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Tuesday, 7 May, 2024
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‘नकली मरीज़, फर्जी नंबर, डॉक्टरों के अटेंडेंस में धोखाधड़ी’, दिल्ली के मोहल्ला क्लीनिकों पर क्यों हैं नजर

दिल्ली सरकार के मोहल्ला क्लीनिकों की रैंडम मॉनिटरिंग के बाद परिवार कल्याण निदेशालय की रिपोर्ट के आधार पर एलजी ने सीबीआई जांच की सिफारिश की. जिसके बाद AAP ने केंद्र पर निशाना साधा.

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नई दिल्ली: “नाॅन-मेडिकल स्टाफ” द्वारा “फर्ज़ी रोगियों” पर निर्धारित प्रयोगशाला परीक्षण, पंजीकरण फॉर्म पर डुप्लिकेट और गैर-मौजूद मोबाइल नंबर, ये सब एक रिपोर्ट के कुछ ऐसे निष्कर्ष हैं जो दिल्ली के उपराज्यपाल (एल-जी) वी.के. सक्सेना की, राष्ट्रीय राजधानी में मोहल्ला क्लीनिकों में कथित कदाचार की सीबीआई जांच की सिफारिश का आधार बन गए.

मोहल्ला क्लीनिक दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) के नेतृत्व वाली सरकार की एक प्रमुख पहल है. जिसे मेडिकल  केयर प्रदान करने के लिए 2015 में लॉन्च किया गया था.

उपराज्यपाल कार्यालय के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि कथित अनियमितताएं पिछले साल अगस्त में मोहल्ला क्लीनिकों की रैंडम मॉनिटरिंग के दौरान सामने आईं.

सूत्रों ने कहा कि कदाचार की दो परतें देखी गईं – सात क्लीनिकों के डॉक्टर और अन्य चिकित्सा कर्मचारी “पहले से रिकॉर्ड किए गए वीडियो के माध्यम से अपनी उपस्थिति दर्ज करने के लिए फर्जी तरीके अपना रहे थे, और गैर-चिकित्सा कर्मचारी गैर-मौजूद मरीजों के लिए प्रिस्क्रिप्शन लिख रहे थे”.

सूत्रों ने यह भी कहा कि ऐसे हजारों मामले थे जहां जिन मरीजों ने कथित तौर पर नैदानिक ​​परीक्षणों के लिए पंजीकरण कराया था, उनमें दो ही निजी प्रयोगशालाओं के नाम दर्ज कराए गए थे और उन्होंने पंजीकरण फॉर्म पर संपर्क नंबर कॉलम को खाली छोड़ दिया था या “999999999” या “000000000” जैसे नंबर लिख दिए थे.

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उन्होंने बताया कि सैकड़ों पंजीकरण फॉर्म में डुप्लीकेट फोन नंबर भी थे.

क्लीनिकों की रैंडम मॉनिटरिंग के बाद, परिवार कल्याण निदेशालय के निदेशक द्वारा एक स्थिति रिपोर्ट तैयार की गई और दिल्ली स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के विशेष सचिव को सौंपी गई. दिप्रिंट ने रिपोर्ट देखी है.

रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली के शाहदरा, उत्तर पूर्व और दक्षिण पश्चिम जिलों में सात मोहल्ला क्लीनिकों में चिकित्सा कर्मचारियों ने जून 2022 और मार्च 2023 के बीच पूर्व-रिकॉर्ड किए गए वीडियो के माध्यम से अपनी उपस्थिति दर्ज की थी.

उपराज्यपाल कार्यालय के सूत्रों ने कहा कि उपस्थिति दर्ज करने की फर्जी प्रथा सामने आने के बाद, दिल्ली के स्वास्थ्य सचिव द्वारा दो निजी प्रयोगशालाओं के परीक्षण डेटा की समीक्षा करने का आदेश दिया गया था. इस डेटा की जांच पिछले साल अक्टूबर में स्वास्थ्य विभाग के एक सिस्टम एनालिस्ट ने की थी.

रिपोर्ट में कहा गया है कि उस समयावधि में भी जब डॉक्टर और कर्मचारी पहले से रिकॉर्ड किए गए वीडियो के माध्यम से अपनी उपस्थिति दर्ज कर रहे थे और क्लीनिकों से अनुपस्थित थे, लैब परीक्षणों की सिफारिश की जा रही थी, जो कि मोहल्ला क्लीनिकों की मानक संचालन प्रक्रियाओं का स्पष्ट उल्लंघन है.

रिपोर्ट स्वास्थ्य विभाग के विशेष सचिव द्वारा 6 दिसंबर, 2023 को स्वास्थ्य सचिव को सौंपी गई थी, और दिल्ली सरकार को वित्तीय नुकसान और डॉक्टरों और चिकित्सा कर्मचारियों की कथित मिलीभगत का आकलन करने के लिए “डिटेल्ड विजिलेंस इन्क्वायरी” की सिफारिश की गई थी.

विशेष सचिव (सतर्कता) वाईवीवीजे राजशेखर ने स्थिति रिपोर्ट में अपनी टिप्पणियां कीं और इसे मंगलवार को दिल्ली के मुख्य सचिव को भेज दिया, जिसमें मोहल्ला क्लीनिकों की सीबीआई जांच की सिफारिश की गई थी.

