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Wednesday, 24 April, 2024
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दिल्ली में प्रति व्यक्ति आय सबसे अधिक है लेकिन यह राष्ट्रीय औसत की तुलना में धीमी गति से बढ़ रही है

पिछले 10 वर्षों में, 2012-13 और 2022-23 के बीच, दिल्ली ने प्रति व्यक्ति आय में 3.5 प्रतिशत की औसत वार्षिक वृद्धि दर्ज की, जबकि राष्ट्रीय औसत 4.12 प्रतिशत था.

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नई दिल्ली: हालांकि 2021-22 जनसंख्या अनुमानों के अनुसार लगभग दो करोड़ निवासियों के साथ केंद्र शासित प्रदेश (यूटी) दिल्ली की प्रति व्यक्ति आय सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में देश में सबसे अधिक है,  दिप्रिंट ने पाया है कि पिछले कुछ वर्षों में इस आय में वृद्धि अपेक्षाकृत सुस्त रहे हैं.

दिल्ली विधानसभा में इस साल की शुरुआत में पेश दिल्ली के आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 के अनुसार, 2022-23 वर्ष एक अपवाद था, जब दिल्ली की अर्थव्यवस्था ने राष्ट्रीय औसत की तुलना में पिछले वर्षों की कोविड महामारी से प्रेरित मंदी से तेजी से सुधार दिखाया. पिछले वित्तीय वर्ष में, दिल्ली के सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) में 9.18 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 7 प्रतिशत की वृद्धि हुई. इसकी आबादी के हिसाब से, दिल्ली की प्रति व्यक्ति आय 2022-23 वित्तीय वर्ष में 7.54 प्रतिशत बढ़ी, जो कि समान पैरामीटर के अनुसार भारत की 5.98 प्रतिशत वृद्धि से थोड़ा अधिक है.

कुल मिलाकर, हालांकि, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस हफ्ते की शुरुआत में कहा था कि पिछले आठ सालों में दिल्ली के विकास की गति कम नहीं हुई है – जब से उनकी सरकार यहां सत्ता में आई है – यह दिल्ली के प्रति व्यक्ति आय में परिलक्षित नहीं हुई है.

2015 के बाद से, जब दिल्ली ने अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी को सत्ता में चुना, इसकी मुद्रास्फीति-समायोजित प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि 2022-23 तक वार्षिक 3.02 प्रतिशत की औसत रही, जबकि राष्ट्रीय वार्षिक औसत वृद्धि दर 3.8 प्रतिशत थी.

इससे पहले दिल्ली की प्रति व्यक्ति आय भारत के औसत से तेज गति से बढ़ रही थी. 2012-13 में, दिल्ली की प्रति व्यक्ति आय में 3.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि अखिल भारतीय आंकड़े में 3.27 प्रतिशत की वृद्धि हुई. 2013-14 और 2014-15 के बीच, दिल्ली की वृद्धि और अखिल भारतीय औसत के बीच का अंतर 1 प्रतिशत से भी कम था. 2015-16 के बाद यह अंतर और बढ़ा.

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2012-13 और 2022-23 के बीच 10 वर्षों में, दिल्ली की प्रति व्यक्ति आय 3.5 प्रतिशत प्रति वर्ष (वार्षिक रूप से संयोजित) की औसत दर से बढ़ी है, जबकि राष्ट्रीय औसत 4.12 प्रतिशत है.

Graphic: Manisha Yadav | ThePrint
ग्राफिकः मनीषा मंडल । दिप्रिंट

हालांकि यह उम्मीद की जाती है कि उच्च प्रति व्यक्ति आय स्तर वाले किसी भी राज्य या केंद्रशासित प्रदेश में कम प्रति व्यक्ति आय वाले राज्यों की तुलना में धीमी वृद्धि देखने की संभावना है, यह बेस इफेक्ट पूरी तरह से स्पष्ट नहीं करता है कि दिल्ली में विकास इतना धीमा क्यों रहा है.

