(तस्वीरों के साथ)
नयी दिल्ली, चार सितंबर (भाषा) भारत और सिंगापुर ने बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा उनके सिंगापुरी समकक्ष लॉरेंस वोंग की मौजूदगी में अपनी व्यापक रणनीतिक साझेदारी का विस्तार करने के लिए एक रोडमैप का अनावरण किया, जिसमें दुनिया में मौजूदा भू-राजनीतिक उथल-पुथल के बीच संबंधों को मजबूत करने की आवश्यकता को रेखांकित किया गया।
अपनी वार्ता के दौरान मोदी और वोंग ने उन्नत विनिर्माण, सेमीकंडक्टर, हरित नौवहन, कौशल विकास, असैन्य परमाणु ऊर्जा, विमानन और रक्षा तथा सुरक्षा के क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम करने पर सहमति व्यक्त की, जिसमें मानवरहित जहाजों के विकास में संभावित सहयोग भी शामिल है।
दोनों पक्षों ने पांच समझौतों पर हस्ताक्षर किए जो विमानन, कौशल विकास, हरित और डिजिटल नौवहन, अंतरिक्ष और डिजिटल परिसंपत्ति नवाचार के क्षेत्रों में सहयोग प्रदान करेंगे, जिसमें अगली पीढ़ी के वित्तीय बुनियादी ढांचे का विकास भी शामिल है।
सिंगापुर के साथ भारत के संबंधों को महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि यह देश भारत में सबसे बड़ा विदेशी निवेशक है, जो देश के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्रवाह का लगभग एक चौथाई हिस्सा है।
हरित नौवहन पर समझौता ज्ञापन (एमओयू) से हरित और डिजिटल शिपिंग कॉरिडोर (जीडीएससी) की स्थापना पर सहयोग में सुविधा होगी।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने मुंबई के न्हावा शेवा बंदरगाह पर एक कंटेनर टर्मिनल का भी ऑनलाइन तरीके से उद्घाटन किया। ‘पोर्ट ऑफ सिंगापुर अथॉरिटी’ (पीएसए इंटरनेशनल) ने इस परियोजना में एक अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक का निवेश किया है।
संबंधों के अगले चरण के लिए, दोनों पक्षों ने सहयोग के आठ स्तंभों की पहचान की है जिनमें आर्थिक सहयोग, कौशल विकास, डिजिटलीकरण, स्थिरता, संपर्क, स्वास्थ्य सेवा और चिकित्सा, लोगों से लोगों और सांस्कृतिक आदान-प्रदान, और रक्षा और सुरक्षा सहयोग शामिल हैं।
मोदी ने वोंग के साथ वार्ता के बाद मीडिया को दिए अपने बयान में कहा, ‘‘आज हमने अपनी साझेदारी के भविष्य के लिए एक विस्तृत रोडमैप तैयार किया है। हमारा सहयोग केवल पारंपरिक क्षेत्रों तक ही सीमित नहीं रहेगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘बदलते समय की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए, उन्नत विनिर्माण, हरित नौवहन, कौशल विकास, असैन्य परमाणु ऊर्जा और शहरी जल प्रबंधन भी हमारे सहयोग के केन्द्र बिन्दु बनकर उभरेंगे।’’
मोदी ने कहा, ‘‘हमने संकल्प लिया है कि अपने द्विपक्षीय व्यापार को और तेज करने के लिए हमारे व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते के साथ-साथ आसियान (दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्रों के संगठन) के साथ हमारे मुक्त व्यापार समझौते की समयबद्ध समीक्षा की जाएगी।’’
अपने संबोधन में, वोंग ने कहा कि दोनों देश नये अवसरों का लाभ उठा सकते हैं और क्षेत्र तथा उससे आगे स्थिरता और विकास में योगदान दे सकते हैं।
उन्होंने अपने मीडिया वक्तव्य में कहा, ‘‘अत्यधिक अनिश्चितता और अशांति से भरी दुनिया में, भारत और सिंगापुर के बीच साझेदारी और भी महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि यह साझेदारी साझा मूल्यों, आपसी सम्मान और विश्वास पर आधारित है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं आने वाले वर्षों में सिंगापुर-भारत साझेदारी को और अधिक ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी के साथ मिलकर काम करने के लिए उत्सुक हूं।’’
मोदी ने कहा कि दोनों पक्ष कृत्रिम बुद्धिमत्ता और अन्य डिजिटल प्रौद्योगिकियों में सहयोग बढ़ाने पर सहमत हुए हैं।
प्रधानमंत्री ने सिंगापुर को भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बताया और कहा, ‘‘हम आसियान के साथ सहयोग को आगे बढ़ाते रहेंगे और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए अपने संयुक्त दृष्टिकोण को आगे बढ़ाएंगे।’’
अपने संबोधन में मोदी ने कहा कि आतंकवाद के संबंध में दोनों पक्षों की चिंताएं समान हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारा दृढ़ विश्वास है कि मानवता को महत्व देने वाले सभी राष्ट्रों का यह कर्तव्य है कि वे आतंकवाद के खतरे के विरुद्ध लड़ाई में एकजुट हों।’’
मोदी ने कहा, ‘‘पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद, मैं प्रधानमंत्री वोंग और सिंगापुर सरकार की भारत के लोगों के प्रति संवेदना और आतंकवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई में उनके दृढ़ समर्थन के लिए अपनी गहरी कृतज्ञता व्यक्त करता हूं।’’
भाषा
देवेंद्र माधव
माधव
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.