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Tuesday, 7 May, 2024
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मोदी सरकार उच्च सरकारी पदों में घटा रही है आईएएस अफसरों का बोलबाला

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सरकार द्वारा 2014 में 87 अधिकारियों से कम होते-होते इस साल तक केवल 11 आईएएस अधिकारियों को ही संयुक्त सचिव के पदों के लिए सूचीबद्ध किया गया है।

नई दिल्लीः नरेंद्र मोदी सरकार ने इस साल अब तक संयुक्त सचिव स्तर के पदों के लिए सिर्फ 11 आईएएस अधिकारियों को सूचीबद्ध किया है। यह तब से बिल्कुल अलग है जब प्रमुख सेवा के अधिकारियों ने केंद्र सरकार के नौकरशाही वर्ग में वरिष्ठ पदों पर वर्चस्व स्थापित किया था।

केंद्र सरकार में अधिकारियों का पदों के चयन के लिए मनोनयन प्रकिया है, जिनमें से कुछ को अंततः संयुक्त सचिव, अतिरिक्त सचिव, सचिव आदि के रूप में चुना जाता है।

इस पर विचार करें: 2014 में, जब एनडीए सरकार ने सत्ता संभाली, तब 87 आईएएस अधिकारियों को संयुक्त सचिव के रूप में सूचीबद्ध किया गया। हालांकि यह संख्या 2015 में समान रही, लेकिन फिर बाद में इसमें लगातार गिरावट आई है।

2016 में, सरकार ने संयुक्त सचिव के पद पर नियुक्ति के लिए 76 आईएएस अधिकारियों को चुना था, लेकिन 2017 में, यह संख्या कम होकर केवल 37 रह गई।

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सरकार अधिकारियों से संयुक्त सचिव स्तर के पदों को भरने के लिए अन्य सेवाओं पर निर्भर है।

इस वर्ष आईएएस पदों को भरने के लिए,केंद्र सरकार ने भारतीय वन सेवा (आईएफएस) के 45 अधिकारियों, भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) के 56 अधिकारियों और भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के पदों के लिए 70 अधिकारियों को सूचीबद्ध किया है।

इसने, लैटरल एंट्री के माध्यम से निजी क्षेत्र की प्रतिभा को आमंत्रित करने के केंद्र के फैसले के साथ संयोजित होकर, भारतीय नौकरशाही के कुछ सदस्यों को असहज कर दिया है।

जबकि अन्य सेवाओं के अधिकारियों का मनोनयन कोई नई बात नहीं है, संयुक्त सचिव स्तर के लिए चुने जा रहे आईएएस अधिकारियों की संख्या में निश्चित रूप से निरंतर गिरावट आई है। उदाहरण के तौर पर, यूपीए -2 के पिछले दो वर्षों, 2012 और 2013, में,पदों पर नियुक्ति के लिए चुने गए आईएएस अधिकारियों की संख्या क्रमश: 84 और 101 थी।

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तो, क्या मोदी सरकार केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के परिदृश्य को बदलकर आईएएस प्रभुत्व को कम करने की कोशिश कर रही है? या क्या आईएएस अधिकारियों की कमी है जिसकी वजह से राज्य स्तर पर अधिकारियों को अनिच्छा से दिल्ली जाने और मोदी सरकार के लिए काम करने के लिए कहा जाता है?

‘अन्य सेवाओं के लिए वरदान’

लंबे समय से, अन्य सेवाओं ने मनोनयनमें भेदभाव की शिकायत की है,यहाँ आईएएस का पक्ष लिया जाता है। उदाहरण के तौर पर, जबकि आईएएस अधिकारियों को केंद्र सरकार में सचिव स्तर के पदों के योग्य होने के लिए सेवा में 32 साल के अनुभव की आवश्यकता होती है, वहीं उनके समकक्षों को 34-35 साल से अधिक अनुभव की आवश्यकता होती है, इससे अवधि से पहले अधिकांश अधिकारी रिटायर हो जाते हैं।

नतीजतन, केंद्र सरकार के 81 सचिव स्तर के अधिकारियों में से 57, आईएएस से संबंधित हैं, और केवल 24 अन्य सेवाओं और लैटरल एंट्री में से हैं।

अगर अन्य सेवाओं के अधिकारियों की माने तो, पिछले कुछ सालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई “इशारे” किए हैं कि वे इस गहरे मतभेद से अवगत हैं।

एक वरिष्ठ आईआरएस अधिकारी ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर कहा, “कोई प्रत्यक्ष बयान नहीं दिया गया है लेकिन उपयुक्त संकेत है कि प्रधानमंत्री जानते हैं कि प्रतिभा केवल आईएएस तक ही सीमित नहीं है।”

