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Monday, 23 December, 2024
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भारत ने ऑक्सीजन सपोर्ट पर कोविड-19 के मध्यम लक्षण वाले मरीजों के इलाज के लिए डेक्सामेथासोन को किया शामिल

डेक्सामेथासोन के ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा किए गए रिकवरी ट्रायल के दौरान प्रभावी पाए जाने के बाद इसके इस्तेमाल को मंजूरी मिली थी.

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नई दिल्ली: एक बेहद सस्ती जीवनरक्षक दवा डेक्सामेथासोन को अब सार्स-कोव-2 वायरस के कारण होने वाली नोवेल कोरोनावायरस बीमारी (कोविड-19) के इलाज के लिए निर्धारित भारत के क्लीनिकल मैनेजमेंट प्रोटोकॉल में शामिल कर लिया गया है. यह दवा ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत वाले मध्यम लक्षण के मामलों में इस्तेमाल की जा सकती है.

डेक्सामेथासोन एक कॉर्टिकोस्टेरॉइड है जिसका इस्तेमाल स्किन एलर्जी के इलाज और गठिया रोग आदि में किया जाता है. रिकवरी ट्रायल के तौर पर इस दवा का अध्ययन करने वाले ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने पाया कि यह मृत्युदर घटाने में कारगर रही है. अहम सकारात्मक परिणामों के बाद डेक्सामेथासोन से संबंधित ट्रायल अब रोक दिया गया है.

भारत में शनिवार को कोविड-19 के कुल मामले 5,08,953 का आंकड़ा पार कर गए, इसमें 18,552 नए मामले और 384 और मौतें शामिल हैं.

रिकवरी ट्रायल ने खोला रास्ता

केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने शनिवार को जारी एक बयान में कहा कि ज्वलनरोधी गुण और प्रतिरक्षा तंत्र पर प्रतिकूल असर को देखते हुए इस दवा को ‘विभिन्न स्थितियों’ में ही इस्तेमाल किया जा सकता है.

बयान के मुताबिक, ‘रिकवरी क्लीनिकल ट्रायल के तहत अस्पताल में भर्ती कोविड-19 के मरीजों पर इस दवा का परीक्षण किया गया और इसे गंभीर रूप से बीमार लोगों के लिए फायदेमंद पाया गया. इससे वेंटीलेटर पर रखे गए मरीजों की मृत्यु दर घटकर एक-तिहाई होने और ऑक्सीजन थेरेपी पर निर्भर मरीजों की मृत्यु दर पांचवें हिस्से के बराबर रह जाने की बात सामने आई है. यह जरूरी दवाओं की राष्ट्रीय सूची (एनएलईएम) का भी एक हिस्सा है और बड़े पैमाने पर उपलब्ध है’.


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देश में कोविड मरीजों के इलाज के लिए रेमडीसिविर, टॉसिलिजुमाब और स्वस्थ्य मरीजों के प्लाज्मा का इस्तेमाल आदि प्रोटोकॉल में शामिल हैं लेकिन डेक्सामेथासोन के इस्तेमाल में सबसे बड़ी बात यह है कि यह बहुत कम कीमत पर उपलब्ध है.

एनएलईएम का हिस्सा होने और इसलिए उन दवाओं में शामिल होने, जिनकी कीमत सरकार तय करती है, के कारण महामारी के दौरान बढ़ी हुई मांग की स्थिति में इसकी कीमत बढ़ने की संभावना नहीं है.

कुछ ब्रांड की दवाओं में 30 गोलियों का एक पत्ता महज 10 रुपये में उपलब्ध है.

हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन क्लीनिकल मैनेजमेंज प्रोटोकॉल का हिस्सा बनी रहेगी.

प्रतिरक्षा तंत्र पर पड़ता है दुष्प्रभाव

ऑक्सीजन सपोर्ट पर रहने वाले मरीजों के मामले में इलाज के लिए संशोधित दिशा-निर्देश कहता है, ‘तीन दिन के लिए आईवी मेथिलप्रेडिसिसोलोन 0.5 से 1 मिलीग्राम/किलोग्राम या डेक्सामेथासोन 0.1 से 0.2 मिलीग्राम/किलोग्राम देने पर विचार किया जा सकता है (भर्ती होने के 48 घंटे के भीतर या ऑक्सीजन की जरूरत बढ़ने या ज्वलनशीलता बढ़ने पर इसका इस्तेमाल करना ठीक होगा).

इसके साथ ही इस इलाज की प्रतिक्रिया को देखते हुए दवा देने की अवधि की समीक्षा करने की सलाह भी दी गई है.


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इन दवाओं का इस्तेमाल एक बेहद सीमित अवधि के लिए किए जाने का कारण यह है कि इनके दुष्प्रभाव भी होते हैं. जिनमें सबसे बड़ा यह कि शरीर की नैसर्गिक प्रतिरक्षा तंत्र कमजोर हो जाती है, जिससे मरीज के तपेदिक जैसे संक्रमणों की चपेट में आने का खतरा बढ़ जाता है. इससे अवसाद और वजन बढ़ने की समस्या भी हो सकती है.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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