मुंबई, 10 नवंबर (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि आईसीआईसीआई बैंक के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) के पद से चंदा कोचर की बर्खास्तगी प्रथम दृष्टया ‘वैध’ थी। इसके साथ ही अदालत ने सेवानिवृत्ति के बाद के लाभ के लिए उनके अंतरिम आवेदन को भी खारिज कर दिया।
न्यायमूर्ति आर आई छागला की एकल पीठ ने कोचर को यह निर्देश भी दिया कि वह 2018 में हासिल किए गए बैंक के 6.90 लाख शेयरों का सौदा न करें।
अदालत ने कोचर को छह महीने के भीतर एक हलफनामा दायर करने के लिए कहा, जिसमें अगर शेयरों का कोई सौदा किया गया हो, तो उस बारे में बताना होगा।
न्यायमूर्ति छागला ने कोचर द्वारा दायर एक अंतरिम आवेदन को खारिज कर दिया और कहा, ‘‘मैंने बर्खास्तगी को वैध माना है।’’
कोचर ने अपने आवेदन में उन लाभों की मांग भी की, जो बैंक द्वारा उनकी समयपूर्व सेवानिवृत्ति को स्वीकार करने के बाद बिना शर्त मिलने थे। उन्होंने यह भी कहा कि बैंक पहले ही सेवानिवृत्त हो चुके व्यक्ति को बर्खास्त नहीं कर सकता था।
उन्हें बिना शर्त के दिए गए लाभों में कर्मचारी स्टॉक विकल्प शामिल है, जिन्हें 2028 तक भुनाया जा सकता था।
आईसीआईसीआई बैंक ने भी एक आवेदन दायर कर कहा कि कोचर को शेयरों का सौदा नहीं करने का निर्देश दिया जाए।
बैंक ने मई, 2018 में वीडियोकॉन समूह को 3,250 करोड़ रुपये के ऋण देने में कोचर की कथित भूमिका के बारे में शिकायत मिलने के बाद उनके खिलाफ जांच शुरू की थी। कर्ज देने से कोचर के पति दीपक कोचर को फायदा हुआ था।
इसके बाद कोचर छुट्टी पर चली गईं और समयपूर्व सेवानिवृत्ति के लिए आवेदन किया, जिसे स्वीकार कर लिया गया। बाद में उन्हें बर्खास्त कर दिया गया।
भाषा पाण्डेय अजय
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