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Friday, 3 May, 2024
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‘राष्ट्रपति मुर्मू का अपमान’, नये संसद भवन के उद्घाटन का कांग्रेस समेत 18 पार्टियां करेंगी बहिष्कार

कांग्रेस समेत पार्टियों ने संयुक्त बयान में कहा, 'जब लोकतंत्र की आत्मा को ही संसद से निष्कासित कर दिया गया है, तो हमें नई इमारत में कोई मूल्य नहीं दिखता.'

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नई दिल्ली : कांग्रेस समेत 18 अन्य विपक्षी पार्टियों ने बुधवार को संयुक्त बयान जारी कर 28 मई को नये संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने का फैसला किया है. कांग्रेस ने अपने ट्विटर हैंडल पर इस संयुक्त बयान को जारी किया है और इसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का अपमान व लोकतंत्र पर हमला बताया है.

कांग्रेस ने समान विचारधारा वाले विपक्षी दलों द्वारा संयुक्त बयान जारी करते हुए ट्विटर पर लिखा है, ‘नए संसद भवन के उद्घाटन के अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी को पूरी तरह से दरकिनार करना न केवल महामहिम का अपमान है बल्कि लोकतंत्र पर सीधा हमला भी है. जब लोकतंत्र की आत्मा को ही संसद से निष्कासित कर दिया गया है, तो हमें नई इमारत में कोई मूल्य नहीं दिखता. हम नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने के अपने सामूहिक निर्णय की घोषणा करते हैं.’

विपक्षी सांसदों के निलंबन, डिस्क्वालीफाइड किये जाने पर उठाया सवाल

विपक्षी दलों के संयुक्त बयान में कहा गया है, ‘अलोकतांत्रिक काम प्रधानमंत्री के लिए कोई नई बात नहीं, उन्होंने संसद को अंदर से खोखला (बिना काम का) बना दिया है. विपक्षी दलों ने जब देश के लोगों की आवाज उठाई तब उन्हें संसद की सदस्यता से डिस्क्वालीफाइड, निलंबित और मौन कर दिया गया.’

बयान के मुताबिक, ‘जब लोकतंत्र की आत्मा को संसद से निष्कासित कर दिया गया है तो हमें नई इमारत में कोई मूल्य नहीं दिखता. हम नये संसद भवन का बहिष्कार करने के अपने सामहूक निर्णय की घोषणा करते हैं. हम इस निरंकुश प्रधानमंत्री और उनकी सरकार के खिलाफ शब्दों और भावनाओं में लड़ना जारी रखेंगे और अपना संदेश सीधे भारत के लोगों तक ले जाएंगे.’

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बयान में कहा गया है कि सत्तापक्ष के सांसदों ने खुद संसद को बाधित किया. तीन कृषि कानूनों समेत कई विवादास्पद विधेयकों को लगभग बिना किसी बहस के पारित कर दिया गया और संसदीय समितियों को व्यावहारिक तौर से निष्क्रिय कर दिया गया.

इसमें कहा गया है, ‘नया संसद भवन सदी में एक बार आने वाली महामारी के दौरान बड़े खर्च पर बनाया गया है, जिसमें भारत के लोगों या सांसदों से कोई परामर्श नहीं किया गया है, जिनके लिए यह स्पष्ट रूप से बनाया जा रहा है.’

इस संयुक्त बयान को कांग्रेस, डीएमके, आम आदमी पार्टी, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे), समाजवादी पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, झामुमो, केरल कांग्रेस (मणि), टीएमसी, जेडी(यू), एनसीपी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), आरजेडी, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, नेशनल कॉन्फ्रेंस, रालोद, विदुथलाई चिरुथिगल कच्ची, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी, एमडीएमके की ओर से जारी किया गया है.

प्रधानमंत्री द्वारा नये संसद भवन का उद्घाटन का विपक्षी दलों की ओर से विरोध किए जाने पर शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने बुधवार को कहा कि उनकी पार्टी 28 मई को होने वाले समारोह का विरोध करेगी.

राउत ने कहा, ‘सभी विपक्षी दलों ने 28 मई को नये संसद भवन के उद्घाटन का विरोध करने का फैसला किया है, और हम भी यही करेंगे.’

राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने घोषणा की है कि वह भी उद्घाटन समारोह का विरोध करेगी.

बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने विपक्ष के बहिष्कार करने के कदम का जोरदार समर्थन किया. उन्होंने कहा, ‘हम इसका (नये संसद भवन का उद्घाटन) बहिष्कार करेंगे.’

आरजेडी (राष्ट्रीय जनता दल) ने दिल्ली में 28 मई को नये संसद भवन के उद्घाटन के बहिष्कार करने की बात कही है.

भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के सांसद के. केशवा राव ने कहा कि, ‘पार्टी ने इस समारोह में हिस्सा लेने को लेकर अभी फैसला नहीं किया है.’

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि नये संसद भवन के उद्घाटन कार्यक्रम को लेकर पार्टी अन्य समान विचारधारा वाले विपक्षी दलों के साथ खड़ी होगी.

एनसीपी के प्रवक्ता ने कहा, ‘एनसीपी नये संसद भवन के उद्घाटन कार्यक्रम में शामिल न होने के मुद्दे पर बाकी समान विचारधारा वाले विपक्षी दलों के साथ खड़े होने का फैसला किया है.’