दिप्रिंट ने जिन विशेषज्ञों से बात की, उन्होंने कहा कि प्रति व्यक्ति आय में दिल्ली की कम वृद्धि कई मुद्दों का संयुक्त प्रभाव है, लेकिन आधार आबादी सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है.

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी (एनआईपीएफपी), नई दिल्ली में एसोसिएट प्रोफेसर मनीष गुप्ता के अनुसार, दिल्ली में उच्च जनसंख्या वृद्धि है, जो प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि को बाधित करती है.

उन्होंने समझाया,“उच्च जनसंख्या वृद्धि का मतलब है कि अधिक से अधिक लोग दिल्ली के डिनॉमिनेटर में जुड़ जाते हैं. इसलिए भले ही दिल्ली की जीएसडीपी तेजी से बढ़ती है, एक उच्च और बढ़ती जनसंख्या वृद्धि प्रति व्यक्ति के आधार पर विकास दर को नीचे खींचती है,”.

दिप्रिंट ने 2011-12 और 2021-22 के बीच 10 साल की अवधि में डेटा का विश्लेषण किया, ताकि दिल्ली के विकास को कुछ अन्य राज्यों द्वारा देखे गए परिप्रेक्ष्य में रखा जा सके. दिल्ली के केंद्र शासित प्रदेश होने के बावजूद दिप्रिंट ने दिल्ली के डेटा की तुलना राज्यों के डेटा से की, न कि केंद्र शासित प्रदेशों के साथ, क्योंकि इसकी जनसंख्या इसे राज्यों के बराबर बनाती है.

राज्यवार रैंकिंग

राष्ट्रीय-औसत से कम वृद्धि होने का मतलब है कि प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि के मामले में कई राज्य दिल्ली से बेहतर प्रदर्शन करेंगे.

दिप्रिंट ने 10 साल की अवधि में 1 करोड़ से अधिक आबादी वाले सभी राज्यों में प्रति व्यक्ति आय में औसत वृद्धि दर की गणना की, यह पता लगाने के लिए कि दिल्ली की विकास की गति केवल झारखंड और उत्तर प्रदेश के लिए बेहतर है, जबकि यह पश्चिम बंगाल के बराबर है.

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चूंकि कई राज्यों ने अभी तक अपने नवीनतम राज्य घरेलू उत्पाद (एसडीपी) के आंकड़े जारी नहीं किए हैं, इसलिए विश्लेषण 2011-12 से 2021-22 की अवधि तक सीमित है, जो कोविड महामारी से प्रेरित मंदी से उबरने का पहला वर्ष है.

इन 10 वर्षों में, दिल्ली की प्रति व्यक्ति आय औसतन 3.1 प्रतिशत बढ़ी (3.5 प्रतिशत के उपरोक्त आंकड़े 2012-13 से 2022-23 के लिए हैं). राष्ट्रीय जनसंख्या आयोग के 2022 के अनुमानों के अनुसार, क्रमशः 3.89 करोड़ और 23.3 करोड़ की आबादी वाले झारखंड और उत्तर प्रदेश ने 2.9 प्रतिशत की वृद्धि दिखाई है.

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ग्राफिकः मनीषा मंडल । दिप्रिंट

लगभग 7 करोड़ की आबादी वाले गुजरात ने इस अवधि के दौरान 7.2 प्रतिशत प्रति वर्ष (वार्षिक रूप से संयोजित) के साथ भारत में प्रति व्यक्ति आय में उच्चतम वृद्धि देखी.

गुजरात के बाद क्रमशः 6.2 प्रतिशत और 5.5 प्रतिशत की वृद्धि दर के साथ कर्नाटक और आंध्र प्रदेश का स्थान है. जबकि कर्नाटक की आबादी 6.7 करोड़ है, आंध्र प्रदेश की आबादी 5.2 करोड़ है.

