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Tuesday, 23 April, 2024
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कोरोना के डर से हल्दी, मेथी और विटामिन-डी का बढ़ा सेवन, डॉक्टरों के लिए इसका ओवरडोज़ बनी नई चुनौती

हेल्थ रिसर्च फर्म, प्रोंटो कंसल्ट के एक सर्वेक्षण के अनुसार, प्रतिरक्षा बूस्टर का न केवल दवाओं में बल्कि खाद्य-संबंधित उत्पादों में भी इसका ट्रेंड बढ़ रहा है.

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नई दिल्ली: मुंबई स्थित अपोलो और फोर्टिस अस्पताल की कंसल्टिंग एंडोक्रिनोलॉजिस्ट डॉ तेजल लाथिया ने कहा कि उन्हें हाल ही में आश्चर्य हुआ कि टाइप 2 डायबिटीज मेलिटस के मरीज को विटामिन डी टॉक्सिसिटी क्यों थी.

जांच करने पर मालूम चला कि कोविड-19 के डर और सोशल मीडिया पर चल रहे बिना सिद्ध हुए दावों के कारण लोग इम्युनिटी बढ़ाने के लिए विटामीन-डी की खुराक ले रहे थे.

डॉ लाथिया ने दिप्रिंट को बताया, ‘मरीज़ों ने सोशल मीडिया पर विटामिन-डी से कोविड-19 के खिलाफ इम्युनिटी बढ़ाने के दावों वाले मैसेज देखें. लेकिन हफ्ते में एक खुराक लेने के बजाए इसे रोज लिया जाने लगा.’

उच्च विटामिन-डी का स्तर रक्त और मूत्र कैल्शियम के स्तर को बढ़ा सकता है, जो बदले में मतली, उल्टी, डिहाइड्रेशन, चक्कर आना, भ्रम और अन्य परिवर्तनों का कारण बनता है.

उन्होंने कहा, ‘150 एनजी/एमएल से अधिक रक्त स्तर में विटामिन-डी इन सभी लक्षणों को दर्शाता है. मेरे मरीज़ का स्तर 348 एनजी/एमएल था लेकिन सौभाग्य से उसे ऐसा कुछ नहीं हुआ.’

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मुंबई के डॉक्टर ने कहा कि उनके लगभग सभी मरीज एक या दूसरे रूप में प्रतिरक्षा बूस्टर ले रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘मैं अपने सभी रोगियों से प्रतिरक्षा बढ़ाने के उपायों के बारे में सुन रही हूं. सबसे अधिक उपयोग किए जाने वाले उत्पादों में होम्योपैथिक आर्किसेनिक एल्बम की तरह घर का बना काढ़ा, जिंक, विटामिन सी और विटामिन डी हैं.’

ऐसे मामले सिर्फ डॉ लाथिया के पास ही नहीं आ रहे हैं.

देश भर के डॉक्टर नए तरह की मेडिकल इमरजेंसी से जूझ रहे हैं जिनमें हल्दी, मेथी के बीज, एलोवेरा जूस, विटामिन डी की अत्यधिक गोलियां शामिल हैं- ये सभी सोशल मीडिया संदेशों से प्रेरित हैं कि वे कोविड-19 के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं.

केरल में कोचीन गैस्ट्रोएंटरोलॉजी ग्रुप के हेपेटोलॉजी और लिवर ट्रांसप्लांट मेडिसिन के विशेषज्ञ डॉ साइरिक एब्बी फिलिप्स ने कहा, ‘मैं और मेरे कई मरीज ऐसे हैं जो तथाकथित इम्यून बूस्टिंग एजेंट्स के साथ सेल्फ-मेडिकेटिंग कर रहे हैं.’

फिलिप्स ने कहा, ‘मरीजों के बीच अचानक से इम्युनिटी बूस्टर के प्रति बढ़ती रूचि का कारण कोविड-19 है खासकर वो जिनकी प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा अच्छी नहीं है.’ उन्होंने कहा, ‘बिना सोचे-समझे सोशल मीडिया पोस्ट, सरकार द्वारा जड़ी-बूटियों का उपयोग करके प्रतिरक्षा बढ़ाने वाली प्रथाओं को बढ़ावा देना उपभोक्ताओं को ऐसी अस्वास्थ्यकर तरीके को अपनाने के लिए प्रेरित कर रहा है. बदले में नीम-हकीम लोग इस मौके को भुनाने में लगे हैं.’

