नई दिल्ली: दुनिया में बढ़ती आर्थिक अस्थिरता और राजनीतिक तनाव, भू-आर्थिक और भूराजनीतिक संबंधों में उतार-चढ़ाव के बीच अगले छह माह के दौरान वैश्विक स्तर पर काफी उथल-पुथल देखने को मिल सकती है. विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) के मुख्य जोखिम अधिकारियों (सीआरओ) के एक सर्वे में यह निष्कर्ष निकाला गया है.
सर्वे के अनुसार, 85 प्रतिशत से अधिक सीआरओ का मानना है कि दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में लगातार कुछ स्तर का उतार-चढ़ाव बना रहेगा. इसमें सशस्त्र संघर्षों और नियामकीय बदलावों को भी संगठनों के लिए एक संभावित जोखिम बताया गया है. 75 प्रतिशत सीआरओ मानते हैं कि कृत्रिम मेधा (एआई) जैसी प्रौद्योगिकियों से उनके संगठन की प्रतिष्ठा के लिए जोखिम पैदा हो सकता है.
इस सर्वे में 40 जोखिम पेशेवरों को शामिल किया गया है. ये पेशेवर प्रौद्योगिकी, वित्तीय सेवा, स्वास्थ्य देखभाल, पेशेवर सेवाओं और औद्योगिक विनिर्माण क्षेत्र की बहुराष्ट्रीय कंपनियों से जुड़े हैं.
सर्वे में शामिल सीआरओ ने अपने संगठन के लिए वृहद आर्थिक संकेतकों, कच्चे माल की कीमत और उनकी आपूर्ति में बाधा, सश्स्त्र संघर्ष और नियामकीय बदलावों को प्रमुख जोखिम करार दिया.
डब्ल्यूईएफ की वैश्विक जोखिम पहल की प्रमुख एलिसा कैवसियूटी-विशार्ट ने कहा, ‘‘2023 के शेष बचे समय में सीआरओ को कई गंभीर चिंताओं का सामना करना पड़ेगा.’’
जिनेवा स्थित डब्ल्यूईएफ ने कहा कि बढ़ती लागत और आपूर्ति दिक्कतों के बीच संगठनों को कई सैद्धान्तिक और सामाजिक जोखिमों का सामना करना पड़ रहा है, जो नियामकीय अनुपालन की तुलना में कहीं अधिक जटिल हैं.
सर्वे में कहा गया है कि हाल के महीनों में प्रौद्योगिक आधारित जोखिमों को लेकर भी चर्चा हो रही है. मुख्य जोखिम अधिकारियों का व्यापक रूप से मानना है कि जोखिम प्रबंधन कृत्रि मेधा जैसी प्रौद्योगिकियों की तेजी से तैनाती के अनुरूप नहीं है. 75 प्रतिशत सीआरओ ने कहा कि एआई प्रौद्योगिकी के उपयोग से उनके संगठन की प्रतिष्ठा के लिए जोखिम पैदा होता है.
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