नयी दिल्ली, एक सितंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन (डीएचसीबीए) ने सोमवार को भारत के प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई और उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम को पत्र लिखकर दिल्ली उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्तियों और स्थानांतरण में ‘‘अधिक पारदर्शिता’’ का अनुरोध किया।
डीएचसीबीए ने प्रधान न्यायाधीश को पत्र लिखकर दिल्ली उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों के ‘‘बार-बार होने वाले स्थानांतरण’’ पर चिंता व्यक्त की।
बार ने कहा, ‘‘आज, हम बार के भीतर एक प्रचलित धारणा का सामना कर रहे हैं कि उच्च न्यायालय में न्यायिक नियुक्तियां करते समय दिल्ली उच्च न्यायालय बार के सदस्यों पर विचार नहीं किया जा रहा है।’’ बार निकाय ने इसे एक ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण’’ स्थिति करार दिया।
डीएचसीबीए के पत्र में कहा गया है, ‘‘ नियुक्ति और स्थानांतरण की इस प्रक्रिया में अधिक पारदर्शिता और परामर्श से न केवल कानूनी बिरादरी का विश्वास मजबूत होगा, बल्कि न्यायपालिका में जनता का विश्वास भी बढ़ेगा।’’
डीएचसीबीए ने दावा किया कि हाल के दिनों में दिल्ली उच्च न्यायालय में देश भर के न्यायाधीशों के ‘‘कई स्थानांतरण’’ हुए हैं।
पत्र में कहा गया,‘‘ इस न्यायालय से कई न्यायाधीशों के अन्य न्यायालयों में स्थानांतरण से न केवल संस्थान के भीतर, बल्कि बार के सदस्यों में भी बेचैनी पैदा हुई है।’’
वरिष्ठ अधिवक्ता विकास पाहवा ने 28 अगस्त को प्रधान न्यायाधीश को पत्र लिखकर दो न्यायाधीशों – न्यायमूर्ति अरुण मोंगा और न्यायमूर्ति तारा वितस्ता गंजू – को दिल्ली उच्च न्यायालय से क्रमशः राजस्थान और कर्नाटक उच्च न्यायालयों में स्थानांतरित करने की कॉलेजियम की सिफारिशों पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया था।
भाषा शोभना माधव
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