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Friday, 19 April, 2024
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‘कोर्ट को वुहान लैब न समझें’ – वकील क्यों SC में फिजिकल हियरिंग से किनारा कर रहे हैं

वकीलों ने एसओपी पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि बिना विशेष पास के उच्च सुरक्षा वाले क्षेत्र में वकीलों के प्रवेश पर रोक उन्हें फिजिकल हियरिंग के लिए आवेदन करने से ‘हतोत्साहित’ करेगी.

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने करीब 17 महीने के अंतराल के बाद गत 1 सितंबर से वकीलों के लिए अपने दरवाजे खोल दिए हैं. पिछले साल मार्च में कोविड-19 महामारी फैलने के कारण देश में लॉकडाउन घोषित किए जाने के अदालत ने वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मामलों की सुनवाई शुरू कर दी थी.

हालांकि, फिजिकल सुनवाई के इच्छुक लोगों की संख्या कम नजर आ रही है, क्योंकि पहले तीन दिनों में अधिकांश वकीलों ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई के लिए उपस्थित होने का विकल्प चुना है.

उदाहरण के तौर पर पहले दिन देश के चीफ जस्टिस एन.वी. रमना की अदालत की कार्यवाही 90 से अधिक वकीलों के वर्चुअली लॉग इन करने के साथ हुई. कुछ अदालतों में दिनभर कोई भी फिजिकल तौर पर पेश नहीं हुआ.

सीजेआई की कोर्ट में दूसरे दिन की 50 से अधिक लोग शामिल हुए लेकिन यह सभी वर्चुअली उपस्थित हुए. तीसरे दिन शुक्रवार को, जिसे विशेष तौर पर वर्चुअल सुनवाई के लिए चुना गया था, 150 से अधिक प्रतिभागियों ने लॉग इन किया.

सुप्रीम कोर्ट के वकील शिवम सिंह का कहना है कि फिजिकल हियरिंग को सुप्रीम कोर्ट के वकीलों की तरफ से ‘उदासीन प्रतिक्रिया’ मिली है.

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उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘चूंकि सभी अदालतों में हाइब्रिड सुनवाई की व्यवस्था की गई है, वकीलों को अपनी डिजिटल स्क्रीन का इस्तेमाल करके इसमें हिस्सा लेना ज्यादा उपयोगी नजर आ रहा है.’

शिवम सिंह ने लॉजिस्टिक मुद्दों और तीसरी लहर की आशंका को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया और कहा, ‘इसे लेकर भी चिंता है कि फिजिकल तौर पर किसी कोर्ट के समक्ष मौजूद होने पर वकील अन्य अदालतों में वर्चुअल सुनवाई में प्रभावी ढंग से शामिल नहीं हो सकेंगे. इन लॉजिस्टिक बाधाओं से बचने के लिए और आसन्न तीसरी लहर की आशंका के कारण लोगों को शारीरिक रूप से मौजूदगी से किनारा करना ज्यादा विवेकपूर्ण लग रहा है.’


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‘हाइब्रिड विकल्प’ और विशेष सुनवाई पास

सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेटरी जनरल ने 1 सितंबर से ‘हाइब्रिड विकल्प’ के साथ शुरू हुई फिजिकल हियरिंग के लिए बाकायदा मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी की थी. 28 अगस्त को जारी एसओपी में कहा गया है कि नियमित अपील या पुराने मामलों में मंगलवार, बुधवार और गुरुवार को सुनवाई होगी. नए/विविध मामलों में सोमवार और शुक्रवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई होती रहेगी.

एसओपी में यह भी कहा गया है कि फिजिकल हियरिंग के लिए कोर्ट के उच्च सुरक्षा क्षेत्र में वकीलों और मुवक्किलों का प्रवेश दैनिक आधार पर बनने वाले ‘विशेष सुनवाई पास’ के माध्यम से ही हो पाएगा, जिसे पोर्टल पर एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड की स्वीकृति के आधार पर रजिस्ट्री की तरफ से जारी किया जाएगा.

