गाजियाबाद: तारीख- 13 जनवरी, समय- सुबह के 11 बजे, जगह- नवयुग मार्केट में स्थित गाजियाबाद नगर निगम का ऑफिस, लोगों की भीड़ ही भीड़ है…इसी बिल्डिंग के पांचवे तले पर निगम आयुक्त महेंद्र सिंह तंवर के केबिन के अंदर और बाहर लोगों की भारी भीड़ है. वहां मौजूद लोगों ने बताया कि यहां हर दिन ऐसी ही भीड़ होती है.
कुछ लोग तो अपनी शिकायत लेकर वहां आए लेकिन इनमें वो भी हैं जिन्हें कमिश्नर तंवर ने अपने फील्ड विजिट के दौरान उनका काम सही न पाए जाने और साफ-सफाई ठीक से न करने को लेकर तलब किया था.
कमिश्नर महेंद्र सिंह तंवर ने सुबह 11 बजे से दोपहर 1.30-2:00 बजे तक 100-200 लोगों के काम को तेजी से निपटाया. काम निपटाते हुए महेंद्र सिंह तंवर ने कहा, ‘समय आ गया है जिला गाजियाबाद को गजब गाजियाबाद बनाने का.’
वह आगे कहते हैं, ‘हमारा लक्ष्य गाजियाबाद को साफ-सफाई में नंबर एक बनाने का है. और शहर को सुंदर बनाने के लिए जो काम निगम के हाथ में है मैं उसे कर रहा हूं.’
राजनगर में रहने वाले अलंकार शर्मा बताते हैं, ‘गाजियाबाद की सड़कों पर अब सफाई कर्मचारी झाड़ू लिए सुबह आठ बजे से सफाई करते नज़र आ जाते हैं. यही नहीं रात में भी कई इलाकों में निगम कर्मचारी झाड़ू लगाते दिखाई दे रहे हैंं.’
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‘साफ-सफाई और सौंदर्यीकरण को लेकर कोई समझौता नहीं’
भारत सरकार का स्वच्छ सर्वेक्षण 2021 शुरू हो चुका है. 4 जनवरी से 31 जनवरी तक यह सर्वेक्षण देशभर में चलाया जाता है.
मध्य प्रदेश का इंदौर लगातार कई सालों से स्वच्छता के मामले में अव्वल रहा है. गाजियाबाद भी अपना आंकड़ा सुधारने की कोशिशों में लगा है. 2020 के सर्वेक्षण में इस जिले को 19 वां जबकि 2019 में 13 वां स्थान हासिल किया था. इस बार तंवर की इच्छा जिले को देश के पांच शहरों सबसे साफ शहर की गिनती में लाने की है और उनकी इच्छा इसे स्वच्छता में नंबर एक बनाने की है.
युवा आईएएस अधिकारी तंवर सवालों से विचलित नहीं होते और जोश के साथ कहते हैं, ‘गाजियाबाद के कुछ इलाकों में बदलाव देखे जा रहे हैं और आने वाले चार-पांच महीनों में ये और सजा-संवरा दिखेगा.’
उन्होंने कहा, ‘साफ-सफाई और सौंदर्यीकरण को लेकर कोई समझौता नहीं.’
आईएएस तंवर ने साफ सफाई को लेकर निजी क्षेत्रों की कंपनियों की तरह एक व्यवस्था बनाई है जिसके तहत क्षेत्र के सभी सफाई कर्मचारियों को एकत्रित होकर निगम ऑफिस में फोटो भेजनी होती है.जिससे ये पता चल जाता है कि कितने सफाई कर्मचारी मौजूद थे. धांधली का कोई चांस नहीं.
निगम ऑफिस में मौजूद एक निगम पार्षद कमिश्नर से गुजारिश करती है कि इस तौर-तरीके से सफाई कर्मचारियों को कठिनाई हो रही है क्योंकि सभी का एकत्रित होना मुश्किल है. कमिश्नर मुस्कुराते हुए जवाब देते हैं, ‘नियम तो यही रहेगा, कर्मचारियों को सुबह और शाम अपनी अटेंडेंस तो लगानी पड़ेगी..एरिया तो मैं खुद कभी भी देख लूंगा.’
महेंद्र सिंह तंवर का काम सुबह आठ बजे से शुरू हो जाता है. उनकी टीम बिना बताए किसी भी इलाके में पहुंच जाती है और स्थिति का जायजा लेती है जिसका नतीजा है कि सभी लोग काम को मुस्तैदी से करने में जुटे रहते हैं. यही नहीं लोगों को काम में कोताही करता देख कमिश्नर गंदगी में उतरने और खुद भी फावड़ा चलाने से नहीं हिचकते…तलाबों की साफ-सफाई के दौरान उन्होंने यही किया.
