नयी दिल्ली, 22 अगस्त (भाषा) भारत देशभर में अंतरिक्ष आधारित ब्रॉडबैंड इंटरनेट सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए पृथ्वी की निचली कक्षा (एलईओ) में खुद का उपग्रह समूह स्थापित करने पर विचार कर रहा है। एक शीर्ष अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
खुद का एलईओ उपग्रह समूह स्थापित करने के भारत के प्रयासों को स्पेसएक्स और वनवेब जैसी वैश्विक कंपनियों के प्रभुत्व वाले क्षेत्र में जगह बनाने की स्पष्ट कवायद के रूप में देखा जा रहा है।
अधिकारी ने बताया कि अंतरिक्ष विभाग ने अंतरिक्ष क्षेत्र में विभिन्न सरकारी विभागों की आवश्यकताओं का आकलन करने के लिए हाल ही में विचार-विमर्श किया था, जिसमें एक स्वदेशी एलईओ उपग्रह समूह की मांग उभरकर सामने आई।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के उपग्रह अनुप्रयोग केंद्र के निदेशक नीलेश देसाई ने राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस समारोह की पूर्व संध्या पर इसरो की ओर से आयोजित राष्ट्रीय मीट-2 की कार्यवाही का सारांश देते हुए कहा, “अब समय आ गया है कि भारत अपना खुद का एलईओ उपग्रह समूह बनाए, चाहे वह नागरिक क्षेत्र के लिए हो या रणनीतिक क्षेत्र के लिए।”
देसाई ने कहा, “हमने पहले ही 140 उपग्रहों का एक समूह तैयार कर लिया है और यह महत्वपूर्ण शहरी क्षेत्रों की ब्रॉडबैंड आवश्यकता का ध्यान रखते हुए तत्काल आधार पर इस उद्देश्य को पूरा करेगा।”
विचार-विमर्श के दौरान दूरसंचार विभाग के अधिकारियों ने बताया कि उन्होंने हाल ही में देश में तीन निम्न-कक्षा ऑपरेटर को संचालन की अनुमति दी है।
देसाई ने कहा कि स्पेसएक्स छह हजार से अधिक एलईओ उपग्रहों का एक समूह संचालित करता है, जबकि वनवेब और टेलीसैट के भी पृथ्वी की निचली कक्षा में बड़ी संख्या में उपग्रह हैं।
उन्होंने अगले 15 वर्षों में 103 परिचालन उपग्रहों और 16 प्रौद्योगिकी प्रदर्शन उपग्रहों को प्रक्षेपित करने की योजना भी साझा की।
देसाई ने कहा कि 103 परिचालन उपग्रहों में से 80 स्थलीय अनुप्रयोगों के लिए और 23 महासागरीय एवं वायुमंडलीय अनुप्रयोगों के लिए होंगे। उन्होंने बताया कि 16 प्रौद्योगिकी प्रदर्शन उपग्रहों में से नौ स्थलीय अनुप्रयोगों के लिए और सात महासागरीय एवं वायुमंडलीय अनुप्रयोगों के लिए होंगे।
भाषा पारुल दिलीप
दिलीप
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