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Monday, 6 May, 2024
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इंदौर लगातार चौथे साल देश का सबसे स्वच्छ शहर घोषित, सीएम चौहान ने कहा-स्वच्छता इंदौर का स्वभाव है

इंदौर के फिर से नंबर एक आने पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लोगों को बधाई दी. सर्वेक्षण में दूसरा स्थान सूरत और तीसरा स्थान नवी मुंबई को मिला है.

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नई दिल्ली: केंद्र सरकार द्वारा किए गए स्वच्छता सर्वेक्षण के बृहस्पतिवार को जारी नतीजों में इंदौर को लगातार चौथे साल भारत का सबसे स्वच्छ शहर घोषित किया गया है. सर्वेक्षण में दूसरा स्थान सूरत और तीसरा स्थान नवी मुंबई को मिला.

इंदौर के फिर से नंबर एक आने पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लोगों को बधाई दी और कहा, ‘स्वच्छता इंदौर का स्वभाव है, इंदौर की जनता ने गंदगी को भगा दिया है और स्वच्छता इंदौर की सभ्यता बन गई है.’

चौहान ने आगे कहा, ‘मैं इंदौर की जनता को बहुत बधाई देता हूं. अब केवल देश से ही नहीं दुनिया से, लोग स्वच्छता का पाठ पढ़ने-सीखने कहीं आते हैं तो इंदौर आते हैं.

केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने एक समारोह में स्वच्छ सर्वेक्षण पुरस्कार 2020 की घोषणा की.

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इंदौर शहर की बढ़ रही कचरे से कमाई

हालांकि इंदौर शहर में कचरे के प्रसंस्करण से भी नगर निकाय की कमाई में इजाफा करने में जुटा है. वार्षिक स्वच्छता सर्वेक्षण के पांचवें संस्करण ‘स्वच्छ सर्वेक्षण 2020’ के नतीजों की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषणा किये जाने से एक दिन पहले बुधवार को इंदौर नगर निगम (आईएमसी) की आयुक्त प्रतिभा पाल ने से कहा था, ‘हमें पूरा भरोसा है कि इंदौर के मेहनती सफाई कर्मियों, जागरूक नागरिकों और जन प्रतिनिधियों की मदद से हम लगातार चौथी बार स्वच्छ सर्वेक्षण में अव्वल रहेंगे और इस तरह सफाई का चौका लगाने का हमारा नारा साकार होगा.’

उल्लेखनीय है कि इंदौर ने इस सर्वेक्षण में 2017, 2018 और 2019 में पहला स्थान हासिल किया था. वहीं, 2016 के सर्वेक्षण में कर्नाटक का मैसूरू शहर पहले स्थान पर रहा था.

देश के 4,242 शहरों में किये गये ‘स्वच्छ सर्वेक्षण 2020’ में कुल 1.9 करोड़ नागरिकों ने अपनी राय देकर भागीदारी की है.

इस बीच, केंद्र सरकार के स्वच्छ भारत अभियान के लिये आईएमसी के सलाहकार असद वारसी ने बताया कि 31 मार्च को खत्म वित्तीय वर्ष 2019-20 में गीले और सूखे कचरे के प्रसंस्करण से शहरी निकाय की कमाई 50 फीसद बढ़कर करीब छह करोड़ रुपये पर पहुंच गयी.

वित्तीय वर्ष 2018-19 में कचरा प्रसंस्करण से आईएमसी ने लगभग चार करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया था. वारसी ने बताया कि सूखे कचरे के लिये आईएमसी ने कृत्रिम मेधा (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) से संपन्न स्वचालित प्रसंस्करण संयंत्र लगाया है. इस संयंत्र के जरिये सूखे कचरे में से कांच, प्लास्टिक, कागज, गत्ता, धातु आदि पदार्थ अलग-अलग बंडलों के रूप में बाहर निकल जाते हैं.

उन्होंने बताया कि गीले कचरे के प्रसंस्करण से आईएमसी बायो-सीएनजी और कम्पोस्ट खाद बना रहा है. गीले कचरे के प्रसंस्करण के लिये आईएमसी सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) के आधार पर शहर के देवगुराड़िया क्षेत्र में 500 टन क्षमता का नया बायो-सीएनजी संयंत्र लगा रहा है.

वारसी ने बताया कि नये संयंत्र में एक निजी कम्पनी करीब 250 करोड़ रुपये का निवेश करेगी, जबकि आईएमसी को इस इकाई के लिये जगह और प्रसंस्करण के लिये गीला कचरा भर मुहैया कराना होगा.

उन्होंने बताया कि करार के मुताबिक संयंत्र लगाने वाली निजी कम्पनी गीले कचरे के प्रसंस्करण से होने वाली आय में से आईएमसी को हर साल एक करोड़ रुपये का प्रीमियम अदा करेगी.

वारसी ने बताया, ‘हमें उम्मीद है कि अगले वित्तीय वर्ष 2021-22 में अलग-अलग संयंत्रों में गीले और सूखे कचरे के प्रसंस्करण से आईएमसी की कमाई बढ़ कर 10 करोड़ रुपये के आसपास पहुंच जायेगी.’ अधिकारियों ने बताया कि करीब 35 लाख की आबादी वाले शहर में आईएमसी ने हर रोज तकरीबन 1,200 टन कचरे का अलग-अलग तरीकों से सुरक्षित निपटारा करने की क्षमता विकसित की है. इसमें 550 टन गीला कचरा और 650 टन सूखा कचरा शामिल है.

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