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Thursday, 25 April, 2024
होमदेश'चरमरा जाएगा स्वास्थ्य ढांचा': बंगाल में शुरू हुए गंगा सागर मेले को लेकर विशेषज्ञों ने जताई चिंता

‘चरमरा जाएगा स्वास्थ्य ढांचा’: बंगाल में शुरू हुए गंगा सागर मेले को लेकर विशेषज्ञों ने जताई चिंता

बंगाल सरकार के ये कहने के बाद कि वो मेले पर पाबंदी के पक्ष में नहीं है, कलकत्ता हाई कोर्ट ने गंगा सागर मेले के आयोजन की अनुमति दे दी. लेकिन स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि लोगों के बड़े जमावड़े की इजाजत नहीं होनी चाहिए.

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कोलकाता: वार्षिक गंगा सागर मेला जो मकर संक्रांति के दौरान पश्चिम बंगाल के सागर द्वीप पर आयोजित किया जाता है, शुक्रवार को कलकत्ता हाई कोर्ट की मंज़ूरी मिलने के बाद रविवार से शुरू हो गया.

16 जनवरी को संपन्न होने वाला ये धार्मिक समागम ऐसे समय हो रहा है, जब कोविड-19 का ओमीक्रॉन वैरिएंट पश्चिम बंगाल समेत कई प्रांतों में संक्रमण की लहर में एक नई उछाल पैदा कर रहा है.

9 जनवरी तक पश्चिम बंगाल में हर दिन 24,287 सक्रिय मामले सामने आ रहे थे. स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार कोलकाता में, जो गंगा सागर से केवल पांच घंटे की दूरी पर है, सकारात्मकता दर 57.98 प्रतिशत है, जो देश भर में दूसरी सबसे ऊंची दर है.

धार्मिक समागम ऐसे समय हो रहा है, जब विशेषज्ञ इस डर से एहतियात बरतने की सलाह दे रहे हैं कि इस आयोजन से अस्पताल में भर्तियों की संख्या बढ़ सकती है और राज्य का स्वास्थ्य ढांचा चरमरा सकता है.


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कलकत्ता हाई कोर्ट ने क्या कहा

गंगा सागर मेला एक पवित्र वार्षिक तीर्थ यात्रा है, जिसका आयोजन हर वर्ष मकर संक्रांति के मौके पर किया जाता है. कुंभ मेले के बाद ये देश का दूसरा सबसे बड़ा धार्मिक जमावड़ा है, जो गंगा और बंगाल की खाड़ी के संगम पर लगता है. श्रद्धालु सुबह के समय संगम में डुबकी लगाते हैं, जिसके बाद कपिल मुनि आश्रम में पूजा अर्चना की जाती है. इस साल पश्चिम बंगाल को अपेक्षा है कि 6 से 15 जनवरी के बीच 4-5 लाख तीर्थ यात्री इस समागम में शरीक हो सकते हैं.

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शुक्रवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय ने ममता बनर्जी सरकार को गंगा सागर मेले के आयोजन की स्वीकृति दे दी और एक कमेटी के गठन का आदेश दिया, जो कोविड प्रोटोकॉल्स के किसी भी तरह के उल्लंघन की स्थिति में सरकार से सागर द्वीप में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने के लिए कह सकती है.

कोर्ट ने कहा, ‘हमारा विचार है कि रोकथाम उपायों के अमल पर नज़र रखने के लिए एक स्वतंत्र कमेटी गठित होनी चाहिए और अगर कार्यान्वयन में कोई उल्लंघन या खामी पाई जाती है, तो वो कमेटी राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट देकर मेले पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने के लिए कह सकती है’.

अदालत एक जनहित याचिका की सुनवाई कर रही थी, जिसमें देशभर में कोविड मामलों में उछाल के मद्देनज़र आयोजन पर पाबंदी लगाने की मांग की गई थी. लेकिन शुक्रवार को कोर्ट में दाखिल किए गए 24 पन्नों के एक हलफनामे में पश्चिम बंगाल सरकार ने कहा कि वो इस धार्मिक आयोजन पर पाबंदी लगाए जाने के पक्ष में नहीं है.