महेंद्र ने दिप्रिंट से कहा, ‘गाजियाबाद से मेरा पुराना रिश्ता रहा है और मैंने आज से करीब 11 साल पहले इस शहर को देखा है. गाजियाबाद के लिए मैंने कुछ लाइनें भी लिखी हैं,‘गजब शहर है और गजब हैं यहां के लोग बाग.’
उन्होंने बताया, ‘आज जब इस शहर को खूबसूरत बनाने का जिम्मा मेरे हाथों में आ गया है तो मैं इसे गजब गाजियाबाद बनाने के लिए दिन रात एक कर रहा हूं और बना दूंगा विश्वास है.’
वह कहते हैं, ‘शहर तभी अच्छा कहलाएगा जब वहां के लोग अच्छे होंगे, लेकिन इसमें लोगों का योगदान भी जरूरी है, उन्हें भी अपने शहर से प्यार करना होगा और मदद करनी होगी.’
सैगरीगेशन प्लान
गाजियाबाद गंगा और यमुना के बीच बसा उत्तर प्रदेश का जिला है. यह आकार में लगभग चौकोर है. 75 किमी लंबा और 37 किमी चौड़ा है. उत्तर में यह मेरठ से सटा है तो दक्षिणी क्षेत्र बुलंदशहर और गौतमबुद्ध नगर (नोएडा) से जबकि इसके दक्षिण पश्चिम में देश की राजधानी दिल्ली है.
गाजियाबाद निगम पांच प्रशासकीय जोन में बंटा है, जिनमें सिटी जोन, कवि नगर, विजय नगर, मोहन नगर और वसुंधरा शामिल है. 1994 में गाजियाबाद नगर निगम बना इससे पहले यह बोर्ड हुआ करता था.
हालांकि जिले की साफ-सफाई का अभियान तो पीएम मोदी के 2015 के स्वच्छता अभियान के बाद से ही शुरू हो गया था. लेकिन सच में सफाई अभी नजर आ रही है.
दिप्रिंट से विशेष बातचीत में महेंद्र तंवर कहते हैं, ‘गाजियाबाद में हर दिन 1500 टन कूड़ा निकलता है और इस कूड़े को डंप करने के लिए हमारे पास कोई जगह नहीं है. मेरा व्यक्तिगत रूप से मानना है कि हम कूड़े को कहीं डंप न कर इसका निस्तारण करें. हमने मोर्टा में 45 एकड़ की साइट ली है जहां ‘गार्बेज फैक्ट्री ‘ बना रहे हैं जहां गीला और सूखा कूड़ा ‘सैगरीगेट’ किया जाएगा.’
कूड़े को सैगरीगेट (अलग-अलग) करने के लिए रैगपिकर्स (कूड़ा बीनने वाले) का सहारा लिया जा रहा है. अभी तक निगम में 5000 रैगपिकर्स रजिस्टर हो चुके हैं और उन्हें ट्रेनिंग दी जा रही है. फिलहाल कूड़े को प्रोसेस करने के लिए पांच जोन है जहां पांच फैक्ट्रियां भी बनाई जाएंगी.
तीन फैक्ट्रियां सिहानी गेट, इंदिरापुरम और रेत मंडी में शुरू होने वाली है. जबकि कविनगर और विजय नगर में भी एक-एक फैक्ट्री योजना में है.
हालांकि कूड़ा निस्तारण को लेकर कई योजनाएं पहले भी अधिकारियों ने बनाई हैं लेकिन वो भी धूल फांक रही हैं. चाहें वो मोर्टा में फैक्ट्री लगाए जाने की बात हो या फिर प्रताप गढ़ इलाके में बंद हुई लैंड फील्ड.
कमिश्नर ने यह भी बताया कि आने वाले समय में शहर के लोगों के साथ जागरूकता अभियान चलाकर निगम, घर में ही सूखा और गीला कूड़ा अलग करने की जानकारी देगा और जो लोग ऐसा करेंगे उन्हें ‘प्वाइंटस ‘ दिया जाएगा जिससे उन्हें हाउस टैक्स में रिबेट मिलेगा.
तंवर कहते हैं, ‘ऐसा नहीं करने वालों को निगम के कर्मचारी वार्निंग देंगे और फिर भी घर के लोग नहीं सुधरते तो निगम उन्हें ‘ब्लैक लिस्ट’ करेगा और उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई भी की जाएगी. निगम उनका कूड़ा नहीं उठाएगा.’