तत्कालीन एलजी नजीब जंग की सिफारिशों पर 2018 में मोहल्ला क्लीनिकों के संचालन में कथित अनियमितताओं की शुरू की गई सीबीआई जांच का जिक्र करते हुए, राजशेखर ने कहा कि क्लीनिकों के कामकाज पर नए तथ्यों को पुराने मामले के साथ “संयोजन” में देखा जाना चाहिए.

राजशेखर ने रिपोर्ट में कहा, “एक तरफ, आम आदमी मोहल्ला क्लीनिक (एएएमसी) की स्थापना पहले से ही सवालों के घेरे में है, अब इसकी कार्यप्रणाली भी संदिग्ध है क्योंकि सरकारी खजाने की कीमत पर निहित स्वार्थों की पूर्ति के लिए वास्तविक डेटा में हेराफेरी/विरूपण किया जा रहा है. दोनों मामलों में, कुल मिलाकर नुकसान जनता का है क्योंकि प्रक्रियाओं को निष्पादित करने में कोई जवाबदेही और पारदर्शिता नहीं दिखाई गई है.”

कथित अनियमितताओं के बारे में पूछे जाने पर, दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री और आप नेता सौरभ भारद्वाज ने गुरुवार को मीडिया से कहा कि स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग चलाने वाले सभी नौकरशाहों को आप के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा नियुक्त नहीं किया गया था.

उन्होंने आगे कहा कि वास्तव में आप सरकार ने लिखित में दिया था कि स्वास्थ्य सचिव और स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक को हटाया जाना चाहिए.

उन्होंने केंद्र में सत्ता में मौजूद भाजपा पर भी हमला करते हुए पूछा कि अगर वह दिल्ली स्वास्थ्य विभाग के कामकाज पर उंगली उठा रही है, तो दोषी अधिकारियों को बर्खास्त क्यों नहीं कर सकती?

भारद्वाज ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “फर्ज़ी मरीज़ कौन बना रहा है? मंत्री जी नकली रोगी बना रहे हैं? ये अधिकारी ही होंगे. ये अधिकारी कौन हैं? वे उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रहे हैं बल्कि उनकी रक्षा कर रहे हैं. वे उन अधिकारियों को बर्खास्त क्यों नहीं कर देते? हमने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष भी अपना प्रस्ताव लिखित रूप में दिया है.”

इस बीच, गृह मंत्रालय ने शुक्रवार को मोहल्ला क्लीनिकों सहित सरकारी अस्पतालों में घटिया दवाओं की कथित आपूर्ति की सीबीआई जांच का आदेश दिया.


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एक नजर आंकड़ों पर भी

दिप्रिंट ने मोहल्ला क्लीनिक पर रिपोर्ट में सिस्टम विश्लेषक के निष्कर्षों की समीक्षा की है.

इसमें 15,463 लैब परीक्षणों का दस्तावेजीकरण किया गया जो पिछले साल फरवरी और सितंबर के बीच दिल्ली के जाफर कलां, उजवा, शिकारपुर, गोपाल नगर और ढांसा में पांच क्लीनिकों से ऑर्डर किए गए थे.

रिपोर्ट में कहा गया है कि 52 पंजीकरण फॉर्मों में कोई मोबाइल नंबर नहीं था, जबकि 358 फॉर्मों में रोगियों के मोबाइल नंबर 1, 2, 3, 4 और 5 से शुरू होते थे, जो भारत में प्रयोग नहीं होते थे जबकि 71 मोबाइल नंबरों का इस्तेमाल 15 से ज्यादा बार किया गया था.

रिपोर्ट में कहा गया है कि ये सभी परीक्षण Agilus Diagnostics को दिए गए थे.

रिपोर्ट में कहा गया है कि इसी समयावधि में, जगजीत नगर और बिहारी कॉलोनी के दो मोहल्ला क्लीनिकों में, एक अन्य निजी कंपनी, मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर को भेजे गए 2,262 डायग्नोस्टिक परीक्षणों में 26 मोबाइल नंबरों के साथ पंजीकरण फॉर्म थे, जिन्हें 10 बार या उससे अधिक बार दोहराया गया था.

रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने फरवरी 2023 में लैब परीक्षण सेवाओं को इन कंपनियों को आउटसोर्स किया था.

जुलाई और सितंबर 2023 के बीच, जब स्वास्थ्य विभाग ने विश्लेषण के लिए दिल्ली भर के सभी मोहल्ला क्लीनिकों, पॉलीक्लिनिकों, अस्पतालों और डिस्पेंसरियों से दो प्रयोगशालाओं के लिए परीक्षण डेटा निकाला, तो पाया कि मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर को कुल 85,616 परीक्षण दिए गए थे.

रिपोर्ट के मुताबिक, इनमें से 3,092 मामलों में ‘9999999999’ मोबाइल नंबर का इस्तेमाल किया गया था, जबकि 111 मोबाइल नंबरों का इस्तेमाल 15 या उससे अधिक बार किया गया.

इसी अवधि में, एगिलस डायग्नोस्टिक्स को 5,21,221 परीक्षण दिए गए, जिनमें से 11,657 पंजीकरण फॉर्म में मरीजों के मोबाइल नंबर के रूप में ‘0000000000’ था जबकि 8,199 फॉर्म बिना किसी मोबाइल नंबर के थे.

रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके अलावा, 817 मोबाइल नंबर 15 या अधिक मौकों पर दोहराए गए थे, जबकि 42 पंजीकरण फॉर्म में मोबाइल नंबर 1, 2, 3, 4, 5 अंक से शुरू हुए थे.

(संपादन: अलमिना खातून)
(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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