हलफनामे में कहा गया, ‘ये सुनिश्चित किया जाएगा कि दूसरे राज्यों से गंगा सागर मेले में आने वाले सभी लोग, तीर्थयात्री, साधु तथा संन्यासी अनिवार्य रूप से मास्क पहनेंगे, समाजिक दूरी बनाकर रखेंगे और सैनिटाइज़र्स का प्रयोग करेंगे’.

29 दिसंबर को गंगा सागर में अपने तीन-दिवसीय दौरे के दौरान मीडिया से बात करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि सरकार सुनिश्चित करेगी कि सभी कोविड प्रोटोकॉल्स का पालन किया जाए. ‘ओमीक्रॉन घातक नहीं है लेकिन ये ज्यादा तेजी से फैल रहा है. जो लोग गंगा सागर आना चाहते हैं वो आएंगे, जो सुरक्षित महसूस नहीं करते वो नहीं आएंगे. हम सुनिश्चित कर रहे हैं कि सभी कोविड प्रोटोकॉल्स का पालन किया जाए’.


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‘भारी भीड़ की अनुमति नहीं होनी चाहिए’

लेकिन विशेषज्ञों ने गंगा सागर आयोजन को लेकर चिंता जताई है, खासकर ये देखते हुए कि पिछले साल हरिद्वार के कुंभ मेले में श्रद्धालुओं को किस तरह कोविड नियमों को तोड़ते हुए देखा गया था और बहुतों के टेस्ट पॉज़िटिव भी आए थे. उस आयोजन पर सभी की भौंहें तनी थीं क्योंकि वो महामारी की दूसरी घातक लहर के बीच भी जारी रहा था.

वुडलैंड्स मल्टीस्पेशिएलिटी अस्पताल की प्रबंध निदेशक और सीईओ डॉ रुपाली बासु ने कहा, ‘विशुद्ध वैज्ञानिक नज़रिए से मौजूदा हालात में लोगों के बड़े जमावड़ी की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए, चूंकि कोविड तेजी से फैल रहा है और संक्रमण दर बहुत ऊंची है, सेकंडरी हमले की दर भी ऊंची है और टीका लगे हुए लोगों के फिर से संक्रमित होने के मामले भी देखे गए हैं’.

मेडिका अस्पताल कोलकाता के कार्डियक सर्जन डॉ कुनाल सरकार ने दिप्रिंट से कहा, ‘ओमीक्रॉन का प्रकोप फिलहाल किसी एक व्यक्ति के लिए हल्का हो सकता है लेकिन समुदाय के लिए ये काफी गंभीर है क्योंकि इसमें संक्रमण दर ज्यादा है और कुल केसलोड के अगर आधे हिस्से को भी अस्पताल जाने की जरूरत पड़ गई, तो वो पूरे स्वास्थ्य देखभाल ढांचे को चरमराने के लिए काफी होगा. काफी बड़ी संख्या में अस्पताल पहले ही बहुत अच्छी स्थिति में नहीं हैं और उनका बहुत सारा स्टाफ बीमार है. बेहद निराशाजनक बात है कि ये सीधा सा तर्क, राजनीतिक व्यवस्था, नौकरशाही, यहां तक कि न्यायपालिका की समझ में भी नहीं आ रहा है.’

उन्होंने पूछा, ‘बंगाल के लोग इस समय बहुत संवेदनशील स्थिति में हैं. इसमें क्या समझदारी है कि हम खुद समस्याओं को बढ़ाएं और उसके बाद पाबंदियां लगाएं?’

सीएमआरआई अस्पताल के पल्मोनॉलजिस्ट डॉ श्याम कृष्णन ने कहा, ‘कोविड मरीजों का इलाज कर रहे पल्मोनॉलजिस्ट के नाते, मुझे लगता है कि कोई भी बड़ा जमावड़ा, चाहे वो धार्मिक हो या सामाजिक, बिल्कुल अनावश्यक है, खासकर ऐसे में जब हम मामलों में बहुत तेजी से उछाल देख रहे हैं. इस बार हमारा वास्ता जिस वैरिएंट से है, वो बहुत अधिक संक्रामक है. प्रशासन को सुनिश्चित करना होगा कि हर कोई सख्ती के साथ प्रोटोकॉल्स का पालन करे और ये भी देखना होगा कि इससे बढ़ते हुए मामलों में और ज्यादा इजाफा न हो’.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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