scorecardresearch
Friday, 15 August, 2025
होमदेशअर्थजगतरिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर चार साल में 28,483 करोड़ रुपये से अधिक का बिजली बकाया वसूलेगी

रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर चार साल में 28,483 करोड़ रुपये से अधिक का बिजली बकाया वसूलेगी

Text Size:

नयी दिल्ली, आठ अगस्त (भाषा) रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने शुक्रवार को कहा कि उसकी दो अनुषंगी कंपनियां बीएसईएस यमुना पावर लिमिटेड और बीएसईएस राजधानी पावर लिमिटेड उच्चतम न्यायालय के एक फैसले के बाद 28,483 करोड़ रुपये का बिजली बकाया वसूल करेंगी।

रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के अनुसार, 31 जुलाई 2025 तक बीएसईएस यमुना पावर लिमिटेड और बीएसईएस राजधानी पावर का कुल बकाया 28,483 करोड़ रुपये है।

बीएसईएस यमुना पावर लिमिटेड और बीएसईएस राजधानी पावर लिमिटेड, रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर (आरइन्फ्रा) की बिजली वितरण कंपनियां (डिस्कॉम) हैं जो दिल्ली में 53 लाख मकानों को बिजली की आपूर्ति करती हैं। इनमें रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर की 51 प्रतिशत और दिल्ली सरकार की शेष 49 प्रतिशत हिस्सेदारी है।

शेयर बाजार को दी सूचना में रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने कहा कि उसकी अनुषंगी कंपनियां ‘‘ एक अ्रपैल 2024 से पूर्वव्यापी रूप से शुरू होने वाले चार वर्ष में 28,483 करोड़ रुपये की नियामक परिसंपत्तियों की वसूली करेंगी।’’ उच्चतम न्यायालय के एक आदेश के बाद ऐसा किया जा रहा है जिसने नियामक परिसंपत्तियों की वसूली के लिए दिशानिर्देश निर्धारित किए हैं।

उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को एक अहम फैसला सुनाते हुए निर्देश दिया था कि दिल्ली की तीन निजी बिजली वितरण कंपनियों को 27,200.37 करोड़ रुपये की वहन लागत समेत नियामक परिसंपत्तियों का भुगतान तीन साल के भीतर किया जाए।

विनियामक परिसंपत्तियां वे लागतें या राजस्व हैं जिन्हें एक नियामक एजेंसी (जैसे, बिजली वितरण कंपनियों के लिए) किसी कंपनी की बही-खाता में स्थगित करने की अनुमति देती है खासकर जब वास्तविक लागतें निर्धारित शुल्क से अधिक हो जाती हैं। इसमें तेजी से वृद्धि हुई है जो 31 मार्च 2024 तक बीएसईएस राजधानी पावर लिमिटेड (बीआरपीएल) के लिए 12,993.53 करोड़ रुपये, बीएसईएस यमुना पावर लिमिटेड (बीवाईपीएल) के लिए 8,419.14 करोड़ रुपये और टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड (टीपीडीडीएल) के लिए 5,787.70 करोड़ रुपये तक पहुंच गई। इस प्रकार, यह कुल मिलाकर 27,200.37 करोड़ रुपये बैठता है।

रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के अनुसार, उसकी अनुषंगी कंपनियों ने 2014 में उच्चतम न्यायालय के समक्ष एक रिट याचिका और सिविल अपील दायर की थी, जिसमें ‘ गैर-लागत प्रतिबिंबित शुल्क, नियामक परिसंपत्ति का गैरकानूनी निर्माण और नियामक परिसंपत्ति का गैर-परिसमापन’ का मुद्दा उठाया गया था।

उच्चतम न्यायालय ने रिट याचिकाओं व संबंधित मामलों पर विस्तार से सुनवाई की और राज्य सरकारों तथा राज्य विद्युत नियामक आयोगों सहित सभी पक्षों को सुनने के बाद यह आदेश दिया। रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने कहा कि आदेश के अनुसार विद्युत नियामक आयोगों (ईआरसी) को मौजूदा नियामक परिसंपत्तियों के परिसमापन के लिए खाका प्रदान करना होगा, जिसमें वहन लागत से निपटने के प्रावधान शामिल होंगे।

इसमें कहा गया कि ईआरसी को उन परिस्थितियों पर भी गहराई से गौर करना चाहिए जिनमें बिजली वितरण कंपनियों ने नियामक परिसंपत्तियों की वसूली नहीं की है।

भाषा

निहारिका रमण

रमण

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

share & View comments