जम्मू, 10 अक्टूबर (भाषा) जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख उच्च न्यायालय ने इस साल की शुरुआत में कठुआ जिले में हिरासत में कथित यातना के बाद एक गुज्जर युवक की आत्महत्या से संबंधित मामले में बयान दर्ज करने के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) के दो पुलिस अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का आदेश दिया है।
न्यायमूर्ति वसीम सादिक नरगल की एकल पीठ ने बुधवार को मामले की सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया और एसआईटी प्रमुख और बिलावर के उप-मंडल पुलिस अधिकारी (एसडीपीओ) को सुनवाई की अगली तारीख 27 अक्टूबर को अदालत में पेश होने को कहा। एसआईटी प्रमुख पुलिस अधीक्षक (अभियान) हैं ।
बिलावर क्षेत्र के एक गुज्जर युवक मक्खन दीन (25) ने कथित पुलिस यातना के बाद चार फरवरी को कीटनाशक खाकर अपनी जान दे दी और इस कृत्य को एक वीडियो में रिकॉर्ड किया, जिसमें उसने खुद को निर्दोष बताया और आतंकवादियों से किसी भी तरह के संबंध से इनकार किया। इसके बाद पुलिस और स्थानीय प्रशासन द्वारा अलग-अलग जांच शुरू की गई।
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘रिकॉर्ड से पता चलता है कि जब 25 अप्रैल को यह मामला इस अदालत के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था, तो बिलावर के एसडीपीओ नीरज पडियार, जो मामले की जांच कर रहे एसपी (अभियान) की अध्यक्षता वाली एसआईटी का हिस्सा थे, ने दलील दी थी कि बिलावर थाने के एसएचओ का पहले ही तबादला हो चुका है और अन्य दो अधिकारी, जिनके खिलाफ शिकायतकर्ताओं ने आरोप लगाए हैं, उस थाने में तैनात नहीं थे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसके अलावा, बिलावर के एसडीपीओ ने कहा कि जुगल और हरीश नाम के ऐसे कोई भी व्यक्ति बिलावर थाने में तैनात नहीं थे।’’
अदालत ने कहा, हालांकि याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील अप्पू सिंह स्लाथिया ने कहा है कि उन्होंने एक पेन ड्राइव के माध्यम से इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य रिकॉर्ड में रखे हैं, जो दर्शाते हैं कि जुगल और हरीश पांच फरवरी को भी मौजूद थे जब मक्खन दीन को उसके घर ले जाया गया था और उसके बाद, उसने बिलावर के भटोडी गांव की एक मस्जिद में आत्महत्या कर ली।
उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने यह भी कहा कि जिस समय शव को अस्पताल ले जाया गया था, उस समय भी जुगल और हरीश सहित चार पुलिस अधिकारी मौजूद थे।
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘चूंकि संबंधित एसडीपीओ, बिलावर द्वारा 25 अप्रैल को दिए गए बयान के संबंध में अस्पष्टता है, इसलिए यह अदालत उन्हें अगली सुनवाई की तारीख पर इस अदालत में उपस्थित रहने का निर्देश देना उचित समझती है, ताकि मामले में आगे की कार्यवाही के लिए इस अदालत के रजिस्ट्रार न्यायिक के समक्ष विस्तृत बयान दर्ज किया जा सके।’’
भाषा शफीक रंजन
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