नई दिल्ली: दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग के एक विश्लेषण के मुताबिक राष्ट्रीय राजधानी में अगस्त के अंतिम सप्ताह में इसके पिछले सप्ताह के मुकाबले कोरोनावायरस संक्रमण के 35 फीसदी अधिक मामले सामने आए.
विश्लेषण के मुताबिक जो नए मामले सामने आ रहे हैं, उनमें से 30 से 40 फीसदी मामले उन परिवारों से हैं जहां पहले भी मामले सामने आ चुके हैं.
स्वास्थ्य विभाग ने अगस्त में कोविड-19 के मामलों का विश्लेषण करने पर पाया कि कोरोनावायरस संक्रमण ग्रामीण और मध्यमवर्गीय इलाकों में अधिक है तथा प्रवासी लोगों के इलाकों में भी मामले बढ़ रहे हैं. मामले बढ़ने की एक वजह लोगों द्वारा एहितयाती उपायों पर ध्यान नहीं देना है.
संक्रमण फैलने के अन्य कारणों में त्योहार का मौसम, कोविड-19 का संदेह होने पर भी देर से जांच करवाना, संक्रमितों के संपर्क में आना, प्रवासियों का लौटना और अनलॉक (लॉकडाउन से चरणबद्ध तरीके से बाहर निकलने की प्रक्रिया) के कदम हैं.
बीते कुछ दिन में नए मामले और उपचाराधीन मरीज भी बढ़े हैं. अगस्त के अंतिम सप्ताह में जब संक्रमण के मामले बढ़ रहे थे, तब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि लोग आत्मसंतुष्ट न हों. उन्होंने कहा था कि लक्षण नज़र आने पर अधिक से अधिक संख्या में लोग जांच करवाएं.
केजरीवाल ने कहा था, ‘अत्यधिक आत्मविश्वास के साथ कुछ लोग सोचते हैं कि लक्षण नज़र आने पर भी वे ठीक हो जाएंगे. उन्हें यह अहसास नहीं होता कि समय पर जांच नहीं करवाने पर वे अपने आसपास के कई लोगों को संक्रमित कर देंगे. किसी भी सरकारी अस्पताल या दवाखाने में नि:शुल्क जांच करवाई जा सकती है.’
मेदोर अस्पताल, कुतुब इंस्टीट्यूशनल एरिया, के प्रभारी मनोज शर्मा ने कहा कि कोरोनावायरस संक्रमण की जांच के लिए आने वाले लोगों की संख्या अब कम हो गई है. उन्होंने कहा कि कई लोगों को लगता है कि मामूली लक्षण हैं तो वे ठीक हो जाएंगे. लोगों को यह डर भी लगता है कि अधिकारी उनके घर के बाहर स्टिकर चिपका देंगे और उनके पड़ोसियों को भी पता चल जाएगा.
जीनस्ट्रींग्स लैब की लैब प्रमुख अल्पना राजदान ने बताया कि पहले कोरोनावायरस संक्रमण की जांच के लिए प्रतिदिन 350 लोग आते थे, अब यह संख्या घटकर 170 रह गई है.
वहीं, राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के मेडिकल निदेश डॉ बीएल शेरवाल के मुताबिक पिछले तीन-चार दिनों में जांच बढ़ी है.
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