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Friday, 29 March, 2024
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भारत ने चीन से निपटने के लिए लद्दाख में की ‘तत्पर स्थानीय तैनाती’

सूत्र ने इस बात को रेखांकित किया कि क्षेत्र में मौजूदा सैनिकों के माध्यम से अतिरिक्त तैनाती की जा रही है और किसी को भी बाहर से नहीं लाया गया है.

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नई दिल्ली: भारत पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ कई जगहों पर ‘तत्पर स्थानीय रोकथाम तैनाती’ कर रहा है. दिप्रिंट को जानकारी मिली है कि भारत जहां चीनी सैनिकों द्वारा चुनौती पेश की गई है, उन क्षेत्रों में ‘मिरर डिप्लॉयमेंट’ (आप भी रहो, मैं भी रहूं की तैनाती) किया है.

सूत्रों से दिप्रिंट को मिली जानकारी के अनुसार स्थानीय लोगों की तैनाती यह सुनिश्चित करने के लिए की गई है कि चीनियों को ऐसी किसी भी चीज़ का इस्तेमाल करने की अनुमति न मिले जो तनाव को बढ़ा सकती हो.

उन्होंने रेखांकित किया कि अतिरिक्त तैनाती क्षेत्र में मौजूदा सैनिकों के माध्यम से की जा रही है और किसी को भी बाहर से नहीं लाया गया है.

एक सूत्र ने बताया, ‘कुछ स्थानों पर, चीनी एलएसी को चुनौती दे रहे हैं. और इसलिए हमने कई जगह रोकथाम तैनाती की है ताकि दूसरा पक्ष कोई फायदा न उठा सके. ये सभी अपने नेचर में रोकथाम वाले हैं और जब भी तनाव बढ़ा है, ये रणनीति का हिस्सा रहे हैं’.

दिप्रिंट ने इससे पहले बताया था कि जैसा कि चीन ने गालवान घाटी में ढांचागत विकास की गतिविधियों को रोकने में लगी भारतीय बॉर्डर रोड्स आर्गनाइजेशन (बीआरओ) को को बाध्य करने के लिए भारी संख्या में बॉर्डर डिफेंस रेजीमेंट (बीडीआर) सैनिकों की तैनाती की है, भारत भी ‘बने रहने’ और ‘मिरर डेप्लॉयमेंट’ (यानी आप भी रहें, हम भी रहें तैनाती) का फैसला किया है.

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सूत्र ने जोड़ा कि गालवान घाटी में ये अतिरिक्त चाइनीज सैनिक एलएसी की तरफ हैं लेकिन उनके पास सैनिकों के रहने के लिए जैसे टेंट, हैवी ह्वीकल्स और रसद है.

हालांकि, दिप्रिंट ने जैसा कि पहले भी बताया था, चीनी सैनिक इस क्षेत्र में लगभग 3 किलोमीटर अंदर आ गए हैं, जिसे भारत अपना मानता है. यह पैट्रोल पॉइंट 14, 15 और गोगरा पोस्ट के पास है, जो कि कौवे की तरह उड़ती गालवान घाटी से 80 किमी दक्षिण है, और यह घाटी और पैंगोंग झील के बीच है.

सूत्रों के अनुसार यह काफी हद तक हॉट स्प्रिंग क्षेत्र के रूप में जाना जाता है.

सूत्र ने दिप्रिंट को बताया कि चीनियों ने इन क्षेत्रों में अपनी सीसीएल (चाइनीज क्लेम लाइन) को पार नहीं किया है, लेकिन उन्होंने स्वीकार किया कि ये क्षेत्र भारत की एलएसी के अनुसार लगभग 3 किमी के अंदर है.

प्योंगयांग झील में पैदा होने वाली चुनौतीपूर्ण स्थिति

हालांकि, एक चुनौतीपूर्ण स्थिति, पैंगोंग झील के फिंगर क्षेत्रों में पैदा हो रही है, जहां विवादित क्षेत्र के एक बड़े हिस्से तक भारतीय सैनिकों की पहुंच चीनी कम करना चाहते हैं.

पैंगोंग झील का उत्तरी बैंक एक हथेली की तरह आगे बढ़ता है, और विभिन्न उंगलियों की तरह निकले हुए कई हिस्सों की सीमांकन क्षेत्र के रूप में पहचान की गई है. जबकि भारत का कहना है कि एलएसी फिंगर 8 से शुरू होता है, चीनी दावा करते हैं कि यह फिंगर 2 से शुरू होता है, जिस पर भारत का कब्जा है.

कारगिल लड़ाई के दौरान जब पाकिस्तान से लड़ने के लिए सैनिकों को इलाके से हटा दिया गया था, तब चीन ने फिंगर 4 में एक वाहन योग्य सड़क बनाई थी.

सूत्रों ने कहा कि भारत पिछले कुछ वर्षों में फिंगर 2 से आगे एक सड़क का निर्माण करने की कोशिश कर रहा है जो सैनिकों को वाहनों में ले जाने और स्पीड में मदद कर सकता है.

हालांकि, चीनी अब भारतीय गश्तों को आगे बढ़ने से रोकने के लिए फिंगर 3 क्षेत्र के पास और अधिक सैनिकों को लाए हैं और बंकर स्थापित किए हैं.

चीनियों के लिए उंगली क्षेत्र का महत्व यह है कि यदि वे फिंगर 4 के पश्चिम में आते हैं, तो वे लुकुंग का प्रत्यक्ष अवलोकन कर पाएंगे, जहां भारतीय गश्ती नौकाएं रखी हैं.

इसके अलावा, वे अन्य जगहों में उत्तरी बैंक और मार्शमिकला की ओर भारत की सभी गतिविधियां देख सकेंगे.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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