अधिकारी ने आगे कहा, “हालांकि हम लगातार बेहतर प्रतिनिधित्व की मांग कर रहे हैं, पहली बार यह सरकार द्वारा हमारे प्रतिनिधित्व को बढ़ावा देने के लिए एक जागरूक प्रयास प्रतीत होता है। मोदी सक्रिय रूप से शीर्ष पर स्थित आईएएस के प्रभुत्व को चूरचूर करने की कोशिश कर रहे हैं।”

अन्य सेवाओं के लिए सरकार का प्रोत्साहन केवल संयुक्त सचिवों के पद तक ही सीमित नहीं है। यूपीए -2 ने केंद्र सरकार में अतिरिक्त सचिवों के पद के लिए अन्य सभी सेवाओं के 26 अधिकारियों को सूचीबद्ध किया था, लेकिन वर्तमान सरकार में अब तक यह संख्या 71 हो गई है।

पिछली सरकार के तहत सचिव पद के लिए अधिकारियों के पैनल की सभी अधिसूचनाएँ अब डीओपीटी वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि यूपीए -2 के तहत सचिव स्तर के लिए आईएएस के अलावा अन्य सेवाओं से 15 अधिकारी चुने गए थे। वर्तमान सरकार में यह संख्या 49 हो गई है।

एक आईएफएस अधिकारी ने कहा, “यह केवल सूची में शामिल होने तक ही सीमित नहीं है। इन दिनों, अन्य मंत्रालयों के अधिकारियों को भी महत्वपूर्ण मंत्रालयों में नियुक्त किया जा रहा है। देखिए, यथास्थितिवादी सरकारें हैं और गैर- यथास्थितिवादी सरकारें हैं। यह निश्चित रूप से पहली बार नहीं है। आप तर्क कर सकते हैं कि यह अच्छा है या बुरा है लेकिन यह एक तथ्य है।”

आईएएस अधिकारियों की सीमित आपूर्ति

कुछ आईएएस का कहना है कि इस सरकार के तहत दिल्ली आने के लिए उनके अधिकारियों में अनिच्छा व्याप्त है।
एक जेएस-स्तरीय आईएएस अधिकारी ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर कहा, “आपूर्ति पक्ष में कमी आ रही है क्योंकि पहले नौकरशाहों के लिए जीवन बेहतर था।” अधिकारी ने आगे कहा, “हमारे पास प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए बहुत अधिक स्वतंत्रता थी …लेकिन अब ऐसा करवाने के लिए सतत निगरानी, नियंत्रण और जबरदस्त दबाव है। कोई नौकरशाह प्रेशर कुकर की तरह की स्थिति में काम करना पसंद नहीं करता है।”

नतीजतन, कुछ ही अधिकारी अपना राज्य छोड़कर दिल्ली आना चाहते हैं। उन्होंने बताया, “इससे पहले, केंद्र सरकार में रिक्तियों के लिए, प्रस्ताव सूची में 20-25 आईएएस अधिकारी होते थे लेकिन अब हर 20 रिक्तियों के लिए, आपको केवल पांच ही आईएएस अधिकारी मिलेंगे।”

“प्रस्ताव सूची” में उन अधिकारियों की सूची शामिल है जिनके राज्य उन्हें सेवा के लिए केंद्र सरकार में भेजने को तैयार हैं।
एक अन्य आईएएस अधिकारी ने आरोप लगाया, “यह स्पष्ट है कि मोदी अधीनस्थ अधिकारी चाहते हैं। उनका विचार है कि कम ज्ञात सेवाओं के अधिकारी उनके अनुरूप काम कर सकेंगे।”

आईआरएस अधिकारी ने कहा, “इसके अलावा, इस सरकार में ‘अवैध कार्य’ की कोई गुंजाइश नहीं है। अगर कोई अधिकारी भ्रष्ट पाया जाता है, तो उसे तुरंत बाहर कर दिया जाता है, भ्रष्ट अधिकारी ‘न खाऊंगा, न खाने दूँगा’ जैसा कथन से डरते हैं।”

संपादकीय नोट: इस रिपोर्ट में संशोधन किया गया है | केंद्र सरकार में 15 सचिव पदाधिकारी गैर-आईएएस सेवाओं और लेटरल एंट्री से हैं, 24 नहीं। त्रुटि के लिए खेद है|

Read in English : The IAS has thinned at the top of the bureaucracy under the Modi government

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