इसके अलावा, इसने एक समय में किसी भी कोर्ट रूम में वकीलों की संख्या को 20 तक सीमित कर दिया है, और कहा कि ऐसे मामलों में जहां 20 से अधिक व्यक्ति लोग एक साथ उपस्थित होते हैं, सुप्रीम कोर्ट की संबंधित पीठ अपने विवेकाधिकार का इस्तेमाल कर मामला स्थगित करके वीडियोकांफ्रेंसिंग मोड के माध्यम से सुनवाई का फैसला कर सकती है.


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एसओपी एक ‘बाधा’

हालांकि, यह एसओपी जारी होने के एक दिन बाद सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) ने सीजेआई को एक पत्र लिखा, जिसमें कहा गया था कि ‘एसओपी एक बाधा है क्योंकि हमारे सदस्य इतनी सारी शर्तों के साथ फिजिकल हियरिंग का विकल्प नहीं चुनना चाहेंगे.’

इसमें कोर्ट रूम में एक समय में मौजूद वकीलों की संख्या 20 पर सीमित करने पर आपत्ति जताते हुए इसे ‘मनमाना’ करार दिया क्योंकि कोर्ट रूम आकार में एक-दूसरे से भिन्न होते हैं.

पत्र में यह दावा भी किया गया कि विशेष पास के बिना उच्च सुरक्षा वाले क्षेत्र, जिसमें बार रूम, लाइब्रेरी, कैंटीन आदि शामिल हैं, में वकीलों के प्रवेश पर रोक लगाना उन्हें फिजिकल हियरिंग के लिए आवेदन करने के प्रति ‘हतोत्साहित’ करेगा.

बार एसोसिएशन ने इसके साथ ही पॉजिटिविटी रेट में गिरावट, भारत के कोविड-19 के एंडेमिक स्टेज में प्रवेश करने की संभावना और दिल्ली में प्रतिबंधों में ढील के साथ सार्वजनिक स्थान जैसे मॉल, सिनेमा हॉल, विवाह, पार्टियां और रेस्तरां आदि खुलने को ध्यान में रखते हुए अदालत से सामान्य कामकाज ‘जल्द से जल्द’ फिर शुरू करने का आह्वान किया. पत्र में यहां तक कहा गया था कि तीसरी लहर की आशंका के कारण ‘अब सुप्रीम कोर्ट के कामकाज को प्रतिबंधित करने का कोई औचित्य नहीं है.’

‘सुप्रीम कोर्ट को वुहान लैब न समझें’

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) के अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने एसओपी में ऐसी पाबंदियों को ही फिजिकल सुनवाई के इच्छुक लोगों की संख्या घटने के लिए जिम्मेदार ठहराया. और शीर्ष अदालत के कार्यवाही को फिर से सामान्य ढंग से शुरू करने का आह्वान भी किया.

विशेष पास की आवश्यकता जैसी शर्तों की आलोचना करते हुए उन्होंने दिप्रिंट से कहा, ‘यह (सुप्रीम कोर्ट) हमारा घर रहा है, हमारे काम करने की जगह है. वास्तव में तो यह हमारा ही ठिकाना है लेकिन अचानक हमें ही यहां पर अजनबी बना दिया गया है. यह हमें पूरी तरह नामंजूर है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘इतनी शर्तों के साथ प्रतिबंधात्मक फिजिकल हियरिंग का ये तरीका बार को स्वीकार्य नहीं है. जब बाकी सब कुछ खुल गया है तो सुप्रीम कोर्ट को वुहान लैब मत समझिए, जैसे उसके खुलते ही पूरे देश में संक्रमण फैल जाएगा. यह किसी भी अन्य जगह की तरह ही है.’

विकास सिंह ने बताया कि अधिकांश वकीलों और सुप्रीम कोर्ट के स्टाफ सदस्यों का टीकाकरण पूरा हो चुका है और कहा, ‘मैं चाहता हूं कि सुप्रीम कोर्ट पूरी तरह खुले. अगर बाद में वायरस का म्यूटेशन होता और केस बढ़ने लगते हैं, तो हम इस बारे में कुछ निर्णय ले सकते हैं.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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