यह पूछने पर कि क्या यह संभव है, तंवर ने कहा, ‘प्लान तैयार है और ये होगा.’
गाजियाबाद के बदले रंग रूप पर शालीमार गार्डेन के जय दीक्षित कहते हैं,’ अचानक गाजियाबाद बदला बदला दिखने लगा है. साफ सफाई अच्छी लग रही है, हमारे इलाके में शौचालय बनाया गया है. बिजनेस मैन जय कहते हैं, ‘हमें यानी शहरवासियों को समझने की जरूरत है कि हमें अपने शहर को कैसे साफ रखना है.’
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कूड़ा गाड़ी ट्रैक करने के लिए एप
25 लाख की जनसंख्या वाले गाजियाबाद में 100 वार्ड नगर निगम के पास हैं. और कूड़ा उठाने के लिए महज 579 गाड़ियां. इसे ध्यान में रखते हुए 100 फ्लीट और जोड़ी जा रही हैं जबकि संकरी गलियों के लिए ई-रिक्शा को कस्टमाइज किया जा रहा है. सभी गाड़ियों में जीपीएस इनबिल्ट होगा और कूड़ा उठाने के लिए एक रोड मैप भी होगा.
तंवर ने कहा कि पर्यावरण की बेहतरी के लिए निगम अपनी सारी गाड़ियों को सीएनजी में कनवर्ट कर रहा है.
निगम एक एप भी ला रहा है जहां से आप कूड़ा गाड़ी को ट्रैक कर सकेंगे कि वो कहां पहुंची है. और ये एप निगम का सॉल्यूशन सेंटर भी होगा. गंदगी, साफ-सफाई से लेकर प्रॉपर्टी टैक्स तक की सारी सुनवाई एप पर होगी.
नगर निगम की कार्यप्रणाली को देखने के लिए खुद दो बार दिप्रिंट वहां पहुंचा. तंवर अपने काम के तरीके पर कहते हैं, ‘कल भी जब मुझे ही करना है तो आज ही क्यों नहीं.’ उन्होंने कहा कि ये डिसिप्लीन उन्हें अपने आर्मी में रहे पिता से विरासत में मिला है.
यूपी कैडर में 2015 बैच के आईएएस अधिकारी महेंद्र सिंह तंवर भिवानी टीआईटी एंड एस से टेक्सटाइल में बीटेक हैं. 2009 से 2011 तक प्राइवेट गारमेंट सेक्टर में भी उन्होंने काम किया है.
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सौंदर्यीकरण का काम शुरू
निगम के अंदर आने वाले पार्कों को कचरे से निकले प्लास्टिक से सजाया जा रहा है और जर्जर पार्कों को सुंदर बनाने के साथ दूसरे पार्कों को भी परिवार के बैठने, बच्चों के खेलने लायक बनाया जाएगा. इन पार्कों में संदेश देते स्कल्पचर (मूर्तियां) लगाए जाएंगे जिन्हें बनाने में वेस्ट प्रोडक्ट का इस्तेमाल किया जाएगा.
शहर के 46 तालाब जो या तो सूख गए थे या मलबे के ढेर में तब्दील हो चुके थे, उन्हें तंवर ने खुद अपने सामने साफ कराया है.
गाजियाबाद में ऐसे 200 पार्क हैं जिनके सौंदर्यीकरण का काम चालू है. साथ ही 150 से अधिक शौचालयों को भी सुंदर बनाया गया है.
पिछले दिनों कौशांबी बस अड्डे के करीब ‘नशेड़ियों का अड्डा’ बन चुके सेंट्रल पार्क का रेनोवेशन किया गया है. उस पार्क को कचरा प्लास्टिक को प्रोसेस कर कंप्यूटर के कीबोर्ड की तरह सजाया गया है. इस पार्क का नाम अब इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स और एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज है.
गाजियाबद का मुख्य चौधरी मार्ग में डिवाइडर नहीं था, तो निगम ने सड़क पर डिवाइडर के लिए खराब टायरों का उपयोग किया और आज ये आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. आने वाले दिनों में यूपी गेट पर बनाया जाने वाला खूबसूरत गेट भी कचरा प्लास्टिक का बनाया जाएगा.
निगम इस काम में इलाके की महिलाओं को भी जोड़ रहा है और उनसे प्लास्टिक कचरे को उन्हें देने को कह रहा है.
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मैं गाजियाबाद के सिक रोड रहता हूं यह न तो पक्की सड़क है ना ही कोई अन्य सुविधाएं
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