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Thursday, 28 March, 2024
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क्या भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो एक ‘‘उगाही केंद्र’’ बन गया है: कर्नाटक उच्च न्यायालय ने पूछा

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बेंगलुरु, 30 जून (भाषा) कर्नाटक उच्च न्यायालय ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के कामकाज की कड़ी आलोचना करते हुए पूछा कि क्या यह ‘‘उगाही केंद्र ’’ बन गया है।

अदालत ने बुधवार को एसीबी के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक को एक ‘दागी अधिकारी’ बताया और कहा कि यदि उन्हें बचाया जा रहा है तो वह उन्हें तलब करेगी।

अदालत ने एसीबी को 2016 के बाद से उन सभी मामलों का ब्योरा पेश करने का आदेश दिया, जिनमें उसने वरिष्ठ नौकरशाहों से जुड़े मामलों में ‘बी रिपोर्ट’ दायर की है।

‘बी रिपोर्ट’ का अर्थ है रद्द करने की रिपोर्ट, यानी पुलिस को किसी व्यक्ति के खिलाफ आरोप पत्र दायर करने और उसके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए कोई सबूत नहीं मिला है।

न्यायमूर्ति एच. पी. संदेश ने कहा, ‘‘दागी रिकॉर्ड वाले अधिकारियों को एसीबी का प्रमुख बनाया जा रहा है। कितने मामलों में एसीबी ने ‘बी रिपोर्ट’ दाखिल की है, इसका विवरण दिया जाये। मैं यहां आंखें बंद करने के लिए नहीं बैठा हूं।’’

सुनवाई तीन जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी गई है।

अदालत बेंगलुरु शहर के उपायुक्त कार्यालय में एक उप तहसीलदार पी. एस. महेश की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

महेश रिश्वत मामले में आरोपी है, जिसने 38 ‘गुंठा’ भूमि के संबंध में अनुकूल आदेश पारित करने के लिए अनेकल निवासी एक व्यक्ति से कथित तौर पर पांच लाख रुपये की रिश्वत मांगी थी।

न्यायमूर्ति संदेश ने पूछा, ‘‘मुझे जानकारी चाहिए। एसीबी द्वारा कितने आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है? यह एसीबी द्वारा संचालित एक रैकेट है। इनमें से कितने नौकरशाहों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है? क्या यह कोई उगाही केंद्र है।’’

भाषा

देवेंद्र दिलीप

दिलीप

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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