विदुथलाई चिरुथैगल कच्ची (वीसीके) भी नये संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करेगी.

द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) सांसद तिरुचि सिवा ने पुष्टि की कि पार्टी इस उद्घाटन का बहिष्कार करेगी.

तिरुचि सिवा ने कहा, ‘डीएमके भी संसद के उद्घाटन का बहिष्कार करेगी.’

सूत्रों ने मंगलवार को बताया कि नये संसद भवन के 28 मई को उद्घाटन को लेकर पूर्व लोकसभा और राज्यसभा के पूर्व स्पीकर्स और चेयरमैन समेत देशभर के विभिन्न नेताओं को आमंत्रण भेजा गया है.

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने इस समारोह के बहिष्कार करने की घोषणा की है. सीपीआई(एम) के राज्यसभा सांसद डॉ. जॉन ब्रिट्टास ने इस बात की पुष्टि की.

इस बीच सीपीआई(एम) के महासचिव सीताराम येचुरी ने पीएम मोदी पर राष्ट्रपति को ‘दरकिनार’ करने का आरोप लगाया.

सीपीआई(एम) के महासचिव ने ट्वीट किया, ‘जब संसद भवन की नींव रखी गई तब राष्ट्रपति को दरकिनार किया गया. और अब उद्घाटन के दौरान. अस्वीकार्य. संविधान का अनुच्छेद 79 : संघ की एक संसद होगी, जिसमें राष्ट्रपति और दो सदन होंगे…’

उन्होंने ट्वीट किया, ‘राष्ट्रपति के बुलाने पर संसद की बैठक होती है? राष्ट्रपति द्वारा दोनों सदनों को हर साल संबोधित करने के बाद संसद अपना कामकाज शुरू करती है. राष्ट्रपति के अभिभाषण पर हर वर्ष संसद का पहला काम ‘धन्यवाद प्रस्ताव’ का होता है.’

इससे पहले आम आदमी पार्टी (आप) और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने पीएम मोदी द्वारा नये संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने की बात कही थी.

आप ने कहा, ‘आम आदमी पार्टी 28 मई को होने वाले संसद भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करेगी. उद्घाटन समारोह में राष्ट्रपति को आमंत्रित नहीं करने के मामले को लेकर उठ रहे सवालों को देखते हुए आप ने यह फैसला लिया है.’

टीएमसी सांसद डेरेक ओ’ब्रायन ने ट्विटर पर पार्टी के फैसले की घोषणा की है.

उन्होंने ट्वीट किया है, ‘संसद महज एक नई इमारत नहीं है; यह पुरानी परंपराओं, मूल्यों, मिसालों और नियमों के साथ एक प्रतिष्ठान है – यह भारतीय लोकतंत्र की नींव है. पीएम मोदी को यह समझ नहीं आ रहा है कि रविवार को नए भवन का उद्घाटन उनके लिए, मैं, मेरे, खुद के बारे में है. इसलिए हमें तवज्जो दें.’

इस बीच कांग्रेस के सूत्रों ने कहा, ‘कांग्रेस 28 मई को होने वाले नए संसद भवन के उद्घाटन कार्यक्रम का बहिष्कार कर सकती है.’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लोकसभा स्पीकर ओम बिरला 28 मई को संसद के नये भवन को देश को समर्पित करेंगे.

सूत्र ने कहा कि दोनों सदनों के सांसदों को भौतिक और डिजिटल दोनों रूपों में आमंत्रण भेज दिया गया है. 28 मई के नये संसद भवन के उद्घाटन के अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ द्वारा धन्यवाद संदेश जारी करने की संभावना है.

1927 में बना था मौजूदा संसद भवन

गौरतलब है कि मौजूदा संसद भवन 1927 में बना था, और यह लगभग 100 साल का होने जा रहा है. इस भवन में मौजूदा जरूरतों के लिहाज से जगह की कमी महसूस की गई. दोनों सदनों में, सांसदों के बैठने की सुविधा का अभाव देखा गया, जिससे सदस्यों को कार्य करनी क्षमता प्रभावित होती है.

उक्त बातों को ध्यान में रखते हुए, दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा ने सरकार से नये संसद भवन बनाने की मांग करने वाले प्रस्ताव को पास किया था. लिहाजा, 10 दिसंबर 2020 को नये संसद भवन की नींव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रखी. नव निर्मित संसद भवन गुणवत्ता के साथ रिकॉर्ड समय में पूरा किया गया है.

नये संसद की लोकसभा में बैठ सकेंगे 888 सदस्य

अब नवनिर्मित संसद भवन, जो भारत की गौरवशाली लोकतांत्रिक परंपराओं और संवैधानिक मूल्यों को और समृद्ध करने का काम करेगा, अत्याधुनिक सुविधाओं से भी लैस है, सदस्य अपने का काम को बेहतर तरीके से काम कर सकेंगे. नये संसद भवन में लोकसभा में 888 सदस्य बैठ सकेंगे.

मौजूदा संसद भवन में लोकसभा में 543 सदस्यों और राज्यसभा में 250 सदस्यों के बैठने का प्रावधान है. नवनिर्मित संसद भवन में, भविष्य की जरूरतों, सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए लोकसभा में 888 सदस्यों और राज्यसभा के 384 सदस्यों की बैठने की व्यवस्था होगी. दोनों सदनों का संयुक्त सत्र का आयोजन लोकसभा चैंबर में होगा.


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