इन 10 वर्षों में, दिल्ली की प्रति व्यक्ति आय औसतन 3.1 प्रतिशत बढ़ी (3.5 प्रतिशत के उपरोक्त आंकड़े 2012-13 से 2022-23 के लिए हैं). राष्ट्रीय जनसंख्या आयोग के 2022 के अनुमानों के अनुसार, क्रमशः 3.89 करोड़ और 23.3 करोड़ की आबादी वाले झारखंड और उत्तर प्रदेश ने 2.9 प्रतिशत की वृद्धि दिखाई है.

इस बीच, 3.8 करोड़ की आबादी वाले तेलंगाना ने 2011-12 और 2021-22 के बीच अपनी प्रति व्यक्ति आय में 5.4 प्रतिशत प्रति वर्ष की वृद्धि दर्ज की.

दिल्ली के पड़ोसी राज्य हरियाणा, जिसकी आबादी 2.9 करोड़ है, ने भी अपनी प्रति व्यक्ति आय में 5 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर्ज की, जो सालाना बढ़ती रहती है. (अधिक जानकारी के लिए ऊपर दिए गए ग्राफ़ की जांच करें.)

धीमी वृद्धि क्यों?

दिल्ली सरकार राष्ट्रीय जनसंख्या आयोग द्वारा प्रदान किए गए नवीनतम जनसंख्या अनुमानों को अपने आधार के रूप में उपयोग करती है.

हालांकि, दिप्रिंट ने पूर्ण शुद्ध राज्य घरेलू उत्पाद (NSDP) को प्रति व्यक्ति आय से विभाजित किया, और पाया कि 1 करोड़ से अधिक आबादी वाले सभी राज्यों में दिल्ली की जनसंख्या में सबसे तेज़ वृद्धि हुई है.

जनगणना के आंकड़ों के अनुसार, 2014-15 में दिल्ली में लगभग 1.8 करोड़ निवासी थे, जिसके कि 2021-22 तक 2.1 करोड़ होने का अनुमान लगाया गया था, जो लगभग 2 प्रतिशत प्रति वर्ष की वार्षिक चक्रवृद्धि थी.

1.4 की कम प्रजनन दर (प्रति महिला पैदा होने वाले बच्चों की संख्या) के बावजूद, दिल्ली की आबादी बिहार की आबादी से भी बड़ी है, जिसकी प्रजनन दर देश में सबसे अधिक लगभग 3 है.

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ग्राफिकः मनीषा मंडल । दिप्रिंट

इसका अर्थ है कि दिल्ली का जनसंख्या विस्फोट माइग्रेशन के कारण हुआ है. उच्च प्रति व्यक्ति आय स्तर देश भर के लोगों को आकर्षित करती है, जिससे जनसंख्या बढ़ती है, इसकी वजह से प्रति व्यक्ति आय की विकास दर धीमी हो जाती है.

दिल्ली में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्री संतोष मेहरोत्रा ​​ने कहा, “जब दिल्ली जैसा छोटा शहर देश में सबसे अधिक प्रति व्यक्ति आय अर्जित करता है, तो यह अधिक से अधिक लोगों को आकर्षित करता है जो यहां कमाई की तलाश में आते हैं.” “लेकिन इसका क्या मतलब है? इसका सीधा सा अर्थ है कि देश के उन हिस्सों में विकास नहीं हो रहा है जहां से ये प्रवासी आ रहे हैं. इसलिए यह समस्या बनी रहने की संभावना है, इसलिए नहीं कि दिल्ली बेहतर करती है, बल्कि अन्य राज्य अच्छा नहीं कर रहे हैं.”

मेहरोत्रा ​​ने कहा कि, जनसंख्या वृद्धि के अलावा, भूमि की कमी और इसका खराब प्रबंधन भी दिल्ली के सीमित विकास में योगदान देता है.

उन्होंने समझाया, “अफोर्डेबल जमीन के अभाव में, उद्योग पड़ोसी शहरों और राज्यों में फैल गए हैं और उच्च-मूल्य वाली सेवाएं लंबे समय से गुरुग्राम, नोएडा, फरीदाबाद आदि में स्थानांतरित हो गई हैं, इसलिए दिल्ली विस्तार के मामले में भी काफी घाटे में है,”

(संपादनः शिव पाण्डेय)
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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