scorecardresearch
Wednesday, 24 April, 2024
होमदेशअपराधपवार पर 1 पोस्ट के लिए 22 FIR और 34 दिन की जेल - मराठी अभिनेत्री केतकी चिताले का विचित्र मामला

पवार पर 1 पोस्ट के लिए 22 FIR और 34 दिन की जेल – मराठी अभिनेत्री केतकी चिताले का विचित्र मामला

मराठी अभिनेत्री को NCP प्रमुख शरद पवार पर एक कथित आपत्तिजनक फेसबुक पोस्ट लिखने के लिए गिरफ्तार किया गया था. उसने अपनी गिरफ्तारी को 'गैर कानूनी' घोषित करने की मांग करते हुए हाई कोर्ट का रुख किया है.

Text Size:

मुंबई: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख शरद पवार के बारे में कथित रूप से आपत्तिजनक फेसबुक पोस्ट साझा करने के आरोप में 14 मई को गिरफ्तार मराठी अभिनेत्री केतकी चिताले ने 34 दिन जेल में बिताए हैं.

कथित तौर पर नितिन भावे नामक एक वकील द्वारा लिखी गई यह पोस्ट एक कविता के रूप में है जो ’80 वर्षीय व्यक्ति पवार’ की ओर इशारा करती है, जो उन्हें ‘मच्छर’ कहते हैं जो ‘ब्राह्मणों से नफरत करता है’ और जिनके लिए ‘नरक में जगह है.’

जब से उसने पोस्ट शेयर की है, महाराष्ट्र में चिताले के खिलाफ कुल 22 एफआईआर और चार नॉन कॉग्निसेबल अपराध दर्ज किए हैं.

इसके बाद, नवी मुंबई पुलिस ने एक अन्य सोशल मीडिया पोस्ट जिसके लिए 2020 में एफआईआर दर्ज की गई थी जिसके तहत अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत मराठी अभिनेत्री के खिलाफ दायर केस को फिर से खोल दिया गया है. इस मामले में औपचारिक रूप से उसे गिरफ्तार किया और आरोप पत्र भी दाखिल किया गया.

ठाणे जिला अदालत ने पिछले गुरुवार को 2020 के मामले में चिताले को जमानत दे दी थी, लेकिन अभिनेत्री अभी तक जेल से बाहर नहीं निकल सकी हैं. वह अभी भी शरद पवार मामले में जमानत के लिए लड़ रही हैं.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

इस डर से कि उनके खिलाफ दर्ज की गई कई प्राथमिकी में कई पुलिस स्टेशन उनकी हिरासत की मांग करेंगे, अभिनेत्री ने बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, जिसमें उनकी गिरफ्तारी और हिरासत को ‘अवैध’ घोषित करने की मांग की गई है.

दिप्रिंट से बात करने वाले कानूनी विशेषज्ञों ने कहा कि जहांतक अभद्र भाषा के खिलाफ कार्रवाई की बात करें यह आज की जरूरत है, लेकिन पिछले एक महीने से जिस तरह से चिताले को कैद कर के रखा गया है वह ‘अन्यायपूर्ण’ है.

चिताले की लीगल टीम की निगाहें अब इस बात पर टिकी हैं कि बॉम्बे हाई कोर्ट उसकी याचिका पर कब सुनवाई करेगा, विशेष रूप से निखिल भामरे के खिलाफ इसी तरह के एक मामले पर अदालत की टिप्पणी के बाद, एक 21 वर्षीय छात्र, जिसे पिछले महीने पवार पर ही एक कथित आपत्तिजनक ट्वीट पर गिरफ्तार किया गया था.

पिछले हफ्ते, हाई कोर्ट ने छात्र की गिरफ्तारी पर महाराष्ट्र सरकार की खिंचाई करते हुए पूछा था कि क्या वह हर उस ट्वीट का संज्ञान लेगा जिसे वह आपत्तिजनक मानता है.


यह भी पढ़ें : पंजाब सरकार को जवाब है धान की खेती की ये तकनीक, ‘पानी बचाओ, संकट से बचो’


कई एफआईआर

चौंतीस वर्षीय चिताले को ठाणे जिले के कलवा पुलिस स्टेशन में स्थानीय एनसीपी नेता स्वपनिल नेतके द्वारा एफआईआर दर्ज किए जाने के आधार पर गिरफ्तार किया गया था.

