मुंबई, 11 अगस्त (भाषा) जैन मुनि नीलेशचंद्र विजय ने लोगों को कबूतरों को दाना डालने से रोकने के लिए दादर कबूतरखाने को बंद करने के फैसले के खिलाफ 13 अगस्त से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू करने की चेतावनी दी है।
विजय ने रविवार को पत्रकारों से कहा कि अगर इस मुद्दे पर अदालत का फैसला जैन समुदाय की धार्मिक आस्थाओं के खिलाफ होगा, तो इसका भी पालन नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जैन समुदाय शांतिप्रिय है, लेकिन जरूरत पड़ने पर वह धर्म के लिए हथियार भी उठाएगा।
महाराष्ट्र कौशल विकास मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा कबूतरखानों को बचाने के प्रयासों का समर्थन करते आए हैं, लेकिन उन्होंने विजय की टिप्पणियों से खुद को अलग कर लिया है।
दादर कबूतरखाने को बंद करने के मकसद से बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) की ओर से लगाए गए तिरपाल को प्रदर्शनकारियों ने छह अगस्त को हटा दिया। इस दौरान पुलिस के साथ उनकी झड़प भी हुई।
विजय ने कहा, ‘‘हम सत्याग्रह और भूख हड़ताल का रास्ता अपनाएंगे। जैन समुदाय शांतिप्रिय है, लेकिन जरूरत पड़ी तो हम धर्म के लिए हथियार भी उठाएंगे। अगर कोई भी फैसला हमारी आस्था के खिलाफ जाता है, तो हम अदालत का आदेश भी नहीं मानेंगे।’’
उन्होंने दावा किया कि देशभर से जैन धर्म के 10 लाख से ज्यादा लोग इस विरोध-प्रदर्शन में हिस्सा लेंगे।
इस बीच, पत्रकारों द्वारा विजय की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर मंत्री लोढ़ा ने कहा, ‘‘मैं उनके बयान से सहमत नहीं हूं। मैं इस मामले पर दो बार बोल चुका हूं और अपनी जिम्मेदारी निभा रहा हूं। मैं आगे कोई टिप्पणी नहीं करूंगा।’’
बीएमसी ने रविवार को एक बार फिर दादर कबूतरखाने को प्लास्टिक की चादर से ढक दिया।
स्वास्थ्य संबंधी खतरों के मद्देनजर कबूतरों को सार्वजनिक रूप से दाना दिए जाने पर प्रतिबंध लगाने और कबूतरखानों को बंद करने के बीएमसी के फैसले से विवाद खड़ा हो गया है।
कबूतरों को दाना देने वाले लोगों ने नगर निगम के इस फैसले को बंबई उच्च न्यायालय में चुनौती दी है।
उच्च न्यायालय ने सात अगस्त को कहा कि उसने शहर में कबूतरखानों को बंद करने के लिए कोई आदेश पारित नहीं किया है, बल्कि उसने नगर निगम के कबूतरखानों को बंद करने के फैसले पर रोक लगाने से परहेज किया है।
भाषा यासिर पारुल
पारुल
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