चिकित्सकों ने कोरोनोवायरस को दूर भगाने के लिए वैकल्पिक चिकित्सा प्रणालियों जैसे होम्योपैथी और आयुर्वेद का उपयोग करने की केंद्र सरकार की सलाह की ओर इशारा किया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों को आयुष मंत्रालय (आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध, सोवा रिग्पा और होम्योपैथी) द्वारा जारी सलाह का पालन करने के लिए बार-बार कहा है, जो प्रतिरक्षा बढ़ावा के लिए कई घरेलू उपचार सुझाता है जैसे हल्दी, शहद, अदरक का सेवन आदि.

केंद्र सरकार ने ‘आर्सेनिकम एल्बम 30 ’के कोर्स की भी सिफारिश की है जो कि एक होम्योपैथिक दवा है.

फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम में पल्मोनोलॉजी विभाग के निदेशक डॉ मनोज गोयल ने कहा, ‘इन उत्पादों को संयमित या अनुशंसित मात्रा में उपयोग करने से कोई नुकसान नहीं होता है, लोगों ने उनकी उचित खुराक, तैयारी और उपभोग के तरीके और उनकी चल रही दवाओं के साथ तालमेल के बिना इन उत्पादों का सेवन शुरू कर दिया है. ये ट्रेंड खतरनाक है.’


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प्राकृतिक उत्पादों के अधिक सेवन से होने वाले दुष्प्रभाव

साइड-इफेक्ट्स की शिकायत करने वाले रोगियों की संख्या में डॉक्टरों को तेजी दिख रही है.

डॉ फिलिप्स ने कहा कि उन्होंने ‘ऐसे रोगियों को देखा है जिन्होंने मेथी (मेथी के बीज) के काढ़े का सेवन किया और वे अब परेशानी में हैं’. केरल स्थित डॉक्टर के अनुसार, बड़ी खुराक में मेथी के बीज रक्त को पतला करता है और ‘लिवर की बीमारी वाले या बिना बीमारी वाले रोगियों में रक्तस्राव को पैदा कर सकता है.’

उन्होंने एक मरीज का हवाला दिया जो प्रतिरक्षा को बढ़ाने के लिए मेथी के काढ़े का सेवन करता है. डॉ फिलिप्स ने कहा, ‘पूरे एक सप्ताह के लिए मेथी के काढ़े का उपयोग करने के बाद (एक दिन में मेथी का दो गिलास उबला हुआ पानी), उसका परीक्षण अनुपात (रक्त के पतलेपन की जांच के लिए) 3 से ऊपर था (जो आमतौर पर 1 या उससे कम होता है).’

फिलिप्स ने कहा, ‘मेथी के काढ़े का सेवन बंद करने के बाद, स्तर सामान्य हो गया लेकिन त्वचा पर खून के कुछ स्पाट्स रह गए थे.’

डॉ फिलिप्स ने कहा, ‘स्पेशल जूस की खुराक के मामले भी सामने आए हैं खासकर एलोवेरा जूस जो कि काफी खतरनाक है. ये लिवर को प्रभावित करता है.’

दिल्ली के मेदांता अस्पताल में एंडोक्रिनोलॉजी और मधुमेह के वरिष्ठ सलाहकार डॉ एम शफी कुचाय ने ट्वीट किया कि उन्होंने एक मरीज को देखा जिसने कोविड-19 से बचने के लिए हल्दी की अत्यधिक मात्रा का सेवन किया था.

उन्होंने लिखा, ‘कल, मधुमेह के एक मरीज को देखा. बिलीरुबिन सामान्य था. उनकी आंखों में पीलापन था लेकिन लिवर की कोई बीमारी नहीं थी. कारण- उन्होंने पिछले दो-तीन महीनों से पानी के साथ दिन में तीन बार 2 बड़े चम्मच हल्दी का सेवन किया था. यह कोविड-19 से रोकथाम के लिए था.’