दिप्रिंट ने नेत्री के खिलाफ दर्ज 22 एफआईआर में से 14 को देखा है, जो कि मोटे तौर पर एक ही पैटर्न पर आधारित हैं – उनमें से ज्यादातर स्थानीय एनसीपी नेताओं और पदाधिकारियों द्वारा की गई हैं, जो कहते हैं कि यह पोस्ट एनसीपी अध्यक्ष पवार को बदनाम करने की एक सोची-समझी साजिश है, जिससे एनसीपी कार्यकर्ताओं की भावनाओं को ठेस पहुंची हैं साथ ही ऐसा कर चिताले ने दो समूहों के बीच ‘जानबूझकर नफरत पैदा करने की कोशिश’ की है.

वहीं चिताले की जमानत अर्जी का विरोध करते हुए ठाणे पुलिस ने तर्क दिया कि पोस्ट ने विशेष रूप से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और एनसीपी के बीच दरार पैदा करने की कोशिश की थी.

लगभग सभी एफआईआर भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज की गई है जिसमें समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने, मानहानि, आपराधिक धमकी आदि शामिल है.

चिताले की पोस्ट पर शिकायत दर्ज करने को लेकर हालांकि एनसीपी सदस्य पार्टी के भीतर किसी भी तरह के सुझावों से इनकार करते हैं.

14 मई को धुले में चिताले के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने वाली एनसीपी के पूर्व जिला अध्यक्ष किरण एकनाथ शिंदे ने दिप्रिंट को बताया, ‘पवार साहब सिर्फ हमारे पार्टी अध्यक्ष नहीं हैं, वह हमारे परिवार के मुखिया हैं. अगर पवार साहब ने खुद हमें इस मामले में मामला दर्ज न करने के लिए कहा होता, तो हम उनकी बात भी नहीं सुनते.’

जेल में रखने की 21 वजहें

रिमांड की कॉपी जो दिप्रिंट के पास मौजूद है ठाणे पुलिस ने चिताले की गिरफ्तारी के बाद उसे हिरासत में लेने के लिए 21 कारण बताए हैं. इनमें उसके इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की जांच करना, उसके फेसबुक अकाउंट तक पहुंच और उसके सोशल मीडिया पोस्ट की वसूली, यह पता लगाना चाहते हैं कि उसे किसने उकसाया, कविता का लेखक कौन है, वकील नितिन भावे, कौन हैं, इत्यादि.

एक मजिस्ट्रेट अदालत ने मई में अभिनेता को चार दिनों के लिए कलवा पुलिस स्टेशन की हिरासत में दे दिया था।

एक बार पुलिस हिरासत समाप्त होने के बाद, ठाणे पुलिस ने मजिस्ट्रेट अदालत के समक्ष चिताले को न्यायिक हिरासत में रखने के 17 कारणों को फिर से सूचीबद्ध किया. इनमें से कुछ कारण 14 मई को सूचीबद्ध किए गए कारणों के समान थे.

फिलहाल चिताले ठाणे में दायर किए गए केस के मामले में न्यायिक हिरासत में है.

18 मई को दायर अपनी जमानत अर्जी में, अभिनेत्री ने इस बात पर जोर दिया कि पोस्ट केवल एक ‘पवारा’ को संदर्भित करता है, और शिकायतकर्ता के पास ‘एफआईआर दर्ज करने का कोई अधिकार नहीं है यदि वह अपनी खुद की धारणा से पीड़ित है कि कविता कुछ से संबंधित है.’

हालांकि, मजिस्ट्रेट अदालत ने 27 मई को उसके आवेदन को खारिज करते हुए कहा कि आम जनता जानती है कि कविता किसके बारे में है.

अपने ऑर्डर जो प्रिंट के पास भी मौजूद है में अदालत ने कहा, ‘अगर आरोपी को जमानत पर रिहा किया जाता है तो उसे कानून का कोई डर नहीं होगा और उसके फिर से इसी तरह का अपराध करने की संभावना है. इसके अलावा, अगर उसे रिहा किया जाता है तो जनता के बीच एक गलत संदेश फैल जाएगा.’

चिताले के वकील वसंत बंसोडे ने दिप्रिंट को बताया कि अभिनेत्री ने तब सत्र अदालत में जमानत के लिए अपील की थी. ‘अब तक, चार तारीखें निर्धारित की गई हैं और हम अगली सुनवाई 21 जून को होने की उम्मीद कर रहे हैं.’

2020 का केस

चिताले को एक अन्य मामले में पुलिस कस्टडी खत्म होने के एक दिन बाद साल 2020 के केस में गिरफ्तार कर लिया गया था.

उनपर मार्च 2020 में कथित तौर पर यह बयान देने के लिए केस दर्ज किया गया था कि बुद्ध धर्म के अनुयायी हर साल 6 दिसंबर को डॉ बाबासाहेब आम्बेडकर को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि देने के लिए ‘मुफ्त’ में मुंबई की यात्रा करते हैं.

