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Friday, 5 September, 2025
होमदेशब्रिटिश भी नहीं कर पाए थे गोरखा सैनिकों का सामना, संधि के लिए होना पड़ा था मजबूर : आदित्यनाथ

ब्रिटिश भी नहीं कर पाए थे गोरखा सैनिकों का सामना, संधि के लिए होना पड़ा था मजबूर : आदित्यनाथ

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गोरखपुर (उप्र), चार सितंबर (भाषा) उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बृहस्पतिवार को ऐतिहासिक गोरखा युद्ध स्मारक के सौंदर्यीकरण के कार्य की शुरुआत की और यहां एक नए संग्रहालय की आधारशिला रखी।

मुख्यमंत्री ने इसे गोरखा सैनिकों के बलिदान को श्रद्धांजलि बताया।

अधिकारियों ने बताया कि यह परियोजना 45 करोड़ रुपये की लागत से विकसित की जाएगी, जो न केवल गोरखा सैनिकों के बलिदान को सम्मान देगी, बल्कि भारत-नेपाल के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंधों को भी नयी मजबूती प्रदान करेगी।

इस कार्यक्रम में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान भी मौजूद रहे। इस अवसर पर ‘गोरखा रिक्रूटिंग डिपो’ (जीआरडी) की कार्यशैली पर आधारित एक लघु फिल्म का प्रदर्शन किया गया, जिसमें गोरखा रेजीमेंट के बहादुर जवानों की कहानियां जीवंत रूप से प्रस्तुत की गईं।

मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में गोरखा रेजीमेंट के शहीदों के परिवारों को सम्मानित किया।

गोरखा सैनिकों की वीरता को याद करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘जब हम भारत की सेना के शौर्य की चर्चा करते हैं, तो गोरखा सैनिकों का नाम सबसे ऊपर आता है। ‘जय महाकाली, आयो गोरखाली’ के उद्घोष के साथ जब ये शत्रु पर टूट पड़ते हैं, तो दुश्मन पीछे हटने को मजबूर हो जाता है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘1816 के ब्रिटिश-गोरखा युद्ध में ब्रिटिश सेना को संधि करने के लिए मजबूर होना पड़ा था। बाद में, गोरखा सैनिकों ने ब्रिटिश आर्मी में भी अपनी बहादुरी का लोहा मनवाया। स्वतंत्र भारत में भी गोरखा रेजीमेंट ने विभिन्न मोर्चों पर दुश्मनों को घुटने टेकने पर मजबूर किया।’’

मुख्यमंत्री ने कवि रामधारी सिंह दिनकर की प्रसिद्ध कविताओं का भी उल्लेख किया और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पांच संकल्पों का उल्लेख किया, जिनमें विरासत पर गर्व, सैनिकों के प्रति सम्मान और एकता पर जोर दिया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह 100 वर्ष पुराना स्मारक अब भव्य रूप लेगा। संग्रहालय में गोरखा रेजीमेंट की पुरानी यूनिफॉर्म, हथियार, अस्त्र-शस्त्र और युद्धकला में आए बदलावों को प्रदर्शित किया जाएगा, जिससे युवा पीढ़ी को इतिहास से सीखने का अवसर मिलेगा।

उन्होंने सेवा पूरी करने वाले अग्निवीरों के लिए पुलिस बल में 20 प्रतिशत आरक्षण का भी ज़िक्र किया।

सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने गोरखा सैनिकों की वीरता को सलाम करते हुए कहा कि यह दिन ऐतिहासिक है। उन्होंने कहा, ‘‘1886 में कुनराघाट में गोरखा रिक्रूटिंग डिपो की स्थापना हुई थी। प्रथम विश्व युद्ध में गोरखा सैनिकों ने अदम्य साहस दिखाया और कम से कम 20,000 शहीद हुए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘1925 में इस युद्ध स्मारक की स्थापना हुई थी और अब इसका नवीनीकरण हमारी दूरदर्शिता का प्रतीक है।’’

भाषा सं जफर खारी

खारी

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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