब दिप्रिंट ने पत्रकारों की इस मांग का पता लगाने के लिए रांची प्रेस क्लब के जनरल सेक्रेटरी शंभुनाथ से बात की तो उन्होंने बताया कि ‘पत्रकारों की कोई ऐसी मांग नहीं थी. सरकार ने पत्रकारों को उनकी वेलफेयर योजनाओं पर लेख लिखने के लिए कहा है और उसके एवज में पारिश्रमिक देने की बात कही है.’

उन्होंने आगे कहा कि ‘रांची प्रेस क्लब ने सरकार से या सरकार के किसी भी अधिकारी से कोई मांग नहीं की है. अगर किसी की व्यक्तिगत मांग रही हो तो इसकी जानकारी नहीं है.’

क्या है विज्ञापन में

सरकारी विज्ञापन में कहा गया है कि 16 सितंबर तक अपना विषय बताने वाले 30 पत्रकारों का चयन करने के बाद यह कमेटी उन्हें संबंधित विषयों पर लिखने के लिए एक महीने का समय देगी. इस दौरान इन्हें अपना लेख अख़बार या किसी और जगह छपवाना होगा. इसके बाद इन पत्रकारों को प्रति आलेख 15 हजार रुपये तक का भुगतान कराया जायेगा.

25 लेखों को जनसंपर्क विभाग की विमोचित पुस्तिका में छापा जायेगा. इसमें लिखने वाले पत्रकारों को 5-5 हजार रुपए और (सम्मान राशि के बतौर) दिए जाएंगे.

आपको बता दें कि झारखंड में इस साल चुनाव होने वाले हैं. अभी वहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार है.

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