एडवोकेट बंसोडे ने दिप्रिंट को बताया कि चिताले की सितंबर 2020 के केस में अग्रिम जमानत खारिज कर दी गई थी. पुलिस स्टेशन में उन्हें बयान दर्ज करने के लिए बुलाया गया था लेकिन ‘पुलिस ने उस समय उन्हें अरेस्ट नहीं किया था.’

उन्होंने आगे बताया कि रबाले पुलिस ने दिसंबर 2021, फरवरी 2022 और मार्च में, इन तीन मौकों पर नवी मुंबई पुलिस प्रमुख से चार्जशीट दाखिल करने की इजाजत लेने की कोशिश की थी लेकिन उन्हें इसकी अनुमति नहीं मिली. बंसोडे ने कहा, ‘एनसीपी अध्यक्ष पवार से जुड़ा मामला सामने आने के बाद पिछले महीने ही चार्जशीट दाखिल की गई थी.’

बंसोडे ने आगे कहा, ‘हमने कोर्ट को बताया कि पोस्ट किसी धर्म को ठेस पहुंचाने के लिए नहीं थी और ‘फ्री’ शब्द की गलत व्याख्या की गई थी. इसका अर्थ ‘बिना किसी मूल्य’ के नहीं था बल्कि अनावश्यक था.’

वाशी डिवीजन के सहायक पुलिस आयुक्त डीडी टेली ने दिप्रिंट को बताया कि वह इस पर कोई बयान नहीं दे सकते हैं कि चार्जशीट अभी क्यों दायर की गई है.

हालांकि, मामले में शिकायतकर्ता के वकील स्वप्निल जगताप ने कहा कि चार्जशीट के समय पर सवाल उठाना ठीक नहीं है.

उन्होंने दिप्रिंट से बात करते हुए सवाल किया, ‘उस समय उन्हें अज्ञात वजहों से गिरफ्तार नहीं किया गया था. लेकिन अगर जांच ही अधूरी है तो वो चार्जशीट कैसे दाखिल करेंगे?’


यह भी पढ़ें: सस्ती शराब, ज्यादा राजस्व – पंजाब की नई आबकारी नीति से राज्य सरकार की ‘बल्ले-बल्ले’


चिताले की गिरफ्तारी ‘गलत’, ‘जैसे को तैसा’

महाराष्ट्र के पूर्व डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस, डी शिवानंदन, जिन्हें साइबर अपराधों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई को मजबूत करने का श्रेय दिया जाता है, उन्होंने दिप्रिंट को बताया कि चिताले को इतने लंबे वक्त तक जेल में रखना गलत है.

शिवानंदन ने कहा, ‘वो शख्स जिसने पोस्ट लिखा… वो बाहर घूम रहा है क्योंकि आपको नहीं मालूम है कि वह कहां है. मैं यह नहीं कह रहा हूं कि इस महिला ने मासूमियत में यह पोस्ट की है. यह खतरनाक है और इसे अपने सोशल मीडिया पर शेयर करना भी गलत था लेकिन यह एक आपराधिक कृत्य नहीं है जिसके लिए किसी को 30 दिनों से ज्यादा की कैद में रखा जाए.’

उन्होंने कहा कि यह उन सभी के लिए एक सबक है जो डिजिटल राय बनाते हैं और कुछ पोस्ट करने से पहले दो बार सोचते भी नहीं हैं.

पूर्व डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस ने कहा, ‘उन्हें नतीजों के बारे में सोचना चाहिए, अपना दिमाग लगाना चाहिए और देखना चाहिए कि क्या उनकी पोस्ट से किसी को ठेस पहुंच सकती है.’

वरिष्ठ अधिवक्ता मिहिर देसाई ने दिप्रिंट से कहा कि चिताले की महीने भर की हिरासत ‘जैसे को तैसे’ की तरह है.

देसाई ने कहा, ‘यह बिल्कुल ऐसा है जैसे कि आप मोदी के खिलाफ बोलने वाले को पकड़ लेते हैं तो हम पवार के खिलाफ कुछ कहने वाले को पकड़ लेंगे. इन सबमें कोई वास्तविक हेट स्पीच के बारे में काम नहीं कर रहा है जिससे हिंसा भड़क रही है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘मैं यह नहीं कह रहा हूं कि हेट स्पीच का अपराधीकरण नहीं करना चाहिए. आप बिना किसी शक के मुकदमा चलाते हैं लेकिन किसी को इतने लंबे समय तक जेल में रखने से आप क्या हासिल कर रहे हैं.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें : केजरीवाल से लेकर स्मृति ईरानी तक, दिल्ली विधानसभा उपचुनाव के लिए AAP और BJP के दिग्गज मैदान में उतरे


share & View comments