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शुक्रवार, 30 मई, 2025
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स्वदेशी एआई फाउंडेशन मॉडल बनाने के लिए तीन अन्य टीमों का चयन

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नयी दिल्ली, 30 मई (भाषा) भारत ने कृत्रिम मेधा (एआई) के स्वदेशी फाउंडेशन मॉडल के निर्माण के लिए सर्वम एआई के बाद शुक्रवार को तीन और टीम- सॉकेट एआई, गण एआई एवं ज्ञानी एआई का चयन किया।

अपनी वैश्विक एआई महत्वाकांक्षाओं के अनुरूप भारत ने 16,000 अतिरिक्त जीपीयू (ग्राफिक्स प्रसंस्करण इकाई) की उपलब्धता की भी घोषणा की। इसके साथ ही स्टार्टअप और शोधकर्ताओं के लिए यहां उपलब्ध ‘कंप्यूट’ सुविधा 34,000 जीपीयू तक पहुंच जाएगी।

भारत ने स्वदेशी स्तर पर एआई मॉडल के विकास की एक व्यापक योजना बनाई हुई है जिसमें उन्नत एआई बुनियादी ढांचे और स्थानीय भाषा मॉडल का विकास भी शामिल है।

इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि प्रौद्योगिकी के लोकतंत्रीकरण पर ध्यान देने के साथ ‘इंडिया एआई मिशन’ पर महत्वपूर्ण प्रगति हुई है।

उन्होंने कहा कि 34,000 जीपीयू से सुसज्जित कंप्यूटिंग सुविधा भारत को बड़े पैमाने पर एआई पारिस्थितिकी के विकास में सक्षम बनाएगी।

वैष्णव ने कहा कि स्वदेशी एआई फाउंडेशन मॉडल बनाने के लिए तीन और टीमों- सॉकेट एआई, गण एआई एवं ज्ञानी एआई का चयन किया गया है।

वैष्णव ने कहा, ‘सर्वम की तरह इन तीन टीमों के सामने भी बहुत बड़ा लक्ष्य है। चाहे वे जिस भी क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करते हैं, उन्हें दुनिया के शीर्ष पांच में शामिल होना चाहिए।’

जनरेटिव यानी सृजन से जुड़े एआई में इस्तेमाल होने वाले फाउंडेशन मॉडल आकार में विशाल और पूर्व-प्रशिक्षित मॉडल होते हैं जो विभिन्न प्रकार के एआई अनुप्रयोगों के लिए आधार बनाते हैं।

इस साल अप्रैल में ‘सर्वम एआई’ को भारत का पहला स्वदेशी एआई फाउंडेशन मॉडल बनाने के लिए चुना गया था, जो देश के एआई नवाचार परिवेश में एक मील का पत्थर साबित हुआ।

‘सॉकेट एआई’ रक्षा, स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा जैसे क्षेत्रों को लक्षित करते हुए देश की भाषाई विविधता के लिए अनुकूलित मुक्त स्रोत वाला 120 अरब मानदंडों पर आधारित एक फाउंडेशन मॉडल विकसित करेगा।

‘गण एआई’ इस क्षेत्र के मौजूदा वैश्विक अगुवा से आगे निकलने के लिए बहुभाषी फाउंडेशन मॉडल लक्ष्यीकरण क्षमताओं के 70 अरब मानदंड तैयार करेगा।

वहीं ‘ज्ञानी एआई’ 14 अरब मानदंडों वाला आवाज-आधारित एआई फाउंडेशन मॉडल बनाएगा जो उन्नत तार्किक क्षमताओं के साथ वास्तविक समय में बहुभाषी भाषण प्रसंस्करण करेगा।

ज्ञानी.एआई के सह-संस्थापक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी गणेश गोपालन ने एक बयान में कहा, ‘हमें भारत की भाषाई विविधता का सही प्रतिनिधित्व करने वाले विशाल भाषा मॉडल के विकास के लिए ‘इंडिया एआई मिशन’ के तहत चुने जाने पर गर्व है। हमारा मिशन हमेशा प्रौद्योगिकी को अधिक समावेशी और सुलभ बनाना रहा है।’

उन्होंने कहा कि ज्ञानी.एआई भारत और दुनिया के लिए वॉयस-टू-वॉयस विशाल भाषा मॉडल विकसित करने का मार्ग प्रशस्त करने के लिए उत्सुक है, क्योंकि हमारा मानना ​​है कि बदलावकारी एआई को उन लोगों की भाषा बोलनी चाहिए जिनकी वह सेवा करता है।

भाषा प्रेम प्रेम रमण

रमण

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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