नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुड़गांव में मेदांता अस्पताल को जमीन आवंटन के संबंध में चर्चित हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. नरेश त्रेहान और अन्य के खिलाफ धन शोधन का एक मामला दर्ज किया है.
अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि जांच एजेंसी ने धन शोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) के तहत एक आपराधिक मामला दर्ज किया है. अस्पताल के सह संस्थापक त्रेहान सहित 16 लोगों के खिलाफ गुड़गांव पुलिस द्वारा एक प्राथमिकी दर्ज करने के बाद ईडी ने यह कदम उठाया है.
अधिकारियों ने कहा कि पुलिस की शिकायत में दर्ज सभी आरोपियों के नाम को ईडी ने शामिल किया है.
सेक्टर-38 में मेडिसिटी के लिए 53 एकड़ जमीन के आवंटन में कथित अनियमितता के मामले में गुड़गांव की अतिरिक्त सत्र अदालत के निर्देश के बाद पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज की थी. इस जमीन के लिए 2004 में वहां के स्थानीय निवासियों को बेदखल किया गया था.
हालांकि, मेदांता ने मामले में लगाए गए आरोपों को गलत और प्रेरित बताया है.
पिछले सप्ताह गुड़गांव में सदर थाने में मामला दर्ज किया गया और आरोपियों के खिलाफ पीएमएलए तथा भ्रष्टाचार रोकथाम कानून की धाराएं लगायी गयी.
प्राथमिकी में कहा गया है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी (आपराधिक साजिश), 406 (आपराधिक विश्वासघात), 463, 467,468 और 471 (सभी धाराएं दस्तावेजों और रिकॉर्ड से जालसाजी से संबंधित हैं) भी लगायी गयी है.
मेदांता के एक प्रवक्ता ने उस वक्त कहा था, ‘यह शिकायत ऐसे व्यक्ति ने दर्ज करायी है जो खुद को आरटीआई कार्यकर्ता बताते हैं. हालांकि, प्रेस में खबरें आयी हैं कि वसूली के लिए उनके खिलाफ मामले दर्ज हुए थे. इस शिकायत में लगाए गए सारे आरोप झूठे, निराधार और दुर्भावना से प्रेरित हैं.’
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प्राथमिकी में और ‘जिन लोगों के नाम हैं वे सभी सरकारी अधिकारी हैं, जो अपराध में संलिप्त थे.’ एसएएस इन्फोटेक, जीएल एशिया मॉरीशस, डनअर्न इनवेस्टमेंट (मॉरीशस), नरेश त्रेहान एंड एसोसिएट्स हेल्थ सर्विसेज, ग्लोबल इंफ्राकॉन, पुंज लॉयड, गुड़गांव में हरियाणा शहरी विकास निगम (हुडा) के मुख्य प्रशासक, इस्टेट ऑफिसर्स-दो हुडा और सामान्य स्वास्थ्य सेवा, हरियाणा के निदेशक का भी नाम है.
प्राथमिकी के मुताबिक गुड़गांव निवासी रमण शर्मा ने आरोप लगाया कि नियमों और नीतियों का उल्लंघन कर और सरकारी सेवकों की साठगांठ से ‘मेडिसिटी प्रोजेक्ट’ के लिए जमीन त्रेहान, सुनील सचदेवा, अतुल पुंज और अनंत जैन को आवंटित की गयी.
शिकायतकर्ता ने कहा है कि हरियाणा सरकार ने भूमि अधिग्रहण कानून 1984 के प्रावधानों के तहत सार्वजनिक उद्देश्य से 2004 में उस इलाके से वहां के स्थानीय लोगों को बेदखल कर दिया, जिसे अब सेक्टर 38 कहा जाता है.
इसके बाद राज्य सरकार ने हुडा के जरिए ‘मेडिसिटी प्रोजेक्ट’ के लिए विज्ञापन निकाला. इसमें कहा गया था कि अंतरराष्ट्रीय स्तर का एक सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, शैक्षिक चिकित्सा संस्थान और चिकित्सा तथा अनुसंधान से जुड़े अन्य संस्थान बनाए जाएंगे. इसके साथ ही एक शॉपिंग मॉल और यात्री निवास भी बनाए जाएंगे.
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि त्रेहान, सचदेवा, पुंज और जैन को लाभ पहुंचाने के लिए आरोपी सरकारी अधिकारियों ने विभिन्न चरणों में योग्यता, नियम-शर्तों को ताक पर रख दिया. इससे राज्य को गंभीर नुकसान हुआ.
शिकायतकर्ता ने कहा है, ‘आरोपी नंबर पांच (सरकारी अधिकारी) ने पद का फायदा उठाकर आपराधिक कदाचार किया और आरोपी नंबर एक, दो तीन और चार (त्रेहान, सचदेवा, पुंज और जैन) को लाभ पहुंचाया.’
इसके साथ ही कहा गया है कि सरकारी अधिकारियों ने वित्तीय क्षमता पर विचार किए बिना मेडिसिटी के सारे भूखंड को त्रेहान के हवाले कर दिया.