उन्होंने दिप्रिंट को बताया, हम ऐसे कई मरीजों को देख रहे हैं जो प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए प्राकृतिक उत्पादों का सेवन कर रहे हैं.

दिल्ली स्थित धर्मशाला नारायण सुपरस्पेशलिटी अस्पताल के आंतरिक चिकित्सा सलाहकार डॉ गौरव जैन के अनुसार, दिन में चार से पांच मरीज ऐसे आ रहे हैं जो ‘इम्यूनिटी बूस्टर’ का सेवन करने के बाद इसके साइड इफेक्ट्स की शिकायत कर रहे हैं.

डॉ जैन ने कहा, ‘इम्यूनिटी बूस्टर का सेवन करने के नाम पर लोगों को खुद को दूसरे स्वास्थ्य जोखिमों में डालते देखना दुर्भाग्यपूर्ण है.’ उन्होंने कहा, ‘अश्वगंधा, काढ़ा और च्यवनप्राश जैसे उत्पादों का अति सेवन पाचन समस्याओं और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर रहा है.’


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सर्वे से पता चलता है कि इम्युनिटी बूस्टर की बिक्री काफी बढ़ी है

इम्युनिटी बूस्टर के अधिक सेवन को लेकर आंकड़े भी इसी ओर इशारा करते हैं.

हेल्थ रिसर्च फर्म, प्रोंटो कंसल्ट के एक सर्वेक्षण के अनुसार, प्रतिरक्षा बूस्टर का न केवल दवाओं में बल्कि खाद्य-संबंधित उत्पादों में भी इसका ट्रेंड बढ़ रहा है.

सर्वे में पाया गया कि ‘हर 100 दवा के बिल में से 92 प्रतिरक्षा बढ़ाने वाले उत्पादों के लिए थे.’ सर्वे में देखा गया कि ‘शहद, च्यवनप्राश, अदरक, मोरिंगा ओलीफेरा, प्रोबायोटिक्स, ग्रीन टी, आंवला, तुलसी, हल्दी युक्त उत्पाद, लेमनग्रास, करेला, जामुन, केसर की बिक्री बढ़ी है जिसमें डिटॉक्स ब्रांड भी शामिल हैं.’

हालांकि, चिकित्सकों ने चेतावनी दी है कि उन्हें प्रतिरक्षा बढ़ाने वाले उत्पादों की उचित खुराक के लिए परामर्श दिया जाना चाहिए, विशेष रूप से चिकित्सा स्थितियों से पीड़ित लोगों के बीच.

डॉ जैन ने सलाह दी, ‘उचित परामर्श के बिना किसी भी प्रतिरक्षा बूस्टर का उपभोग न करें, खासकर अगर कोई पहले से ही किसी अन्य बीमारी से पीड़ित है. पहले अपने संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.’

डॉक्टरों का कहना है कि इससे होने वाले जोखिम और लाभों का मूल्यांकन केस-टू-केस आधार पर किया गया है.

डॉ लाथिया ने कहा, ‘जोखिम बनाम लाभ का आकलन करना मेरा काम है. ये बूस्टर (जैसे कि विटामिन सी या डी या जिंक) उपयुक्त खुराक में लेने पर कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकते हैं.’ उन्होंने कहा, ‘मैं आमतौर पर साधारण स्टीम इनहेलेशन या गार्गल की सलाह देता हूं क्योंकि ज्यादातर लोग कोविड के डर को देखते हुए खुद को संतुष्ट करने के लिए कुछ करना चाहते हैं.’

उन्होंने कहा, ‘मैं उचित लेबलिंग या पदार्थों के बिना अज्ञात स्टोर से खरीदे गए उत्पादों के उपयोग को बिल्कुल मना करता हूं जो नुकसान पहुंचा सकते हैं.’ उन्होंने कहा कि ‘वजन का प्रबंधन, रक्तचाप का ठीक नियंत्रण, मास्क और हाथ धोते रहना सबसे अच्छा प्रतिरक्षा उपाय है.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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